घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर / कैसे पहुंचे घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग / घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के आसपास घूमने की जगह
घृष्णेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम है, जिसे 'घुश्मेश्वर' के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा की गुफाओं के पास स्थित है। इसकी प्राचीनता, धार्मिक महत्त्व और अद्वितीय वास्तुकला इसे भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में स्थान प्रदान करती है।
कैसे बना घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
इस मंदिर का इतिहास कई सदियों पुराना है। इसे पहले रानी अहिल्याबाई होलकर ने पुनर्निर्मित किया था। इस मंदिर से जुड़ी कथा के अनुसार, एक घुश्मा नामक भक्त ने यहां भगवान शिव की आराधना की और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर इसे घृष्णेश्वर नाम दिया। घृष्णेश्वर मंदिर माराठा शैली में निर्मित है। इसकी दीवारों और स्तंभों पर की गई नक्काशी और मूर्तियां इसकी भव्यता को दर्शाती हैं। मंदिर की गुम्बद और प्रवेश द्वार पर की गई कारीगरी देखने योग्य है।
यह मंदिर शिवभक्तों के लिए मोक्ष प्राप्ति का स्थान माना जाता है। यहां दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है। महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। मंदिर तक पहुंचने के लिए औरंगाबाद निकटतम हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन है। मंदिर के पास एलोरा की गुफाएं, दौलताबाद का किला और अजन्ता की गुफाएं भी देखने लायक स्थान हैं। घृष्णेश्वर मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां आकर न केवल भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि अद्भुत वास्तुकला और इतिहास का अनुभव भी होता है। अगर आप भी भगवान शिव के दर्शन करना चाहते हैं, तो घृष्णेश्वर मंदिर की यात्रा अवश्य करें।
घृष्णेश्वर मंदिर कैसे जाएं?
घृष्णेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के वेरुल गांव में स्थित है, जो एलोरा की गुफाओं के बहुत पास है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए विभिन्न साधन उपलब्ध हैं।
1. हवाई मार्ग से:
निकटतम हवाई अड्डा औरंगाबाद एयरपोर्ट है, जो मंदिर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से टैक्सी या बस के जरिए मंदिर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
2. रेल मार्ग से:
निकटतम रेलवे स्टेशन औरंगाबाद रेलवे स्टेशन है, जो लगभग 30 किलोमीटर दूर है। यहां से आप टैक्सी, कैब, या बस का उपयोग कर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
3. सड़क मार्ग से:
घृष्णेश्वर मंदिर सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। औरंगाबाद से एलोरा की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है, और यहां तक बसें और निजी वाहन उपलब्ध हैं।
मुंबई से दूरी: लगभग 330 किलोमीटर
पुणे से दूरी: लगभग 260 किलोमीटर
4. निजी वाहन:
अगर आप अपनी गाड़ी से यात्रा कर रहे हैं, तो औरंगाबाद से एलोरा जाने वाली सड़क का अनुसरण करें। पार्किंग की सुविधा मंदिर के पास उपलब्ध है।
5. टूर ऑपरेटर और गाइड:
अगर आप टूर पैकेज लेना चाहते हैं, तो कई टूर ऑपरेटर्स औरंगाबाद से एलोरा और घृष्णेश्वर मंदिर के लिए सुविधाजनक यात्रा पैकेज प्रदान करते हैं।
घृष्णेश्वर मंदिर पहुंचने के बाद, आप पास स्थित अन्य दर्शनीय स्थलों जैसे एलोरा की गुफाएं, दौलताबाद किला, और अजन्ता गुफाओं की यात्रा भी कर सकते हैं।
घृष्णेश्वर मंदिर के आसपास घूमने की जगहें
घृष्णेश्वर मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं है, बल्कि इसके आसपास कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की जगहें भी स्थित हैं। यहां की यात्रा के दौरान आप इन स्थलों का भी आनंद ले सकते हैं।
1. एलोरा की गुफाएं
घृष्णेश्वर मंदिर से केवल 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एलोरा गुफाएं विश्व धरोहर स्थल हैं। यहां 34 गुफाएं हैं, जो हिंदू, बौद्ध, और जैन धर्म से संबंधित हैं। गुफा संख्या 16, जिसे कैलाश मंदिर कहा जाता है, अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।
2. दौलताबाद का किला
मंदिर से लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थित यह किला भारत के सबसे मजबूत किलों में से एक है। इसका निर्माण यादव वंश ने करवाया था, और यहां की घुमावदार सुरंगें और भव्य वास्तुकला इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
3. अजंता की गुफाएं
घृष्णेश्वर मंदिर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये गुफाएं भी विश्व धरोहर स्थल हैं। यहां की बौद्ध चित्रकारी और मूर्तियां अद्वितीय हैं। यह स्थान कला और इतिहास के प्रेमियों के लिए खास है।
4. पंचकी (जल मिल)
औरंगाबाद में स्थित यह ऐतिहासिक जल मिल एक प्राचीन हाइड्रोलिक प्रणाली है। इसे 17वीं सदी में बनाया गया था और यह वास्तुशिल्प का एक उत्कृष्ट नमूना है।
5. जयकवाड़ी बांध और नाथ सागर झील
यह स्थान मंदिर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। यहां आप पक्षी अभयारण्य और झील का आनंद ले सकते हैं। यह प्रकृति प्रेमियों के लिए एक बेहतरीन जगह है।
सुझाव
घृष्णेश्वर मंदिर की यात्रा के साथ इन स्थलों का भ्रमण आपके अनुभव को और भी यादगार बना देगा। समय प्रबंधन के लिए आप एक दिन में एलोरा गुफाओं और दौलताबाद किले की यात्रा कर सकते हैं, जबकि बाकी स्थलों के लिए अलग दिन निर्धारित करें।