कब करना चाहिए सामान्य लोगो को कुम्भ स्नान, पिछले जन्मो के सारे पापो से मिलेगी मुक्ति
कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। यह हर 12 साल में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक में आयोजित होता है। कुंभ मेले में संगम पर स्नान का विशेष महत्व है, जिसे पवित्रता, मोक्ष और आत्मिक शांति प्राप्त करने का साधन माना जाता है। यहां कुंभ स्नान के धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व पर विस्तार से जानकारी दी गई है।
कुंभ मेला हिंदू धर्म का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। इसमें संगम पर स्नान को पवित्र और मोक्षदायक माना जाता है। माना जाता है कि कुंभ स्नान से आत्मा और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं।
कुंभ स्नान के फायदे
- पापों का नाश: मान्यता है कि कुंभ के पवित्र संगम में स्नान करने से पिछले जन्मों के पापों का नाश होता है।
- मोक्ष प्राप्ति: कुंभ स्नान को मोक्ष प्राप्ति का सबसे सरल उपाय माना जाता है।
- पूर्वजों की शांति: कुंभ में स्नान से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
मान्यता है कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में शाही स्नान के लिए देवताओं का आगमन होता है। इसके बाद प्रत्येक अखाड़े के नागा साधु और महामंडलेश्वर अपने एक भव्य शोभायात्रा के साथ शाही स्नान के लिए संगम पहुंचते हैं।
सबसे पहले नागा साधुओं को स्नान का अधिकार दिया जाता है। इस स्नान को ‘शाही’ स्नान कहा जाता है। क्योंकि इसमें संतों और नागा साधुओं की शाही मौजूदगी होती है।
इसके बाद आमजन स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि साधु-संतों के स्नान के बाद संगम का जल अत्यंत पवित्र हो जाता है। इसे आध्यात्मिक ऊर्जा और धार्मिक शक्ति का प्रतीक माना जाता है। शाही स्नान को आत्मा की शुद्धि, पापों के नाश और मोक्ष प्राप्ति का साधन माना गया है।