मकर संक्रांति का महत्त्व/ क्यू मनाई जाती है मकर संक्रांति
मकर संक्रांति, भारतीय कैलेंडर में हर साल 14 जनवरी को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व सूर्य देवता की पूजा और भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है जो विभिन्न भागों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है, जैसे कि मकर संक्रांति, पोंगल, उत्तरायण, खिचड़ी, लोहड़ी, बिहू, तिल संक्रांति आदि। इस पोस्ट में, हम मकर संक्रांति के महत्व, रूप, और इसे मनाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे ताकि आप इस उत्कृष्ट पर्व के महत्व को समझ सकें और अपने वेबसाइट के लिए उच्च-गुणवत्ता वाला सामग्री प्रदान कर सकें।
मकर संक्रांति का महत्व:
मकर संक्रांति का अर्थ होता है 'मकर राशि में समाप्ति'। इस दिन सूर्य देवता उत्तरायणी मार्ग पर चलते हैं, जिससे शीतकाल का समापन होता है और गर्मी का प्रारंभ होता है।
हिन्दू धर्म में, सूर्य भगवान को इस दिन विशेष पूजा अर्पित की जाती है जो समृद्धि और खुशियों का प्रतीक है।
यह भी आंगनों में माँ गंगा की शुद्ध जल से स्नान का एक अद्भुत मौका है, जिससे लोग अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करते हैं।
मकर संक्रांति का महत्व धार्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टि से है। धार्मिक दृष्टिकोण से, मकर संक्रांति को सूर्य देवता की पूजा का दिन माना जाता है। सूर्य को जीवनदायिनी शक्ति माना जाता है और इस दिन सूर्य की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
सामाजिक दृष्टिकोण से, मकर संक्रांति एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है। इस दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर पर्व मनाते हैं और खुशियां मनाते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, मकर संक्रांति का दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन से दिन बड़े और रात छोटी होने लगती हैं। सूर्य की उत्तरायण होने के कारण दिन के समय में वृद्धि होती है और ठंड कम होने लगती है।
मकर संक्रांति की रूप:
यह पर्व भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है।
यह एक खिल-मिल बौछार का मौसम होता है, जिसे लोग खुशी के साथ मनाते हैं।
बिहार, उत्तर प्रदेश, और पश्चिम बंगाल में खिचड़ी के त्योहार के रूप में मनाया जाता है जिसमें तिल, गुड़, और चावल की खिचड़ी बनाई जाती है और यह भोजन साझा किया जाता है।
मकर संक्रांति के उत्सव:
यह पर्व बनारस, प्रयाग, गया, और उज्जैन में बहुत धार्मिक उत्सवों के रूप में मनाया जाता है।
पुणे का कायापलट उत्सव, कितनी ऊची पतंग कुछ लोगों के साथ अद्वितीय होता है और यह दृश्य देखने योग्य है।
गुजरात में, उत्तरायणी मेला अपने विशेष रंग-बिरंगे उत्सव के लिए प्रसिद्ध है जिसमें पतंगबाजी, मैला गोवा, और बहुत सारे पर्वाहित गतिविधियाँ शामिल हैं।
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