जानिए क्यू की गई थी भारत मे अखाड़ो की स्थापना।
अखाड़ों का भारत में एक गौरवशाली इतिहास है। इनकी स्थापना का उद्देश्य केवल शारीरिक प्रशिक्षण नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और सुरक्षा का संरक्षण भी था। इस ब्लॉग में हम अखाड़ों की स्थापना के कारणों, उनके महत्व, और उनके विकास के सफर को विस्तार से समझेंगे।
अखाड़ों की परंपरा का प्रारंभ
अखाड़ों की शुरुआत प्राचीन वैदिक काल में हुई थी। भारतीय महाकाव्यों, जैसे महाभारत और रामायण में भी अखाड़ों का उल्लेख मिलता है। उस समय अखाड़े योद्धाओं और साधुओं के लिए शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण के केंद्र थे। आत्मरक्षा के साथ-साथ ये स्थान योग और ध्यान की भी शिक्षा प्रदान करते थे।
आदि शंकराचार्य ने सदियों पहले बौद्ध धर्म के बढ़ते प्रसार और मुगलों के आक्रमण से हिंदू संस्कृति को बचाने के लिए अखाड़ों की स्थापना की थी। शाही सवारी, हाथी-घोड़े की सजावट, घंटा-नाद, नागा-अखाड़ों के करतब और तलवार और बंदूक का खुले आम प्रदर्शन यह अखाड़ों की पहचान है। यह साधुओं का वह दल है जो शस्त्र विद्या में पारंगत होता है। अखाड़ों से जुड़े संतों के मुताबिक जो शास्त्र से नहीं मानते, उन्हें शस्त्र से मनाने के लिए अखाड़ों का जन्म हुआ। इन अखाड़ों ने स्वतंत्रता संघर्ष में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आजादी के बाद इन अखाड़ों ने अपना सैन्य चरित्र त्याग दिया था।
अखाड़ों की स्थापना के प्रमुख कारण
आत्मरक्षा और शारीरिक विकास:
प्राचीन काल में देश की सुरक्षा और व्यक्तिगत रक्षा के लिए युद्ध कौशल और शारीरिक शक्ति की आवश्यकता थी। अखाड़े इन दोनों क्षमताओं को विकसित करने के लिए बनाए गए।
धर्म और संस्कृति की रक्षा:
अखाड़ों का एक प्रमुख उद्देश्य सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति की रक्षा करना था। साधु-संत अखाड़ों में प्रशिक्षण पाकर धर्म की रक्षा के लिए कार्यरत रहते थे।
मानसिक अनुशासन और योग:
अखाड़े केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक अनुशासन का भी केंद्र थे। यहां योग, प्राणायाम और ध्यान की शिक्षा दी जाती थी।
अखाड़ों का समाज पर प्रभाव
अखाड़ों ने भारतीय समाज में अनुशासन, एकता और सहयोग की भावना को प्रोत्साहित किया। ये न केवल युद्ध कौशल के केंद्र थे, बल्कि सामाजिक संगठन और न्याय व्यवस्था में भी भूमिका निभाते थे।
भारत के प्रमुख अखाड़े
परंपरा के मुताबिक शैव, वैष्णव और उदासीन पंथ के संन्यासियों के मान्यता प्राप्त कुल 13 अखाड़े हैं। इन अखाड़ों का नाम निरंजनी अखाड़ा, जूना अखाड़ा, महानिर्वाण अखाड़ा, अटल अखाड़ा,आह्वान अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, पंचाग्नि अखाड़ा, नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा, वैष्णव अखाड़ा, उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा,उदासीन नया अखाड़ा, निर्मल पंचायती अखाड़ा और निर्मोही अखाड़ा है।
आधुनिक युग में अखाड़ों का महत्व
आज भी अखाड़े कुश्ती, योग और अन्य पारंपरिक कलाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। धार्मिक आयोजनों और कुंभ मेलों में इनकी उपस्थिति विशेष महत्व रखती है।
अखाड़ों की स्थापना का उद्देश्य न केवल शारीरिक दक्षता बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों की रक्षा भी था। यह परंपरा आज भी हमारे समाज में जीवित है और हमें हमारे गौरवशाली अतीत से जोड़ती है।