रमा एकादशी व्रत कथा: धन, सुख और समृद्धि प्राप्ति का उपाय
रमा एकादशी हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र व्रतों में से एक मानी जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का विशेष साधन माना जाता है। रमा एकादशी व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार की आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं और उसे धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपने पापों का नाश करता है और अंततः मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।
रमा एकादशी व्रत कथा
बहुत समय पहले एक राजा था जिसका नाम मुचुकुन्द था। राजा धार्मिक प्रवृत्ति का था और उसकी पुत्री का नाम चंद्रभागा था। चंद्रभागा का विवाह एक साधु प्रवृत्ति के व्यक्ति से हुआ था जो व्रत और तपस्या में बहुत विश्वास करता था। वह एकादशी के दिन बिना भोजन और जल ग्रहण किए व्रत करता था।
राजकुमार शोभन की एक आदत थी कि वो एक भी समय बिना खाए नहीं रहता था. इसी बीच शोभन एक बार कार्तिक के महीने में अपनी पत्नी के साथ ससुराल आया. उस दिन रमा एकादशी का व्रत भी था. चंद्रभागा के राज्य में सभी रमा एकादशी व्रत का नियम पूर्वक पालन करते थे तो दामाद शोभन से भी ऐसा ही करने के लिए कहा गया. परंतु, शोभन इस बात को लेकर काफी परेशान हो गया. इसके बाद अपनी परेशानी को लेकर शोभन पत्नी चंद्रभागा के पास पहुंचा. तब चंद्रभागा ने कहा कि ऐसे में तो आपको राज्य के बाहर ही जाना पड़ेगा, क्योंकि पूरे राज्य के लोग इस व्रत के नियम का पालन करते हैं. यही नहीं आज के दिन यहां के जीव-जंतु भी भोजन नहीं करते हैं. चंद्रभागा की इस बात को सुनने के बाद आखिरकार शोभन को रमा एकादशी व्रत रखना ही पड़ा. लेकिन, पारण करने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गयी. इसके बाद चंद्रभागा अपने पिता के यहां ही रहने लगी.
एकादशी व्रत के पुण्य प्रताब से शोभन का अगला जन्म हुआ. इसबार उन्हें मंदरांचल पर्वत पर आलीशान राज्य प्राप्त हुआ. एक बार मुचुकुंदपुर के ब्राह्मण तीर्थ यात्रा करते हुए शोभन के दिव्य नगर में पहुंचे. वहां सिंहासन पर विराजमान शोभन को देखकर ही पहचान लिया. वहां ब्राह्मणों को देख शोभन भी अपने सिंहासन से उठकर पूछा कि यह सब कैसे हुआ. इसके बाद तीर्थ यात्रा से लौटने के बाद ब्राह्मणों ने चंद्रभागा को पूरी बात बताई. चंद्रभागा बेहद खुश हुई और पति के पास जाने के लिए व्याकुल हो गई. इसके बाद वह वाम ऋषि के आश्रम पहुंची. फिर, मंदरांचल पर्वत पर गई और पति शोभन के पास पहुंच गई. इस तरह एकादशी व्रतों के पुण्य प्रभाव से दोनों का फिर से मिलन हो गया. कहते हैं, तभी से मान्यता है कि जो भी मनुष्य इस व्रत को रखता है वह ब्रह्महत्या जैसे पाप से मुक्त हो जाता है. साथ ही उसकी सारी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं.
रमा एकादशी व्रत विधि
इस दिन व्रती को प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत रखने वाला व्यक्ति दिनभर निर्जल या केवल फलाहार कर सकता है। संध्या समय भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। अगले दिन व्रती को अन्न का सेवन कर व्रत का पारण करना चाहिए।
रमा एकादशी व्रत के लाभ
- इस व्रत से धन की प्राप्ति होती है।
- यह व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है।
- व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
- भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उनके आशीर्वाद से जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है।
रमा एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में धन, सुख और समृद्धि का आगमन होता है। यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का एक विशेष मार्ग है और इसे विधिपूर्वक करने से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं।