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गुरु पूर्णिमा 2024: तिथि, महत्त्व और उत्सव के बारे में पूरी जानकारी
Updates / 2024/07/20

गुरु पूर्णिमा 2024: तिथि, महत्त्व और उत्सव के बारे में पूरी जानकारी

गुरु पूर्णिमा क्या है?

गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है जिसे गुरु की पूजा और सम्मान के लिए मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु को श्रद्धा और सम्मान अर्पित करते हैं और उनके द्वारा दी गई शिक्षा और मार्गदर्शन के लिए आभार प्रकट करते हैं। यह पर्व विशेष रूप से अध्यात्मिक और शैक्षिक गुरुओं के लिए समर्पित है।



गुरु पूर्णिमा 2024 की तिथि

गुरु पूर्णिमा हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। 2024 में, गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जाएगी। यह दिन शिष्य और गुरु के पवित्र संबंध का प्रतीक है और पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।


गुरु पूर्णिमा का महत्त्व
गुरु पूर्णिमा का महत्त्व अनेक है। यह दिन गुरु की महत्ता को रेखांकित करता है और उनके द्वारा दिए गए ज्ञान और शिक्षा को सम्मानित करता है। गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास के सम्मान में भी मनाया जाता है, जिन्होंने महाभारत और वेदों की रचना की थी। इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।


क्यू मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा 

गुरु पूर्णिमा का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने महाभारत, 18 पुराण, और वेदों की रचना की थी। उनके सम्मान में यह दिन व्यास पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है।


गुरु पूर्णिमा की कथा


गुरु पूर्णिमा का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने महाभारत, 18 पुराण, और वेदों की रचना की थी। उनके सम्मान में यह दिन व्यास पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। 

आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास के बचपन की बात है। वेद व्यास ने अपने माता-पिता से भगवान के दर्शन की इच्छा ज़ाहिर की, लेकिन उनकी माता सत्यवती ने उनकी इच्छा पूरी करने से मना कर दिया। वेद व्यास जी हठ करने लगे, तो माता ने उन्हें वन जाने की आज्ञा दे दी। जाते समय माता ने वेद व्यास जी से कहा कि "जब घर की याद आए, तो लौट आना" इसके बाद वेद व्यास जी तपस्या करने के लिए वन चले गए। वन में उन्होंने बहुत कठोर तपस्या की। इस तपस्या के प्रभाव से वेद व्यास जी को संस्कृत भाषा का बहुत ज्ञान हो गया। फिर उन्होंने चारों वेदों का विस्तार किया। इतना ही नहीं, उन्होंने महाभारत, अठारह पुराण और ब्रह्मसूत्र की रचना भी की। महर्षि वेद व्यास जी को चारों वेदों का ज्ञान था, इसीलिए गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा करने की परम्परा चली आ रही है। वेद व्यास जी ने भागवत पुराण का ज्ञान भी दिया था।

गुरु पूर्णिमा उत्सव

गुरु पूर्णिमा के दिन विभिन्न अनुष्ठान और पूजा विधियों का आयोजन किया जाता है। शिष्य अपने गुरु के चरणों में पूजा अर्पित करते हैं, हवन करते हैं, और विशेष ध्यान सत्रों का आयोजन करते हैं। इस दिन आश्रमों और मठों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां गुरु और शिष्य एकत्रित होते हैं और आध्यात्मिक चर्चाएं करते हैं।



गुरु पूजा विधि

गुरु पूर्णिमा के दिन, शिष्य अपने गुरु को विशेष पूजा अर्पित करते हैं। इसमें चरण वंदना, आरती, और विशेष मंत्रों का जाप शामिल होता है। शिष्य अपने गुरु को फूल, वस्त्र, और अन्य उपहार देते हैं। गुरु की दी गई शिक्षा और मार्गदर्शन के लिए आभार प्रकट किया जाता है और उनके चरणों में बैठकर ज्ञान प्राप्त किया जाता है

समापन 

गुरु पूर्णिमा एक पवित्र पर्व है जो गुरु और शिष्य के बीच के संबंध को और भी मजबूत बनाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि गुरु का जीवन में क्या महत्त्व है और उनके द्वारा दी गई शिक्षा और मार्गदर्शन के बिना हमारा जीवन अधूरा है। 2024 में, 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के पवित्र पर्व को मनाएं और अपने गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान अर्पित करें।

गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर सभी को शुभकामनाएं!

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Frequently Asked Questions

गुरु पूर्णिमा 2024 की तिथि क्या है?
गुरु पूर्णिमा 2024 में 21 जुलाई को मनाई जाएगी।
गुरु पूर्णिमा का महत्त्व क्या है?
गुरु पूर्णिमा गुरु की पूजा और सम्मान का पर्व है, जो अध्यात्मिक ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उन्हें धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा पर कौन से विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं?
गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजा, विशेष हवन, और ध्यान आदि अनुष्ठान किए जाते हैं।
क्या गुरु पूर्णिमा केवल हिंदू धर्म में मनाई जाती है?
नहीं, गुरु पूर्णिमा विभिन्न धर्मों में मनाई जाती है जैसे जैन और बौद्ध धर्म।
गुरु पूर्णिमा का इतिहास क्या है?
गुरु पूर्णिमा का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है, जब महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की थी।

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