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घर का मंदिर कौनसी दिशा में होना शुभ होता है और घर में मंदिर स्थापित करते वक्त ध्यान रखने योग्य बातें
Updates / 2024/07/17

घर का मंदिर कौनसी दिशा में होना शुभ होता है और घर में मंदिर स्थापित करते वक्त ध्यान रखने योग्य बातें

घर का मंदिर कौनसी दिशा में होना शुभ होता है: वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में मंदिर की दिशा का विशेष महत्व होता है। उत्तर-पूर्व दिशा, जिसे ईशान कोण भी कहा जाता है, घर में मंदिर के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। इस दिशा में मंदिर स्थापित करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और घर में सुख-समृद्धि आती है।



ईशान कोण घर मे कोनसा होता है 

ईशान कोण वह दिशा होती है जो उत्तर और पूर्व दिशा के बीच की होती है। इसे उत्तर-पूर्व दिशा भी कहा जाता है। वास्तु शास्त्र में ईशान कोण को सबसे शुभ और पवित्र दिशा माना गया है। इस दिशा में मंदिर, पूजा स्थल या किसी भी धार्मिक गतिविधि का स्थान रखना अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिशा में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह अधिक होता है।


ईशान कोण के लाभ

सकारात्मक ऊर्जा: ईशान कोण में स्थापित मंदिर या पूजा स्थल से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
सुख-समृद्धि: इस दिशा में पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का निवास होता है।
स्वास्थ्य: ईशान कोण में पूजा करने से परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
आध्यात्मिक उन्नति: इस दिशा में ध्यान और पूजा करने से आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।




घर में मंदिर स्थापित करते वक्त ध्यान रखने योग्य बातें

स्थान का चयन:

मंदिर के लिए ऐसा स्थान चुनें जो शांत और स्वच्छ हो। यह स्थान घर के मुख्य द्वार के सामने या सीढ़ियों के नीचे नहीं होना चाहिए।
मंदिर को शौचालय या बाथरूम के समीप स्थापित करने से बचें।

मूर्तियों की स्थापना:

भगवान की मूर्तियाँ स्वच्छ और बिना टूट-फूट की होनी चाहिए।
मूर्तियों का आकार बहुत बड़ा या बहुत छोटा नहीं होना चाहिए।


दीवारों का रंग:

मंदिर की दीवारों का रंग हल्का और शांतिपूर्ण होना चाहिए जैसे कि सफेद, हल्का पीला, या हल्का नीला। इससे मन को शांति मिलती है और पूजा में ध्यान केंद्रित होता है।

दीपक और अगरबत्ती:

दीपक और अगरबत्ती हमेशा भगवान की मूर्तियों के सामने रखें। इससे मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
दीपक जलाते समय ध्यान दें कि उसकी रोशनी सीधी भगवान की मूर्तियों पर पड़े।



अन्य आवश्यक वस्तुएँ:

मंदिर में केवल पूजा से संबंधित वस्तुओं का ही स्थान होना चाहिए। अन्य वस्तुएँ वहाँ न रखें।
पूजा के बाद भगवान के वस्त्र, फूल और अन्य पूजा सामग्री को समय-समय पर बदलते रहें।

मंदिर का आकार और दिशा:

मंदिर का आकार बहुत बड़ा या बहुत छोटा नहीं होना चाहिए।
मंदिर के दरवाजे पूर्व या उत्तर दिशा की ओर खुलने चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।
घर में मंदिर की स्थापना एक पवित्र कार्य है। यदि इसे सही दिशा और नियमों का पालन करते हुए स्थापित किया जाए, तो घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। वास्तु शास्त्र के इन नियमों का पालन करके आप अपने घर में एक शुभ और सकारात्मक वातावरण बना सकते हैं।

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Frequently Asked Questions

घर में मंदिर की सबसे शुभ दिशा कौनसी होती है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में मंदिर की सबसे शुभ दिशा उत्तर-पूर्व होती है।
क्या घर के मंदिर में किसी विशेष प्रकार की मूर्तियाँ होनी चाहिए?
हां, घर के मंदिर में भगवान की मूर्तियाँ स्वच्छ और शुभ होनी चाहिए, साथ ही आकार में उचित होनी चाहिए।
क्या मंदिर में दर्पण लगाना उचित होता है?
नहीं, मंदिर में दर्पण नहीं लगाना चाहिए क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
घर के मंदिर में कौनसे रंग का उपयोग करना शुभ होता है?
घर के मंदिर में सफेद, हल्का पीला, या हल्का नीला रंग शुभ माने जाते हैं।
मंदिर में दीपक और अगरबत्ती कहाँ रखना चाहिए?
मंदिर में दीपक और अगरबत्ती भगवान की मूर्तियों के सामने रखना चाहिए ताकि उनकी रोशनी मूर्तियों पर पड़े।

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