Trending
Monday, 2024 December 02
भगवान श्रीकृष्ण की सम्पूर्ण जन्म कथा
Updates / 2024/08/25

भगवान श्रीकृष्ण की सम्पूर्ण जन्म कथा

भगवान श्रीकृष्ण, हिन्दू धर्म के सबसे पूजनीय और प्रिय देवताओं में से एक हैं। उनके जीवन की हर घटना, चाहे वह उनके जन्म की हो या उनकी बाल लीलाओं की, एक विशेष महत्व रखती है। श्रीकृष्ण की कथा हमें जीवन में सत्य, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। आइए जानते हैं श्रीकृष्ण की सम्पूर्ण जन्म कथा और उनके जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों के बारे में।

श्रीकृष्ण जन्म कथा 

भागवत पुराण के अनुसार, द्वापर युग में मथुरा नगरी पर कंस नाम का एक अत्याचारी राजा शासन करता था। अपने पिता राजा उग्रसेन को गद्दी से हटाकर वो स्वयं राजा बन गया था। मथुरा की प्रजा उसके शासन में बहुत दुखी थी। लेकिन वो अपनी बहन देवकी को बहुत प्यार करता था। उसने देवकी का विवाह अपने मित्र वासुदेव से कराया। जब वो देवकी और वासुदेव को उनके राज्य लेकर जा रहा था तभी एक आकाशवाणी हुई - 'हे कंस! जिस बहन को तू उसके ससुराल छोड़ने जा रहा है, उसके गर्भ से पैदा होने वाली आठवीं संतान तेरी मौत का कारण बनेगी।'



आकाशवाणी सुनकर कंस क्रोधित हो उठा और वसुदेव को मारने बढ़ा। तब देवकी ने अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए कहा कि उनकी जो भी संतान जन्म लेगी, उसे वो कंस को सौंप देगी। कंस ने बहन की बात मान कर दोनों को कारागार में डाल दिया। कारागार में देवकी ने एक-एक करके सात बच्चों को जन्म दिया, लेकिन कंस ने उन सभी का वध कर दिया। हालांकि सातवीं संतान के रूप में जन्में शेष अवतार बलराम को योगमाया ने संकर्षित कर माता रोहिणी के गर्भ में पहुंचा दिया था। इसलिए ही बलराम को संकर्षण भी कहा जाता है।



आकाशवाणी के अनुसार, माता देवकी की आठवीं संतान रूप में स्वयं भगवान विष्णु कृष्ण अवतार के रूप में पृथ्वी पर जन्मे थे। उसी समय माता यशोदा ने एक पुत्री को जन्म दिया। इस बीच कारागार में अचानक प्रकाश हुआ और भगवान श्री हरि विष्णु प्रकट हुए। उन्होंने वसुदेव से कहा कि आप इस बालक को अपने मित्र नंद जी के यहां ले जाओ और वहां से उनकी कन्या को यहां लाओ।


भगवान विष्णु के आदेश से वसुदेव जी भगवान कृष्ण को सूप में अपने सिर पर रखकर नंद जी के घर की ओर चल दिए। भगवान विष्णु की माया से सभी पहरेदार सो गए, कारागार के दरवाजे खुल गए, यमुना ने भी शांत होकर वसुदेव जी के जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। वसुदेव भगवान कृष्ण को लेकर नंद जी के यहां सकुशल पहुंच गए और वहां से उनकी नवजात कन्या को लेकर वापस आ गए। जब कंस को देवकी की आठवीं संतान के जन्म की सूचना मिली। वह तत्काल कारागार में आया और उस कन्या को छीनकर पृथ्वी पर पटकना चाहा। लेकिन वह कन्या उसके हाथ से निकल कर आसमान में चली गई। फिर कन्या ने कहा- 'हे मूर्ख कंस! तूझे मारने वाला जन्म ले चुका है और वह वृंदावन पहुंच गया है। अब तुझे जल्द ही तेरे पापों का दंड मिलेगा।' वह कन्या कोई और नहीं, स्वयं योग माया थीं।

श्रीकृष्ण का जन्म और उनके आगमन का उद्देश्य

श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को हुआ था। यह दिन अब 'जन्माष्टमी' के रूप में मनाया जाता है। भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उनके जन्म का उद्देश्य धरती से अधर्म, अन्याय और पाप का नाश करना था। उनके जन्म से पूर्व उनकी माता देवकी और पिता वसुदेव को कारागार में कंस ने कैद कर रखा था, क्योंकि कंस को भविष्यवाणी से ज्ञात हो गया था कि देवकी का आठवां पुत्र ही उसका वध करेगा।

कंस द्वारा भेजे गए राक्षसों का वध

श्रीकृष्ण के जन्म के पश्चात कंस ने उन्हें मारने के लिए कई राक्षसों को भेजा। पूतना, शकटासुर, तृणावर्त, अघासुर जैसे राक्षसों ने श्रीकृष्ण को मारने की कोशिश की, लेकिन भगवान ने अपनी बाल लीलाओं से ही इन सभी राक्षसों का वध कर दिया। उनकी लीलाएँ इस बात का प्रतीक हैं कि धर्म का मार्ग कभी कठिन नहीं होता और ईश्वर सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

गोपियों के साथ रासलीला और माखन चोरी

श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं में माखन चोरी और गोपियों के साथ रासलीला प्रमुख हैं। माखन चुराना सिर्फ एक बाल लीला नहीं थी, बल्कि यह प्रेम और भक्ति का प्रतीक था। गोपियों के साथ श्रीकृष्ण की रासलीला आत्मा और परमात्मा के मिलन की अभिव्यक्ति थी। इन लीलाओं ने उन्हें 'माखनचोर' और 'रासबिहारी' के नाम से विख्यात किया।



कंस का वध और धर्म की स्थापना

जब श्रीकृष्ण बड़े हुए, तो उन्होंने मथुरा वापस जाकर कंस का वध किया और धर्म की स्थापना की। उनके द्वारा कंस का वध केवल एक राक्षस का अंत नहीं था, बल्कि यह अधर्म और अन्याय के प्रतीक का अंत था। इसके पश्चात, श्रीकृष्ण ने अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए, जिनमें महाभारत का युद्ध, गीता का उपदेश और धर्म की पुनः स्थापना शामिल है।

निष्कर्ष

भगवान श्रीकृष्ण की सम्पूर्ण जन्म कथा हमें जीवन में धर्म, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। उनकी लीलाएँ और उनके द्वारा किए गए कार्य हमें यह सिखाते हैं कि भले ही परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हो, सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलने से ही विजय प्राप्त होती है। श्रीकृष्ण का जीवन एक आदर्श जीवन का प्रतीक है, जिसे हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए। उनके जन्म से लेकर बाल लीलाओं तक की यह पावन कथा हर युग में प्रासंगिक रही है और सदैव रहेगी।

Tags- कृष्ण सम्पूर्ण जन्म कथा, श्रीकृष्ण जन्म कथा, भगवान कृष्ण की जन्म कथा, कृष्ण की बाल लीलाएँ, श्रीकृष्ण का जन्म, श्रीकृष्ण का जीवन परिचय, krishna janm katha, krisnna lila, today special, trending, trending today, trending news, tomorrow festival, 


Frequently Asked Questions

श्रीकृष्ण का जन्म किस समय हुआ था?
श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह की अष्टमी तिथि को हुआ था।
श्रीकृष्ण के माता-पिता कौन थे?
श्रीकृष्ण के माता-पिता वसुदेव और देवकी थे।
कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए क्या किया?
कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए कई राक्षसों को भेजा, लेकिन श्रीकृष्ण ने सभी राक्षसों का वध कर दिया।
श्रीकृष्ण को क्यों गोकुल भेजा गया था?
कंस के डर से वसुदेव ने श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा और नंद बाबा के पास भेज दिया था।
श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं में सबसे प्रसिद्ध लीला कौन सी है?
माखन चुराने और गोपियों के संग रासलीला श्रीकृष्ण की सबसे प्रसिद्ध बाल लीलाएँ हैं।

Tranding


HappyZindagi

contact@happyzindagi.com

© Happy Zindagi. All Rights Reserved.