कही आपको भी तो नही हो रहा मंकीपोक्स, जानिए क्या क्या है लक्षण, और उपचार
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ लेकिन गंभीर वायरल बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है। इस वायरस का पहला मामला 1958 में बंदरों में पाया गया था, जिसके कारण इसे मंकीपॉक्स नाम दिया गया। यह वायरस मानवों में भी फैल सकता है और इसके लक्षण चेचक (स्मॉलपॉक्स) के समान होते हैं। हालांकि, मंकीपॉक्स का प्रकोप चेचक के मुकाबले बहुत कम होता है और यह कम गंभीर होता है। इस ब्लॉग में हम मंकीपॉक्स के लक्षण, कारण, बचाव के उपाय और उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे।
इन दिनों मंकीपॉक्स बीमारी की काफी चर्चा है और इसका कारण है इसका लगातार बढ़ते जाना। आप इसको इस बात से भी समझ सकते हैं कि कोविड-19 के बाद अब मंकीपॉक्स को भी विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो दुनिया भर के एक दर्जन से भी ज्यादा देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि आप भी इस बीमारी से बचकर रहें।
मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स के लक्षण वायरस के संपर्क में आने के 5 से 21 दिनों के भीतर विकसित हो सकते हैं। प्रारंभिक लक्षणों में शामिल हैं:
बुखार:
तेज बुखार मंकीपॉक्स का पहला लक्षण होता है। यह वायरस के संक्रमण का संकेत देता है।
सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द:
संक्रमित व्यक्ति को सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द का अनुभव हो सकता है।
थकान और कमजोरी:
थकान, कमजोरी, और सामान्यतः अस्वस्थ महसूस करना मंकीपॉक्स के लक्षणों में शामिल है।
शरीर पर दाने:
बुखार के 1-3 दिन बाद चेहरे से शुरू होकर पूरे शरीर में लाल दाने उभर सकते हैं, जो धीरे-धीरे फफोले और पपड़ी में बदल जाते हैं।
सूजी हुई लसिका ग्रंथियां:
मंकीपॉक्स के दौरान लसिका ग्रंथियां (लिम्फ नोड्स) सूज जाती हैं, जो इसे चेचक से अलग करती हैं।
मंकीपॉक्स के कारण
मंकीपॉक्स वायरस, पॉक्सविरिडे परिवार का एक सदस्य है, जो मुख्यतः जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। यह वायरस बंदरों, गिलहरियों, और अन्य जानवरों में पाया जाता है। मनुष्यों में मंकीपॉक्स वायरस के फैलने के प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
संक्रमित जानवरों से संपर्क:
संक्रमित जानवरों के खून, शरीर के तरल पदार्थ, या उनके दाने के सीधे संपर्क में आने से यह वायरस फैल सकता है।
मानव से मानव संक्रमण:
संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क, उसके श्वसन मार्ग से निकले कणों, या उसके दाने के संपर्क में आने से भी वायरस फैल सकता है।
दूषित सामग्री का संपर्क:
मंकीपॉक्स वायरस से दूषित कपड़े, बिस्तर, या अन्य सामग्री के संपर्क में आने से भी संक्रमण हो सकता है।
मंकीपॉक्स से बचाव के उपाय
मंकीपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन इससे बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय अपनाए जा सकते हैं:
संक्रमित जानवरों से दूर रहें:
उन जानवरों के संपर्क से बचें जो मंकीपॉक्स वायरस के लिए संवेदनशील हैं, जैसे बंदर और गिलहरियां।
व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें:
अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं और संक्रमित व्यक्तियों से दूर रहें।
टीकाकरण कराएं:
मंकीपॉक्स के लिए टीका उपलब्ध है, जो इस बीमारी से बचाव में मदद करता है। जिन क्षेत्रों में मंकीपॉक्स का प्रकोप है, वहां टीकाकरण की सलाह दी जाती है।
संक्रमित सामग्री से बचाव:
संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग की गई चीज़ों से दूर रहें और यदि संभव हो तो उन्हें नष्ट कर दें।
मंकीपॉक्स का उपचार
मंकीपॉक्स का कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए चिकित्सा सहायता ली जा सकती है। इसमें एंटीवायरल दवाएं, दर्द निवारक और बुखार को कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं। गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है। टीकाकरण भी इस वायरस के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
निष्कर्ष
मंकीपॉक्स एक दुर्लभ लेकिन संक्रामक बीमारी है, जो मुख्यतः संक्रमित जानवरों और मनुष्यों के संपर्क से फैलती है। इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं, लेकिन यह अपेक्षाकृत कम गंभीर होती है। मंकीपॉक्स से बचाव के लिए स्वच्छता का ध्यान रखना, संक्रमित जानवरों और व्यक्तियों से दूर रहना, और टीकाकरण कराना महत्वपूर्ण है। इस बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करनी चाहिए, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
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