अब उत्तराखंड के बाद गुजरात मे भी लागू होगा UCC / क्या है (UCC) समान नागरिक संहिता? विस्तार से जाने
गुजरात सरकार आज यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बड़ा ऐलान कर सकती है. दोपहर 12:15 बजे गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे जिसमें UCC की कमेटी को लेकर घोषणा हो सकती है. अनुमान है कि इस कमेटी में 3 से 5 सदस्य हो सकते हैं.
उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर दिया गया है. वहां अब पुराने कई कानून बदल गए हैं, जैसे अब उत्तराखंड में शादी के साथ-साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स को भी अपना रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है. इसके अलावा अब उत्तराखंड में बेटे और बेटी के लिए माता-पिता की प्रॉपर्टी में भी बराबरी का कानून लागू हो गया है. सभी धर्मों के लिए शादी और तलाक के नियम अब एक समान होंगे.
क्या है UCC
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान नागरिक कानून व्यवस्था लागू करने की संकल्पना है। इसका उद्देश्य देश में विवाह, तलाक, गोद लेना, उत्तराधिकार और संपत्ति विभाजन से जुड़े सभी मामलों के लिए एक समान कानून लागू करना है, जिससे विभिन्न धार्मिक समुदायों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों की आवश्यकता न रहे। समान नागरिक संहिता धर्म की परवाह किए बिना सभी नागरिकों के व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने के लिए कानूनों का एक सेट रखती है, जो यह सुनिश्चित करती है कि उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकार सुरक्षित हैं।
भारत में UCC का इतिहास
संविधान में UCC का उल्लेख: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में राज्य के नीति निदेशक तत्वों में समान नागरिक संहिता को लागू करने की बात कही गई है।
संविधान सभा में चर्चा: जब संविधान बन रहा था, तब इस पर लंबी बहस हुई, लेकिन इसे तत्काल लागू नहीं किया गया।
गोवा में UCC: वर्तमान में, गोवा भारत का एकमात्र राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता लागू है।
विभिन्न कानून आयोगों की सिफारिशें: समय-समय पर विधि आयोग ने UCC को लागू करने पर अपनी रिपोर्ट दी है, लेकिन इसे अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर लागू नहीं किया गया।
समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के फायदे
समानता और न्याय: सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होने से लैंगिक और धार्मिक भेदभाव समाप्त होगा।
महिला सशक्तिकरण: मुस्लिम पर्सनल लॉ समेत कई व्यक्तिगत कानूनों में महिलाओं को कम अधिकार मिले हैं, UCC से उन्हें समान अधिकार मिलेंगे।
कानूनी जटिलताओं में कमी: विभिन्न समुदायों के अलग-अलग कानूनों के कारण न्यायपालिका पर बोझ बढ़ता है, UCC से इसे कम किया जा सकता है।
राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा: एक समान कानून होने से देश में सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को मजबूती मिलेगी।
आधुनिक समाज के अनुरूप कानून: UCC से पारंपरिक धार्मिक कानूनों में सुधार होगा और यह समाज की बदलती जरूरतों के अनुसार होगा।
UCC लागू करने की चुनौतियां
धार्मिक समुदायों का विरोध: कई धार्मिक समूह इसे अपनी परंपराओं और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ मानते हैं।
संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता: भारतीय संविधान धार्मिक स्वतंत्रता देता है, जिससे व्यक्तिगत कानूनों को बनाए रखने की छूट मिलती है।
सांस्कृतिक विविधता: भारत में अलग-अलग धर्मों और समुदायों की परंपराएं बहुत भिन्न हैं, ऐसे में एक कानून लागू करना मुश्किल हो सकता है।
राजनीतिक असहमति: राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय होने के कारण इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
व्यवहारिक दिक्कतें: व्यक्तिगत कानूनों को हटाकर एक नए कानून को लागू करने में प्रशासनिक और कानूनी चुनौतियां आ सकती हैं.
समान नागरिक संहिता (UCC) का उद्देश्य सभी नागरिकों को समान अधिकार और न्याय देना है। हालांकि, इसे लागू करने में कई सामाजिक और कानूनी चुनौतियां हैं। यह विषय समय-समय पर चर्चा में आता रहता है, और भविष्य में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इसे कैसे लागू करती है।
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