वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में छत पर जाने के लिए सीढ़ी का मुख किस दिशा में रखें
वास्तु शास्त्र में घर के हर हिस्से की दिशा और स्थान का विशेष महत्व होता है। इसी प्रकार घर में सीढ़ी लगाने की दिशा भी सकारात्मक ऊर्जा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि सीढ़ी सही दिशा में न हो, तो यह परिवार के स्वास्थ्य और समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। इसलिए छत पर जाने के लिए सीढ़ी का मुख उचित दिशा में होना आवश्यक है।
सीढ़ी लगाने की सही दिशा क्या होनी चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार छत पर जाने के लिए सीढ़ी का मुख दक्षिण या पश्चिम दिशा में होना चाहिए। ये दिशाएं स्थिरता और प्रगति का प्रतीक मानी जाती हैं। इन दिशाओं में सीढ़ी का मुख रखने से घर में स्थायित्व और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
किन दिशाओं में सीढ़ी का मुख नहीं होना चाहिए?
सीढ़ी का मुख उत्तर और पूर्व दिशा में नहीं होना चाहिए। यह दिशाएं वास्तु के अनुसार हल्की मानी जाती हैं और इनमें सीढ़ी लगाने से घर में अस्थिरता और नकारात्मकता का प्रभाव बढ़ सकता है।
सीढ़ी बनवाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
सीढ़ी की संख्या: सीढ़ी की कुल संख्या हमेशा विषम होनी चाहिए। यह शुभता का प्रतीक है।
सीढ़ी का आकार: घुमावदार और सीधी सीढ़ियों में से सीधी सीढ़ी को प्राथमिकता दें।
सीढ़ी के नीचे का स्थान: सीढ़ी के नीचे पूजा स्थान या स्टोर रूम नहीं बनाना चाहिए। यह वास्तु दोष उत्पन्न करता है।
सीढ़ी के रंग: हल्के और शुभ रंगों का प्रयोग करें, जैसे कि हल्का भूरा या क्रीम।
सीढ़ी की दिशा से संबंधित वास्तु दोष और उनके उपाय
यदि घर में सीढ़ी गलत दिशा में बनाई गई है, तो इसे ठीक करने के लिए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं:
सीढ़ी के नीचे लाल रंग का कंबल या कपड़ा रखें।
वास्तु दोष निवारण के लिए ब्रास (पीतल) का कछुआ या अन्य शुभ चिन्ह लगाएं।
घर में सीढ़ी की सही दिशा का चयन करना घर की शांति, समृद्धि और स्थायित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है। दक्षिण और पश्चिम दिशा में सीढ़ी का मुख रखना शुभता लाता है। वास्तु नियमों का पालन कर सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करें और अपने जीवन को खुशहाल बनाएं।