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हरसिद्धि शक्तिपीठ: जानिए कोनसा अंग गिरा था यहा देवी सती का और राजा विक्रमादित्य की इस मंदिर से जुड़ी दिलचस्प कहानी
Updates / 2024/09/15

हरसिद्धि शक्तिपीठ: जानिए कोनसा अंग गिरा था यहा देवी सती का और राजा विक्रमादित्य की इस मंदिर से जुड़ी दिलचस्प कहानी

भारत में स्थित 51 शक्तिपीठों में हरि सिद्धि शक्तिपीठ का विशेष स्थान है। यह शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है, जो अपने आप में एक प्राचीन और पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है। उज्जैन का हरि सिद्धि मंदिर धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और यहां देवी हरि सिद्धि की पूजा की जाती है, जिन्हें इच्छाओं की पूर्ति करने वाली देवी माना जाता है।



हरसिद्धि शक्तिपीठ का धार्मिक महत्व:

हरसिद्धि शक्तिपीठ को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जहां देवी सती के अंग गिरे थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां देवी सती की कोहनी गिरी थी, जिससे इस स्थान को अत्यधिक महत्व प्राप्त हुआ। इस मंदिर की देवी हरि सिद्धि को अद्वितीय सिद्धियों और शक्तियों की देवी माना जाता है, और यहां आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।



मंदिर का ऐतिहासिक महत्व:

हरसिद्धि शक्तिपीठ का निर्माण सम्राट विक्रमादित्य के काल में हुआ था। यह मंदिर प्राचीन शिल्पकला और वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर का उल्लेख कई पौराणिक और ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलता है, जो इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है।


2 बड़े दीप स्तम्भ 

मंदिर के गर्भगृह में देवी हरसिद्धि की मूर्ति स्थापित है। यहां देवी महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्तियां भी पूजित हैं, जो मंदिर की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाती हैं। मंदिर की एक अन्य विशेषता इसके दो बड़े दीप स्तंभ हैं, जिन्हें नवरात्रि और अन्य विशेष अवसरों पर प्रज्वलित किया जाता है। दीपों से सजी ये स्तंभ मंदिर की शोभा को चार चांद लगाते हैं और भक्तों के लिए अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करते हैं।



राजा विक्रमादित्य ने अर्पित किए थे 12 बार अपना सिर 

मंदिर के ठीक पीछे एक कोने में कुछ सिर रखे हैं जिन पर सिंदूर लगा हुआ है। कहा जाता है कि ये राजा विक्रमादित्य के सिर हैं। लोक कथाओं के मुताबिक विक्रमादित्य ने देवी को प्रसन्न करने के लिए हर 12वें वर्ष में अपने सिर की बलि दी थी। उन्होंने 11 बार ऐसा किया, लेकिन हर बार सिर वापस आ जाता था। जब 12वीं बार उन्होंने सिर की बलि दी तो यह वापस नहीं आया। इसे उनके शासन का अंत माना गया।



हरसिद्धि शक्तिपीठ की यात्रा:

हरसिद्धि शक्तिपीठ की यात्रा का सही समय नवरात्रि के दौरान होता है, जब यहां विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं। इस समय मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ होती है, और देवी की आराधना में डूबे भक्त अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। इसके अलावा, साल के अन्य समय भी यहां दर्शन किए जा सकते हैं और देवी का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।



कैसे पहुंचे हरि सिद्धि शक्तिपीठ:

हरसिद्धि मंदिर, उज्जैन शहर के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यह महाकालेश्वर मंदिर के नजदीक स्थित है, जिसे एक ही यात्रा में देखा जा सकता है। उज्जैन तक ट्रेन, बस और हवाई यात्रा के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां से हरसिद्धि मंदिर तक ऑटो या टैक्सी की सुविधा उपलब्ध होती है।

हरसिद्धि शक्तिपीठ न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है। यहां देवी हरसिद्धि की पूजा अर्चना से भक्तों को अद्वितीय शांति और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। यदि आप भी धार्मिक स्थलों की यात्रा में रुचि रखते हैं, तो हरसिद्धि शक्तिपीठ का दर्शन अवश्य करें और देवी के आशीर्वाद से अपनी इच्छाओं की पूर्ति का अनुभव करें।

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Frequently Asked Questions

हरसिद्धि शक्तिपीठ कहाँ स्थित है?
हरसिद्धि शक्तिपीठ मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है, जो महाकालेश्वर मंदिर के पास एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है।
हरसिद्धि शक्तिपीठ का धार्मिक महत्व क्या है?
यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे। यहां देवी हरसिद्धि की पूजा की जाती है, जो भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।
हरसिद्धि मंदिर का इतिहास क्या है?
इस मंदिर का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। कहा जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। यहां देवी सती की शक्ति विद्यमान है।
हरसिद्धि शक्तिपीठ की यात्रा का सही समय क्या है?
साल भर हरसिद्धि शक्तिपीठ के दर्शन किए जा सकते हैं, लेकिन नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है और यह समय यात्रा के लिए उत्तम माना जाता है।
हरसिद्धि शक्तिपीठ में कौन-कौन सी देवी की पूजा होती है?
यहां देवी हरसिद्धि, देवी महालक्ष्मी और देवी महासरस्वती की पूजा की जाती है। साथ ही यहां दो प्राचीन दीप स्तंभ भी हैं जो मंदिर की विशेषता हैं।

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