महाकाल मंदिर में भस्म आरती के समय महिलाओं का जाना वर्जित, अगर प्रवेश कर भी लिया तो डालना पड़ेगा घूँघट
महाकाल मंदिर की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध धार्मिक परंपरा है, जो उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हर दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में आयोजित होती है। यह आरती भगवान शिव के चिता भस्म से अभिषेक और श्रृंगार करने की अद्वितीय विधि है। यह अनुष्ठान शिवभक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। भस्म आरती का यह स्वरूप शिव की "महाकाल" रूप में अजेयता और मृत्यु पर विजय का प्रतीक है। आरती के दौरान मंदिर में गूंजते मंत्र और घंटों की आवाज से वातावरण अत्यंत दिव्य और आध्यात्मिक हो जाता है।
इस आरती में भाग लेने के लिए भक्तों को कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है। महिलाओं के लिए साड़ी पहनना और घूंघट रखना अनिवार्य होता है, जबकि पुरुष पारंपरिक धोती में आरती में शामिल होते हैं। यह नियम पवित्रता और मर्यादा बनाए रखने के लिए हैं। भस्म आरती के दौरान मंदिर में मौन और एकाग्रता का माहौल रहता है, जो भगवान शिव के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करता है। यह आरती शिवभक्तों के लिए आध्यात्मिक शक्ति और आशीर्वाद पाने का एक अद्भुत अवसर है।
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे शिवभक्तों के लिए अत्यधिक पवित्र माना जाता है। यहां हर दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में भस्म आरती होती है, जिसमें भगवान शिव का चिता की भस्म से श्रृंगार किया जाता है। यह आरती एक अद्वितीय परंपरा है, जिसे देखने और अनुभव करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। इस आरती के दौरान महिलाओं के लिए विशेष नियम बनाए गए हैं, जिसमें घूंघट रखने की परंपरा का भी पालन होता है।
क्यू किया जाता है भस्म आरती के समय घूँघट
रोजाना महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली भस्म आरती में महिलाओं के लिए कुछ विशेष नियम हैं। जिस वक्त शिवलिंग पर भस्म चढ़ती है उस वक्त महिलाओं को घूंघट करने को कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि उस वक्त भगवान शिव निराकार रूप में होते हैं। इस रूप के दर्शन करने की अनुमति महिलाओं को नहीं दी जाती है। इसलिए वहां पर मौजूद पंडित भी उन्हें इस आरती के समय घूंघट करने को कहते हैं।