वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार की सही दिशा, रंग और डिजाइन
घर का मुख्य द्वार वास्तु शास्त्र में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह न केवल घर के अंदर और बाहर जाने का मार्ग है, बल्कि यह वह स्थान है जहां से ऊर्जा का प्रवेश होता है। इसलिए, मुख्य द्वार की दिशा, रंग और डिजाइन का सही होना बहुत आवश्यक है। अगर ये वास्तु शास्त्र के अनुसार सही होते हैं, तो घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे मुख्य द्वार के लिए वास्तु शास्त्र के अनुसार सही दिशा, रंग और डिजाइन के बारे में।
1. मुख्य द्वार की दिशा
मुख्य द्वार की दिशा वास्तु शास्त्र के अनुसार बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह दिशा ही घर में प्रवेश करने वाली ऊर्जा को नियंत्रित करती है।
उत्तर दिशा: उत्तर दिशा में मुख्य द्वार का होना सबसे शुभ माना जाता है। यह दिशा भगवान कुबेर की दिशा होती है, जो धन और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिशा में मुख्य द्वार से घर में आर्थिक समृद्धि और शांति बनी रहती है।
पूर्व दिशा: पूर्व दिशा में भी मुख्य द्वार का होना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दिशा सूर्य देव की दिशा है, जो सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत हैं। इस दिशा में मुख्य द्वार से घर में स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि का वास होता है।
उत्तर-पूर्व दिशा: उत्तर-पूर्व दिशा में भी मुख्य द्वार का होना शुभ होता है। यह दिशा ज्ञान और सकारात्मकता का प्रतीक है। इस दिशा में द्वार होने से घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
2. मुख्य द्वार का रंग
मुख्य द्वार का रंग भी वास्तु शास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह रंग ही घर की ऊर्जा को प्रभावित करता है।
हल्का पीला: हल्का पीला रंग मुख्य द्वार के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह रंग सकारात्मकता और शांति का प्रतीक होता है और घर में सुख-शांति बनाए रखता है।
सफेद रंग: सफेद रंग शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। यह रंग मुख्य द्वार पर होने से घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
हल्का नीला: हल्का नीला रंग भी मुख्य द्वार के लिए शुभ माना जाता है। यह रंग मानसिक शांति और स्थिरता का प्रतीक है।
3. मुख्य द्वार का डिजाइन
मुख्य द्वार का डिजाइन भी वास्तु शास्त्र में विशेष महत्व रखता है। सही डिजाइन से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
सादा और सरल डिजाइन: मुख्य द्वार का डिजाइन सादा और सरल होना चाहिए। जटिल और उलझी हुई डिजाइन से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है।
शुभ संकेत: मुख्य द्वार पर शुभ संकेत जैसे स्वस्तिक, ओम, या भगवान गणेश की आकृति का अंकन बहुत शुभ माना जाता है। यह शुभ संकेत सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं।
लकड़ी का द्वार: मुख्य द्वार के लिए लकड़ी का द्वार सबसे अच्छा माना जाता है। लकड़ी की प्राकृतिक ऊर्जा से घर में सकारात्मकता और स्थिरता बनी रहती है।
4. मुख्य द्वार की सजावट
मुख्य द्वार की सजावट भी वास्तु शास्त्र के अनुसार महत्वपूर्ण होती है। सही सजावट से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
तुलसी का पौधा: मुख्य द्वार के सामने तुलसी का पौधा रखना बहुत शुभ माना जाता है। यह पौधा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मकता को आकर्षित करता है।
दीपक का स्थान: मुख्य द्वार के पास दीपक जलाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह घर में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखता है।
रंगोली और अल्पना: मुख्य द्वार पर रंगोली या अल्पना बनाना भी शुभ माना जाता है। यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने का एक उत्तम तरीका है।
5. मुख्य द्वार के वास्तु दोष निवारण
अगर मुख्य द्वार की दिशा या रंग वास्तु शास्त्र के अनुसार नहीं है, तो उसके लिए कुछ वास्तु दोष निवारण उपाय किए जा सकते हैं।
दर्पण से बचें: अगर मुख्य द्वार पर दर्पण है, तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकता है।
तांबे की पट्टी: मुख्य द्वार पर तांबे की पट्टी लगाना शुभ माना जाता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को नियंत्रित करता है और सकारात्मकता का संचार करता है।
वास्तु पिरामिड: मुख्य द्वार के पास वास्तु पिरामिड रखना भी एक अच्छा उपाय हो सकता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और घर में शांति और समृद्धि बनाए रखता है।
निष्कर्ष
मुख्य द्वार वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसकी दिशा, रंग और डिजाइन का सही होना बहुत आवश्यक है, क्योंकि यहीं से घर में ऊर्जा का प्रवेश होता है। अगर मुख्य द्वार वास्तु शास्त्र के अनुसार सही होता है, तो घर में सुख-समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इसलिए, मुख्य द्वार की दिशा, रंग और डिजाइन का चयन करते समय वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन अवश्य करें।
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