नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्माण्डा की पूजा की जाती है, जानिए कैसे करे देवी कुष्मांडा की पूजा
1 October 2024, नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कूष्माण्डा रूप की पूजा की जाती है। देवी कूष्माण्डा को ब्रह्मांड की उत्पत्ति की देवी माना जाता है। उनका नाम "कूष्माण्डा" इसीलिए पड़ा क्योंकि उन्होंने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की सृष्टि की थी। उनकी आठ भुजाएँ होती हैं और वे अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। देवी कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों को स्वास्थ्य, ऐश्वर्य, और शक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
देवी कूष्माण्डा का स्वरूप
देवी कूष्माण्डा की आठ भुजाओं में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जप माला होती हैं। देवी सिंह पर सवार रहती हैं और उन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और मनमोहक है।
नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा विधि:
स्नान और स्वच्छता:
प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को साफ करें।
घी का दीपक जलाएं:
देवी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और उन्हें जल, अक्षत (चावल), पुष्प, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
मां को प्रिय भोग अर्पण करें:
देवी कूष्माण्डा को मालपुआ, नारियल, और पंचामृत का भोग अर्पित करें। यह देवी को अत्यंत प्रिय होता है और इससे वे प्रसन्न होती हैं।
मंत्र जाप:
देवी कूष्माण्डा के निम्न मंत्र का जाप करें:
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः।"
इस मंत्र का 108 बार जाप करें ताकि देवी का आशीर्वाद प्राप्त हो।
प्रसाद वितरण:
भोग को प्रसाद के रूप में सभी भक्तों में बांटें और मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।
देवी कूष्माण्डा को प्रिय वस्तुएं और भोग:
मालपुआ:
देवी कूष्माण्डा को मालपुआ का भोग विशेष रूप से प्रिय है। इसे श्रद्धा भाव से अर्पित करने पर मां प्रसन्न होती हैं।
नारियल और गुड़:
मां को नारियल और गुड़ का भोग भी अर्पित किया जाता है। यह देवी को बहुत प्रिय है और इससे समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
नवरस का भोग:
देवी कूष्माण्डा को विभिन्न प्रकार के भोजन और फलों का भोग अर्पित करना चाहिए। इससे भक्तों को आरोग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
देवी कूष्माण्डा की उपासना से लाभ:
आरोग्य का वरदान:
देवी कूष्माण्डा की उपासना से स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
धन-धान्य की वृद्धि:
जो भक्त श्रद्धा भाव से देवी कूष्माण्डा की पूजा करते हैं, उनके जीवन में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती।
मानसिक शांति और साहस:
मां की उपासना से मानसिक शांति और साहस की प्राप्ति होती है। जीवन में आने वाली चुनौतियों से निपटने की शक्ति मिलती है।
आध्यात्मिक उन्नति:
देवी कूष्माण्डा की आराधना से आत्मिक शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति होती है।