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काशी विश्वनाथ के दर्शन से पहले जान लो यह नियम, तो ही सफल होंगे दर्शन और मिलेगा दर्शन का पुण्य फल।
Updates / 2024/12/23

काशी विश्वनाथ के दर्शन से पहले जान लो यह नियम, तो ही सफल होंगे दर्शन और मिलेगा दर्शन का पुण्य फल।

काशी विश्वनाथ मंदिर, जो वाराणसी में स्थित है, केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। यह स्थान अपने रहस्यमयी और चमत्कारिक तथ्यों के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर की खासियत केवल इसकी पौराणिक महत्ता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके निर्माण, विनाश और पुनर्निर्माण की कहानियाँ भी उतनी ही अद्भुत हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है, जिसे भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। यह मंदिर हिंदू धर्म के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान शिव का दर्शन करने आते हैं। कहा जाता है कि काशी स्वयं भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित है और इसे "मुक्ति की नगरी" कहा जाता है। यहां आकर प्रार्थना करने और गंगा नदी में स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस मंदिर का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व इसे विश्व भर में अनूठा बनाता है।


काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास और रहस्य

इस मंदिर का इतिहास कई बार विनाश और पुनर्निर्माण की गाथाओं से जुड़ा हुआ है। प्राचीन काल में यह मंदिर कई बार नष्ट किया गया, लेकिन हर बार इसे भक्तों की श्रद्धा ने पुनः खड़ा कर दिया। मुगल शासक औरंगजेब द्वारा इसे नष्ट कर मस्जिद बना दी गई थी, जिसे बाद में मराठा महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने पुनर्निर्मित कराया। इसके शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है और इसके ऊपर स्थित अखंड ज्योति भक्तों के लिए एक रहस्य और श्रद्धा का केंद्र है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक अभिन्न हिस्सा भी है।

काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है। शिवलिंग के ऊपर स्थित ज्योति अखंड रूप से जलती रहती है। यह चमत्कार भक्तों को आश्चर्यचकित करता है और उनकी आस्था को और मजबूत करता है।

इस मंदिर का इतिहास संघर्ष और पुनर्निर्माण की गाथा है। मुगल सम्राट औरंगजेब ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था, लेकिन इसके स्थान पर एक मस्जिद बनाई गई। बाद में, मराठा महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसे पुनः निर्मित करवाया।


कैसे बसे माता पार्वती और शिव काशी मे 

जब भगवान शिव और माता पावर्ती का विवाह हुआ था, तब भोलेनाथ का निवास स्थान कैलाश पर्वत था और पार्वती मां अपने पिता के घर रहती थीं। लेकिन उनका मन यहां नहीं लग रहा था। एक बार जब शिव जी माता पार्वती से मिलने आए तो माता ने उन्हें अपने साथ ले जाने की प्रार्थना की। माता पार्वती की बात मानकर भगवान शिव उन्हें काशी ले आए और तब से यहीं बस गए।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की रोचक बातें

  • वैदिक पुराणों में बताया गया है कि काशी में भगवान विष्णु के अश्रु गिरे थे, जिससे बिंदु सरोवर का निर्माण हुआ था। साथ ही पुष्कर्णी का निर्माण भी उन्हीं के चिंतन से हुआ था।

  • बाबा विश्वनाथ के दर्शन से पहले उनके गण भैरवनाथ के दर्शन को अनिवार्य माना जाता है। मान्यता है कि काशी के कोतवाल अर्थात काल भैरव की अनुमति के बिना दर्शन का फल प्राप्त नहीं होता है।

  • काशी को मोक्षदायिनी भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जो मनुष्य यहां शरीर त्यागता है वह सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि कई लोग काशी में अपने जीवन का अंतिम समय व्यतीत करते हैं।

काशी शिव मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके रहस्यमयी तथ्य और अद्भुत कथाएँ इसे अद्वितीय बनाती हैं। यह स्थान भक्ति, श्रद्धा और रहस्य का अद्भुत संगम है, जो हर भक्त को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।


Frequently Asked Questions

काशी शिव मंदिर को काशी विश्वनाथ क्यों कहते हैं?
इसे काशी विश्वनाथ इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह भगवान शिव का निवास स्थान है और यह विश्व के स्वामी है
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास क्या है?
यह मंदिर प्राचीन काल में बनाया गया था, लेकिन मुगल काल में नष्ट कर दिया गया और बाद में मराठा महारानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा पुनर्निर्मित किया गया।
काशी में प्राण त्यागने का महत्व क्या है?
मान्यता है कि काशी में प्राण त्यागने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
काशी शिव मंदिर में कौन-सी खास चीजें देखी जा सकती हैं?
मंदिर का स्वयंभू शिवलिंग, अखंड ज्योति, और गंगा नदी का उत्तरवाहिनी प्रवाह यहां की खास बातें हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर कब जाएं?
सावन के महीने और महाशिवरात्रि के दौरान यहां आना सबसे उत्तम माना जाता है।

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