आषाढ़ महीने की गुप्त नवरात्रि मे माता की सवारी ला रही है भयानक संकेत, गुप्त नवरात्रि मे भूल कर भी नही करने चाहिए यह काम
हिंदू धर्म में सालभर में कुल चार नवरात्रि का पर्व आता है. हर साल आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 6 जुलाई से होगी. वहीं नवरात्रि का समापन 15 जुलाई 2024 को होगा. शास्त्रों में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व बताया गया है.आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में देवी मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की आराधना की जाती है.
हर बार माता की सवारी अलग होती है. माता रानी किस वाहन पर सवार होकर आती हैं और जाती हैं, इसका प्रभाव धरती लोक पर जरूर पड़ता है. ऐसे में आइए उज्जैन के ज्योतिष रविवार शुक्ला से जानते हैं इस बार माता रानी आषाढ़ नवरात्रि में किस पर सवार होकर आ रही हैं.
घोड़े पर सवार होकर आएगी माता इस बार
धार्मिक मान्यता के अनुसार जब भी नवरात्रि की शुरुआत शनिवार के दिन से होती है. तब मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं. इस साल आषाढ़ नवरात्रि में मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं. माता रानी का घोड़े पर चढ़कर आना शास्त्रों के अनुसार अशुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि घोड़े पर आने से धरती लोक पर प्राकृतिक आपदा बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है.
घोड़े पर माता का आगमन देता है यह संकेत
युद्ध और संघर्ष का संकेत:
घोड़ा शक्ति, गति और युद्ध का प्रतीक माना जाता है। माता का घोड़े पर सवार होकर आना इस बात का संकेत होता है कि आने वाले समय में किसी प्रकार का संघर्ष, युद्ध या उथल-पुथल हो सकता है। यह संकेत देता है कि भक्तों को साहस, धैर्य और शक्ति की आवश्यकता होगी ताकि वे आने वाली कठिनाइयों का सामना कर सकें।
प्रगति और सफलता का प्रतीक:
घोड़ा केवल युद्ध का ही नहीं, बल्कि गति और प्रगति का भी प्रतीक है। माता का घोड़े पर आना यह दर्शाता है कि यदि भक्त अपने प्रयासों में दृढ़ रहेंगे और कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार रहेंगे, तो वे प्रगति और सफलता प्राप्त करेंगे। यह उन लोगों के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है जो अपने जीवन में किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयासरत हैं।
शत्रुओं पर विजय:
घोड़ा विजय और शक्ति का भी प्रतीक है। माता का घोड़े पर आना यह दर्शाता है कि भक्तों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी। यह शत्रु बाहरी भी हो सकते हैं और आंतरिक भी, जैसे कि बुरे विचार, बुरी आदतें और नकारात्मक ऊर्जा।
कठिन समय का संकेत:
माता का घोड़े पर आना यह भी संकेत दे सकता है कि आने वाला समय कठिन हो सकता है और भक्तों को अपनी मानसिक और शारीरिक शक्ति को बढ़ाने की आवश्यकता होगी। यह उन्हें तैयार रहने और अपने जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए सतर्क रहने का संदेश देता है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि महत्व
हिन्दू धर्म में गुप्त नवरात्रि का बहुत महत्व है. इस नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की गुप्त तरीके से पूजा की जाती है. इस नवरात्रि में तंत्र साधना का भी महत्व है. इस दौरान 10 महाविद्याओं की साधना करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और मन की हर मुराद पूरी होती है. ऐसा भी बताते हैं कि तांत्रिक अपनी सिद्धिया तंत्र-मंत्र व यंत्र को इस नवरात्रि मे जाग्रत करते हैं. ऐसा भी कह सकते हैं कि इनकी शक्ति बढ़ाते हैं.
गुप्त नवरात्रि मे यह सब करने से बचे
गुप्त नवरात्रि के दौरान कुछ विशेष नियमों और अनुशासन का पालन करना आवश्यक होता है। यह समय विशेष रूप से तांत्रिक साधनाओं और पूजा पद्धतियों के लिए होता है, इसलिए कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें इस दौरान करने से बचना चाहिए। इन कार्यों से बचने का मुख्य उद्देश्य साधना की शुद्धता बनाए रखना और देवी की कृपा प्राप्त करना होता है। यहाँ कुछ ऐसे कार्यों का उल्लेख किया गया है जिन्हें गुप्त नवरात्रि के दौरान करने से बचना चाहिए:
1. अशुद्धता का पालन न करें
- गुप्त नवरात्रि के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसलिए:
- साफ-सफाई का ध्यान रखें: रोज स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- मन को शुद्ध रखें: नकारात्मक विचारों, ईर्ष्या, द्वेष और क्रोध से बचें।
2. मांसाहार और तामसिक भोजन न करें
- गुप्त नवरात्रि के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। मांसाहार, मदिरा और तामसिक भोजन से बचें:
- मांसाहार न करें: मांस, मछली, अंडे आदि का सेवन न करें।
- मदिरा से दूर रहें: शराब और अन्य मादक पदार्थों का सेवन न करें।
- प्याज और लहसुन का सेवन न करें: प्याज और लहसुन जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों से बचें।
3. सामाजिक और भौतिक सुख-सुविधाओं का त्याग करें
- गुप्त नवरात्रि के दौरान भौतिक सुख-सुविधाओं और ऐश्वर्य से दूर रहना चाहिए:
- आरामदायक जीवन शैली से बचें: साधक को सादा जीवन जीना चाहिए।
- अधिक समय साधना में बिताएं: सामाजिक गतिविधियों और पार्टियों से बचें।
4. वाणी और व्यवहार में संयम रखें
- गुप्त नवरात्रि के दौरान अपने वाणी और व्यवहार में संयम बनाए रखें:
- अशब्द भाषा का प्रयोग न करें: किसी को अपशब्द न कहें।
- झूठ न बोलें: सत्य बोलें और झूठ से बचें।
- दूसरों की निंदा न करें: किसी की बुराई या निंदा न करें।
5. अत्यधिक निद्रा और आलस्य से बचें
- गुप्त नवरात्रि के दौरान अत्यधिक सोने और आलस्य से बचना चाहिए:
- समय पर उठें: सूर्योदय से पहले उठने का प्रयास करें।
- आलस्य न करें: आलस्य से बचें और साधना में ध्यान लगाएं।
6. अनावश्यक व्यय और फिजूलखर्ची न करें
- गुप्त नवरात्रि के दौरान अनावश्यक खर्चों और फिजूलखर्ची से बचें:
- साधारण जीवन शैली अपनाएं: साधारण कपड़े पहनें और साधारण भोजन करें।
- धन का दुरुपयोग न करें: अपने धन का सदुपयोग करें और अनावश्यक खर्चों से बचें।
7. अश्लीलता और अनैतिक कार्यों से बचें
- गुप्त नवरात्रि के दौरान अश्लील और अनैतिक कार्यों से बचना चाहिए:
- अश्लील सामग्री न देखें: टीवी, इंटरनेट या अन्य माध्यमों पर अश्लील सामग्री से दूर रहें।
- अनैतिक कार्यों से बचें: किसी भी प्रकार के अनैतिक कार्य न करें।
8. निंदा और आलोचना से बचें
- गुप्त नवरात्रि के दौरान निंदा और आलोचना से बचना चाहिए:
- किसी की निंदा न करें: दूसरों की निंदा और आलोचना से बचें।
- सकारात्मक विचार रखें: सकारात्मक सोच रखें और दूसरों की प्रशंसा करें।
Tags- इस दिन से शुरू गुप्त नवरात्रि , गुप्त नवरात्रि 2024 , गुप्त नवरात्रि 2024 कब है , आषढ़ माह गुप्त नवरात्रि 2024 , Navratri festival , gupt Navratri 2024 , gupt Navratri 2024 start date , local 18 , mp news , Madhya Pradesh news, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि महत्व