प्रशांत किशोर की राजनीति, नीतीश कुमार के पीएम मोदी के पैर छूने पर प्रशांत किशोर का बयान
नीतीश कुमार के पीएम मोदी के पैर छूने पर प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया: बिहार की राजनीति में नया मोड़
बिहार की राजनीति में हाल ही में एक दिलचस्प और विवादास्पद घटना देखने को मिली, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छुए। इस घटना ने न केवल बिहार की राजनीति में हलचल मचाई बल्कि प्रशांत किशोर जैसे प्रमुख राजनीतिक रणनीतिकारों की तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई।
घटना की पृष्ठभूमि
नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री मोदी के पैर छूना उस समय हुआ जब दोनों नेता एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उपस्थित थे। इस घटनाक्रम को मीडिया ने व्यापक रूप से कवर किया, और इसके कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, प्रशांत किशोर ने इसे बिहारियों की इज्जत से जोड़ते हुए नीतीश कुमार की कड़ी आलोचना की।
प्रशांत किशोर का बयान
प्रशांत किशोर ने अपने बयान में नीतीश कुमार पर आरोप लगाया कि उन्होंने प्रधानमंत्री के पैर छूकर न केवल अपने व्यक्तिगत स्वाभिमान बल्कि बिहार के लोगों की गरिमा को भी ठेस पहुंचाई है। किशोर ने कहा कि एक मुख्यमंत्री का इस प्रकार का आचरण उनके राजनीतिक मूल्यों और सिद्धांतों के खिलाफ है और इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता।
बिहार के लोगों की बेची इज्जत- प्रशांत किशोर
उन्होंने कहा, ‘‘ नीतीश कुमार ने इसके एवज में क्या मांगा? बिहार के बच्चों के लिए रोजगार नहीं मांगा. बिहार के जिलों में चीनी की फैक्ट्रियां चालू हो जाए- यह नहीं मांगा. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए -यह नहीं मांगा. बिहार के लोग सोच रहे होंगे कि तो फिर उन्होंने क्या मांगा? नीतीश कुमार ने मांग रखी कि 2025 के बाद भी वह मुख्यमंत्री बने रहें और इसके लिए भाजपा भी समर्थन कर दे. बिहार के सभी लोगों की इज्जत उन्होंने बेच दी.’’
राजनीतिक समीकरण और असर
यह घटना बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है। नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी के बीच के संबंधों की चर्चा हमेशा से होती रही है, लेकिन इस घटना ने उन चर्चाओं को नई दिशा दी है। प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे को और भी गरम कर दिया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की जनता और अन्य राजनीतिक दल इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।
निष्कर्ष
नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री के पैर छूना एक प्रतीकात्मक घटना है, जिसने राजनीतिक गलियारों में विभिन्न प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। प्रशांत किशोर की कड़ी प्रतिक्रिया ने इसे और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। यह घटना बिहार की राजनीति में एक नया विमर्श शुरू कर सकती है, जहां नेताओं के व्यक्तिगत आचरण और राजनीतिक सिद्धांतों पर गहन विचार-विमर्श हो सकता है।
इस घटनाक्रम का बिहार की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह मामला चर्चा के केंद्र में है और इससे उत्पन्न हुई बहसें आने वाले समय में भी जारी रहेंगी।
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