Basant Panchami 2025: 2 या 3 फरवरी को मनाई जाएगी बसंत पंचमी जाने सही तारीख
बंसत पंचमी (Basant Panchami) एक ऐसा हिंदू त्योहार है, जो हर साल बसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है। इस दिन को विशेष रूप से मां सरस्वती की पूजा, विद्या और कला की देवी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व खासतौर पर उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन को सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक महत्व भी प्राप्त है।
बसंत पंचमी भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता है। इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र पहनते हैं, क्योंकि पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा और नई शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में देवी सरस्वती की पूजा होती है और शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊर्जा का संचार किया जाता है। किसान इस दिन खेतों में सरसों की फसल देखकर प्रसन्न होते हैं, जो बसंत ऋतु के आगमन का संकेत देती है।
इस दिन को विशेष रूप से विद्या, संगीत और कला से जुड़े लोगों के लिए शुभ माना जाता है। बच्चे इस दिन पढ़ाई की शुरुआत करते हैं, जिसे 'विद्यारंभ संस्कार' कहा जाता है। देवी सरस्वती की पूजा के साथ-साथ लोग पतंग उड़ाने का आनंद भी लेते हैं। कई स्थानों पर मेलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। बसंत पंचमी न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह प्रकृति के सौंदर्य और खुशियों का भी उत्सव है। इस दिन लोग एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर और शुभकामनाएँ देकर उत्सव की खुशी साझा करते हैं।
बंसत पंचमी 2025 की तिथि
इस साल बसंत पंचमी की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि का प्रारंभ 2 फरवरी 2025 को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर होगा। पंचमी तिथि समाप्त 3 फरवरी को सुबह 3 बजकर 52 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल बसंत पंचमी का पर्व 2 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा।
बंसत पंचमी का महत्व
बंसत पंचमी को बसंत ऋतु की शुरुआत माना जाता है, जो ठंड से राहत और गर्मी के आगमन की पूर्व सूचना देता है। इस दिन का मौसम सुहाना होता है, खेतों में फसलों के पौधे हरे-भरे हो जाते हैं, और वातावरण में ताजगी और रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं। यह त्योहार प्रकृति के हर रंग को जश्न देने का समय होता है।
साथ ही, बंसत पंचमी का एक धार्मिक महत्व भी है। यह दिन विशेष रूप से शिक्षा, ज्ञान और कला की देवी, माँ सरस्वती की पूजा का दिन होता है। विद्यार्थी इस दिन अपनी किताबों और कलमों को माँ सरस्वती के चरणों में रखकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बंसत पंचमी मनाने की रीतियाँ
माँ सरस्वती की पूजा: इस दिन विशेष रूप से माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। पूजा में पीले फूल, चंदन, मिठाइयाँ और खासतौर पर किताबों और कलमों का पूजन किया जाता है।
पीला रंग पहनना: इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनते हैं, जो बसंत ऋतु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
लोक संगीत और नृत्य: बंसत पंचमी पर विभिन्न जगहों पर लोक संगीत और नृत्य के आयोजन होते हैं, खासकर बिहार और उत्तर भारत में।
स्वादिष्ट पकवान: इस दिन खासतौर पर बेसन के लड्डू, हलवा और अन्य मिठाइयों का आनंद लिया जाता है।