Trending
Friday, 2025 March 21
क्या काम करते है शरीर के 7 चक्र, जानिए उनका महत्व
Updates / 2025/01/21

क्या काम करते है शरीर के 7 चक्र, जानिए उनका महत्व

हमारे शरीर में सात प्रमुख चक्र होते हैं, जो ऊर्जा के केंद्र होते हैं। यह चक्र हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य से गहरे जुड़े होते हैं। चक्रों का संतुलन बनाए रखना जीवन में शांति और समृद्धि लाने में मदद करता है। इस ब्लॉग में हम शरीर के 7 चक्र और उनके नामों के बारे में विस्तार से जानेंगे, साथ ही यह भी समझेंगे कि ये चक्र कैसे काम करते हैं।

1. मूलाधार चक्र (Root Chakra)

यह चक्र हमारी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में स्थित होता है। यह चक्र हमें सुरक्षा, स्थिरता और अस्तित्व का एहसास कराता है। यदि यह चक्र ठीक से काम करता है, तो व्यक्ति अपने जीवन में आत्मविश्वास और संतुलन महसूस करता है। इसे भौम मंडल के नाम से भी जाना जाता है। इस चक्र का रंग लाल होता है और इसका बीज अक्षर 'लं' है। इसका मुख्य विषय काम—वासना, लालसा और सनक में निहित है। शारीरिक रूप से मूलाधार काम-वासना को, मानसिक रूप से स्थायित्व को, भावनात्मक रूप से इंद्रिय सुख को और आध्यात्मिक रूप से सुरक्षा की भावना को नियंत्रित करता है।

संतुलन में: आत्मविश्वास, सुरक्षित और स्थिर जीवन
असंतुलन में: भय, चिंता, अनिश्चितता



2. स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra)

यह चक्र नाभि के नीचे स्थित होता है और यह हमारी रचनात्मकता से जुड़ा होता है। यह चक्र हमारे भीतर के आनंद और सृजनात्मकता को जागृत करता है। इस चक्र का बीज अक्षर 'वं' है। स्वाधिष्ठान का मुख्य विषय संबंध, हिंसा, व्यसनों, मौलिक भावनात्मक आवश्यकताएं और सुख है। शारीरिक रूप से स्वाधिष्ठान प्रजनन, मानसिक रूप से रचनात्मकता, भावनात्मक रूप से खुशी और आध्यात्मिक रूप से उत्सुकता को नियंत्रित करता है। त्रिक चक्र का प्रतीक छह पंखुडिय़ों और उससे परस्पर जुदा नारंगी रंग का एक कमल है।

संतुलन में: रचनात्मकता, भावनाओं का संतुलन
असंतुलन में: भावनात्मक अस्थिरता



3. मणिपुर चक्र (Solar Plexus Chakra)

यह चक्र पेट के ऊपरी हिस्से में स्थित होता है और यह हमारी आत्म-प्रेरणा, आत्म-विश्वास और शक्ति से जुड़ा है। यह चक्र मानसिक दृष्टिकोण को प्रभावित करता है और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है। इसका प्रतीक दस पंखुडिय़ों वाला कमल है। मणिपुर चक्र से मेल खाता रंग पीला है। मुख्य विषय जो मणिपुर द्वारा नियंत्रित होते हैं, ये विषय है निजी बल, भय, व्यग्रता, मत निर्माण, अंतर्मुखता और सहज या मौलिक से लेकर जटिल भावना तक के परिवर्तन, शारीरिक रूप से मणिपुर पाचन, मानसिक रूप से निजी बल, भावनात्मक रूप से व्यापकता और आध्यात्मिक रूप से सभी उपादानों के विकास को नियंत्रित करता है।

संतुलन में: आत्म-विश्वास, सकारात्मक दृष्टिकोण
असंतुलन में: आत्म-संशय, शक्ति की कमी



4. अनाहत चक्र (Heart Chakra)

यह चक्र हृदय के क्षेत्र में स्थित होता है और यह प्रेम, दया, और सहानुभूति से जुड़ा है। जब यह चक्र संतुलित होता है, तो व्यक्ति अपने आप और दूसरों के प्रति प्रेम और समझ विकसित करता है। इस चक्र का बीज अक्षर 'यं' है। इस चक्र का रंग हल्का हरा होता है और इसमें 12 पंखुडियां होती हैं। अनाहत से जुड़े मुख्य विषय जटिल भावनाएं, करुणा, सहृदयता, समर्पित प्रेम, संतुलन, अस्वीकृति और कल्याण है। शारीरिक रूप से अनाहत संचालन को नियंत्रित करता है, भावनात्मक रूप से अपने और दूसरों के लिए समर्पित प्रेम, मनासिक रूप से आवेश और आध्यात्मिक रूप से समर्पण को नियंत्रित करता है।

संतुलन में: प्रेम, करुणा, आत्मीयता
असंतुलन में: भावनात्मक दूरी, प्रेम में कमी



5. विशुद्ध चक्र (Throat Chakra)

यह चक्र गले के क्षेत्र में स्थित होता है और यह संवाद, आत्म-अभिव्यक्ति और सच बोलने से जुड़ा है। यह चक्र हमारे विचारों और शब्दों को सही तरीके से व्यक्त करने में मदद करता है। इस चक्र का बीज अक्षर 'हं' है और इसमें 16 पंखुड़ियां हैं। विशुद्ध की पहचान हल्के या पीलापन लिये हुए नीले या फिरोजी रंग है। यह आत्माभिव्यक्ति और संप्रेषण जैसे विषयों, जैसा कि ऊपर चर्चा की गयी हैं, को नियंत्रित करता है। शारीरिक रूप से विशुद्ध संप्रेषण, भावनात्मक रूप से स्वतंत्रता, मानसिक रूप से उन्मुक्त विचार और आध्यात्मिक रूप से सुरक्षा की भावना को नियंत्रित करता है।
 
संतुलन में: स्पष्ट संवाद, आत्म-व्यक्तित्व
असंतुलन में: गुमशुदा आवाज, असामाजिकता



6. आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra)

यह चक्र भृकुटि के बीच में स्थित होता है और यह अंतर्दृष्टि, ध्यान, और मानसिक जागरूकता से जुड़ा है। जब यह चक्र संतुलित होता है, तो व्यक्ति का मानसिक दृष्टिकोण स्पष्ट और एकाग्र रहता है। इस चक्र के दो बीज अक्षर हैं एक 'ह' और दूसरा 'क्ष'। साथ ही इस चक्र में केवल दो पंखुड़ियां ही मौजूद रहती हैं। और यह सफेद, नीले या गहरे नीले रंग से मेल खाता है। आज्ञा का मुख्य विषय उच्च और निम्न अहम को संतुलित करना और अंतरस्थ मार्गदर्शन पर विश्वास करना है। आज्ञा का निहित भाव अंतज्र्ञान को उपयोग में लाना है। मानसिक रूप से, आज्ञा दृश्य चेतना के साथ जुड़ा होता है। भावनात्मक रूप से, आज्ञा शुद्धता के साथ सहज ज्ञान के स्तर से जुड़ा होता है।

संतुलन में: स्पष्ट सोच, अंतरदृष्टि
असंतुलन में: भ्रम, निर्णय लेने में कठिनाई



7. सहस्रार चक्र (Crown Chakra)

यह चक्र सिर के शीर्ष पर स्थित होता है और यह हमारे आध्यात्मिक ज्ञान, ब्रह्मा से जुड़ाव और उच्च चेतना का प्रतीक है। यह चक्र शांति, ऊर्जा और मानसिक संतुलन लाता है। इस चक्र का कोई बीज अक्षर नहीं है और इसके माध्यम से केवल गुरु का ध्यान किया जाता है। इसका प्रतीक कमल की एक हजार पंखुडिय़ां हैं। सहस्रार बैंगनी रंग का प्रतिनिधित्व करती है और यह आतंरिक बुद्धि और दैहिक मृत्यु से जुड़ी होती है। 

संतुलन में: आध्यात्मिक जागरूकता, शांति
असंतुलन में: मानसिक अव्यवस्था, आत्मा से दूर होना



शरीर के चक्रों का संतुलन और महत्त्व
चक्रों का संतुलन हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव डालता है। जब चक्र सही तरीके से काम करते हैं, तो शरीर में ऊर्जा का प्रवाह सुचारू रूप से होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में शांति और खुशहाली आती है। अगर चक्र असंतुलित होते हैं, तो यह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का कारण बन सकता है।

चक्रों को संतुलित करने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम और सही आहार का पालन करना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, क्रिस्टल थेरेपी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे उपकरण भी चक्रों के संतुलन में मदद कर सकते हैं।


Frequently Asked Questions

शरीर के 7 चक्र कौन से होते हैं?
शरीर के 7 चक्र हैं: मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा, और सहस्रार चक्र।
चक्रों का संतुलन क्यों जरूरी है?
चक्रों का संतुलन हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, क्योंकि ये हमारी ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करते हैं।
चक्रों को संतुलित करने के लिए क्या करना चाहिए?
चक्रों को संतुलित करने के लिए योग, ध्यान, प्राणायाम, सही आहार और मानसिक शांति की आवश्यकता होती है।
चक्रों का असंतुलन किस तरह के शारीरिक या मानसिक समस्याएं उत्पन्न कर सकता है?
असंतुलित चक्रों के कारण चिंता, तनाव, आत्म-संशय, या शारीरिक बीमारियां हो सकती हैं।
क्या ध्यान और योग से चक्रों को संतुलित किया जा सकता है?
हाँ, ध्यान और योग से चक्रों को संतुलित किया जा सकता है, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार लाते हैं।

Tranding


HappyZindagi

contact@happyzindagi.com

© Happy Zindagi. All Rights Reserved.