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महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? जानें पौराणिक कथा
Updates / 2025/01/31

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है? जानें पौराणिक कथा

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित होता है। यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह दिन शिव-पार्वती के मिलन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भक्तगण व्रत रखते हैं, शिवलिंग का जल, दूध, शहद और बेलपत्र से अभिषेक करते हैं तथा रात्रि जागरण कर भगवान शिव की आराधना करते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन विधिपूर्वक पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और इच्छित फल की प्राप्ति होती है।



महाशिवरात्रि का एक अन्य पौराणिक संदर्भ समुद्र मंथन से भी जुड़ा हुआ है। जब समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष निकला, तो भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए उसे अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वे "नीलकंठ" कहलाए। इस दिन शिव भक्त पूरी रात जागकर भजन-कीर्तन करते हैं और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हैं। इस अवसर पर विशेष रूप से शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और चारों ओर “हर-हर महादेव” के जयकारे गूंजते हैं। महाशिवरात्रि का पर्व हमें यह संदेश देता है कि भगवान शिव की आराधना से जीवन के सभी कष्ट दूर हो सकते हैं और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।

महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। एक अन्य कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला, तब भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए उस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे वे नीलकंठ कहलाए। देवताओं और ऋषियों ने पूरी रात जागकर भगवान शिव की आराधना की, इसलिए इसे 'शिव की रात्रि' कहा जाता है। 

कन्याओ के लिए विशेष है महाशिवरात्री का व्रत

महाशिवरात्रि पर व्रत रखने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत विवाहित स्त्रियों के लिए सौभाग्यवर्धक माना जाता है, वहीं कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। इस दिन रात्रि जागरण, शिव मंत्रों का जाप और भगवान शिव का जलाभिषेक करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।


महाशिवरात्रि की पूजा विधि

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिवलिंग का जल, दूध, शहद और बेलपत्र से अभिषेक करें।
  • पूरे दिन व्रत रखें और फलाहार करें।
  • ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
  • रात्रि जागरण करें और शिवपुराण या शिव स्तुति का पाठ करें।
  • अगले दिन व्रत का पारण करें।
  • महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए?
  • महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, और सफेद फूल चढ़ाना शुभ माना जाता है।


Frequently Asked Questions

महाशिवरात्रि किस दिन मनाई जाती है?
महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।
महाशिवरात्रि पर कौन सा व्रत रखा जाता है?
महाशिवरात्रि के दिन भक्त उपवास रखते हैं और रातभर जागरण कर भगवान शिव की आराधना करते हैं।
क्या महाशिवरात्रि केवल हिंदू धर्म के लोग ही मनाते हैं?
मुख्य रूप से यह हिंदू पर्व है, लेकिन भगवान शिव के भक्त विश्वभर में इसे श्रद्धा के साथ मनाते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
इस दिन तामसिक भोजन, नकारात्मक विचार, क्रोध और झूठ बोलने से बचना चाहिए।
क्या महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर हल्दी चढ़ा सकते हैं?
नहीं, शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाना वर्जित है क्योंकि यह भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जाती।

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