6 सितम्बर को हरतालिका तीज कैसे करे, व्रत करने के नियम और विधि विस्तारपूर्वक
हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है और यह महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस व्रत को मुख्य रूप से सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने के लिए करती हैं। हरतालिका तीज का व्रत निर्जला होता है, जिसमें दिन भर बिना जल और भोजन ग्रहण किए पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन व्रत के नियमों का पालन करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि
हरतालिका तीज की पूजा विधि इस प्रकार है:
स्नान और शुद्धिकरण:
सबसे पहले प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान को साफ-सुथरा करें और पूजा के लिए सभी आवश्यक सामग्री एकत्रित करें।
व्रत संकल्प लें:
पूजा से पहले भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। व्रत संकल्प के साथ निर्जला उपवास की शुरुआत होती है।
शिव-पार्वती की स्थापना:
पूजा स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी या धातु की मूर्तियाँ स्थापित करें। साथ ही भगवान गणेश की मूर्ति भी स्थापित करें।
पूजन सामग्री तैयार करें:
पूजा के लिए बेलपत्र, धतूरा, पुष्प, फल, मिठाई, जल, दीपक, रोली, चावल और गंगा जल का उपयोग करें। शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं और बेलपत्र अर्पित करें।
पूजा विधि:
सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, फिर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, धूप-दीप जलाएं, और मंत्रों का उच्चारण करें। पूजा के अंत में हरतालिका तीज की कथा सुनें, जिसमें शिव-पार्वती विवाह की कथा होती है।
रात्रि जागरण:
पूजा के बाद रातभर जागरण करें और भगवान शिव-पार्वती का ध्यान करते हुए भजन गाएं। इस दिन कथा सुनने का भी विशेष महत्व होता है।
व्रत का समापन:
अगले दिन प्रातः सूर्योदय के बाद व्रत का समापन होता है। पूजा संपन्न करने के बाद महिलाएं जल ग्रहण करती हैं और अपने व्रत को पूर्ण करती हैं।
हरतालिका तीज व्रत के नियम
हरतालिका तीज व्रत का पालन करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम होते हैं, जिन्हें ध्यान में रखना आवश्यक होता है:
निर्जला व्रत:
इस व्रत में पूरे दिन न तो जल ग्रहण किया जाता है और न ही भोजन। यह व्रत कठिन होता है, लेकिन इसका फल अत्यधिक शुभ माना जाता है।
रात्रि जागरण:
व्रत के दौरान रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। पूजा के बाद महिलाएं रात भर जागती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करती हैं।
सत्कार और आचरण:
इस दिन महिलाओं को सत्कर्म करने चाहिए। व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना आवश्यक होता है। किसी भी प्रकार के अपशब्दों या बुरे विचारों से बचना चाहिए।
पूजा सामग्री:
पूजा के लिए सभी आवश्यक सामग्री, जैसे कि बेलपत्र, धतूरा, जल, पुष्प, फल, रोली और मिठाई का विशेष महत्व होता है। इनका सही उपयोग करना पूजा की सफलता के लिए जरूरी होता है।
कथा सुनना:
हरतालिका तीज के दिन व्रत की कथा सुनना अनिवार्य होता है। यह कथा भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की कहानी को दर्शाती है और इसे सुनने से व्रत का पूर्ण फल मिलता है।
व्रत का महत्व और फल
हरतालिका तीज व्रत का अत्यधिक महत्व है। यह व्रत पति की लंबी उम्र, सुखी जीवन और दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का निवारण होता है और भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अविवाहित महिलाएं भी इस व्रत को रखकर मनचाहे वर की प्राप्ति कर सकती हैं।
व्रत का समापन
यह त्योहार करवाचौथ से भी कठिन माना जाता है क्योंकि जहां करवाचौथ में चन्द्र देखने के उपरांत व्रत सम्पन्न कर दिया जाता है, वहीं इस व्रत में पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत सम्पन्न जाता है। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं।
Tags- हरतालिका तीज 2024, हरतालिका तीज व्रत कैसे करें, हरतालिका तीज व्रत के नियम, हरतालिका तीज पूजा विधि, हरतालिका तीज का व्रत, हरतालिका तीज करने की विधि, हरतालिका तीज व्रत का महत्व, hartalika teej 6 September 2024, hartalika teej kaise kare, hartalika teej karne ke niyam, hartalika teej karne ki Vidhi, hartalik teej vrat vidhi