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राम लला की मूर्ति 51 इंच की है, जानिये कैसे मूर्ति को मंदिर में कैसे लाया गया
Updates / 2024/01/19

राम लला की मूर्ति 51 इंच की है, जानिये कैसे मूर्ति को मंदिर में कैसे लाया गया

रामलला की मूर्ति: अयोध्या में निर्माणधीन भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने के बाद शुक्रवार को रामलला की पहली तस्वीर सामने आई है. मैसूर स्थित मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई 51 इंच की रामलला की मूर्ति को कल रात मंदिर में लाया गया था. आगामी 22 जनवरी को होने वाले अभिषेक समारोह से पहले रामलला की ये तस्वीर सामने आई है.

प्रतिष्ठा समारोह से जुड़े पुजारी अरुण दीक्षित ने बताया कि भगवान राम की मूर्ति को बुधवार दोपहर में वैदिक मंत्रोचार के बीच गर्भ गृह में रखा गया. 'प्रधान संकल्प' ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा द्वारा किया गया. इस संकल्प की भावना यह है कि भगवान राम की 'प्रतिष्ठा' सभी के कल्याण के लिए, राष्ट्र के कल्याण के लिए, मानवता के कल्याण के लिए और उन लोगों के लिए भी की जा रही है जिन्होंने इस कार्य में अपना योगदान दिया है. इसके अलावा अन्य अनुष्ठान भी आयोजित किए गए तथा ब्राह्मणों को वस्त्र भी दिए गए.

बताते चलें कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के लिए 16 जनवरी से ही अनुष्ठान शुरू हो गए हैं. सबसे पहले श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से नियुक्त किए गए यजमान ने समारोह की शुरुआत की. इसके बाद 17 जनवरी को 5 साल के रामलला की मूर्ति के साथ एक काफिला अयोध्या पहुंचा और रामलला की मूर्ति को क्रेन की मदद से गर्भगृह में स्थापित किया गया. 18 जनवरी को गणेश अंबिका पूजा, वरुण पूजा, मातृका पूजा, ब्राह्मण वरण और वास्तु पूजा के साथ औपचारिक अनुष्ठान शुरू हुए. आज 19 जनवरी को पवित्र अग्नि जलाई गई, जिससे नवग्रह की स्थापना और हवन किया जाएगा. कल 20 जनवरी को राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह को सरयू जल से धोया जाएगा, जिसके बाद वास्तु शांति और 'अन्नाधिवास' अनुष्ठान होगा. इसके बाद 21 जनवरी को रामलला की मूर्ति को 125 कलशों के जल से स्नान कराया जाएगा. अनुष्ठान के आखिरी दिन यानी 22 जनवरी की सुबह की पूजा के बाद दोपहर में 'मृगशिरा नक्षत्र' में रामलला के मूर्ति का अभिषेक किया जाएगा.

इस महासमारोह में महज तीन दिन शेष हैं और अयोध्या की ओर जाने वाली सभी सड़कें धार्मिक भावनाओं में रंग गयी हैं. लखनऊ से अयोध्या जाने वाले राजमार्ग पर जब आप यात्रा करेंगे, तो जगह-जगह राम मंदिर के विशाल पोस्टर लगे हुए पाएंगे. इन पोस्टर पर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह की तिथि के साथ-साथ 'शुभ घड़ी आई, विराजे रघुराई' जैसे नारे छपे हुए हैं और इस तरह के पोस्टर से अयोध्या की सड़कें भी अटी पड़ी हैं. राजमार्ग पर पड़ने वाले ज्यादातर होटल और ढाबों पर अयोध्या आने वाले भक्तों का स्वागत करते हुए बैनर लगे हुए दिखाई दिए, जिनपर भगवान राम की तस्वीर मौजूद थी. इनके अलावा भगवान राम की तस्वीर वाले भगवा झंडों के साथ नये मंदिर की तस्वीरें भी लगी हुई हैं.

फैजाबाद शहर से अयोध्या में प्रवेश करने पर आपको अपने आस-पास की फिजा में आध्यात्मिक अनुभूति का अहसास होता है. अयोध्या में भगवान राम तथा उनके धनुष एवं बाणों को चित्रित करने वाली कलाकृतियों से सुसज्जित फ्लाईओवर पर लगी स्ट्रीटलाइट और पारंपरिक ‘रामानंदी तिलक' विषय पर आधारित डिजाइन वाले सजावटी लैंपपोस्ट चहुंओर छटा बिखेर रहे हैं. 'रामानंदी तिलक' माथे पर दो खड़ी सफेद रेखाओं के बीच केंद्र में एक लाल पट्टी बनाकर तैयार किया जाता है और भगवान राम के भक्त आमतौर पर इस प्रकार का तिलक लगाना पसंद करते हैं. कई स्थानीय निवासियों और अन्य स्थानों से अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं के माथे पर यह तिलक लगा हुआ देखा जा सकता है.

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के दूसरे दिन रामलला की चांदी की मूर्ति को भ्रमण कराया गया है. बुधवार को प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का दूसरा दिन रहा. बुधवार को महिलाओं ने ‘जल कलश यात्रा’ निकाली. इसमें लगभग 500 से अधिक महिलाएं शामिल रहीं. चांदी की प्रतिमा को मुख्य यजमान बने अनिल मिश्र ने रामलला को पालकी पर पूरे परिसर में घुमाया.

महिलाओं ने सरयू तट से यात्रा का शुभारंभ किया
प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया कि 16 स्तंभ 16 देवताओं के प्रतीक हैं. इनमें गणेश, विश्‍वकर्मा, बह्मा, वरुण, अष्टवसु, सोम, वायु देवता को सफेद वस्त्र जबकि सूर्य, विष्णु को लाल वस्त्र, यमराज-नागराज, शिव, अनंत देवता को काले और कुबेर, इंद्र, बृहस्पति को पीले वस्त्र में निरूपित किया जाएगा. इससे पहले श्रीराम नगरी में अयोध्या महानगर की महिलाओं ने सरयू तट से यात्रा का शुभारंभ किया.

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Frequently Asked Questions

राम मंदिर का दूसरा नाम क्या है?
दरअसल, अयोध्यावासी प्रभु श्रीराम को बालक राम के रूप में लल्ला के रूप में प्रतिष्ठा देते हैं। हालांकि, प्रभु श्रीराम की नगरी में एक जगह ऐसी भी है, जहां श्रीराम दामाद के तौर पर पूजे जाते हैं। इस ज
राम मंदिर की जगह पहले क्या था?
हिन्दुओं की मान्यता है कि श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मन्दिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहाँ एक मस्जिद बना दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक स
अयोध्या का प्रथम राजा कौन थे?
प्रभू श्रीराम के बाद अयोध्या का राजा कौन बना था? प्रभु श्रीराम के बाद, अयोध्या का राजा उनके पुत्र लव था। लव ने पिता के बाद अयोध्या का राज्य संभाला था।
बाबर ने राम मंदिर कब तोड़ा था?
तथ्य कहते हैं कि विदेशी आक्रांता बाबर के आदेश पर सन् 1527-28 में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद का निर्माण किया गया। कालांतर में बाबर के नाम पर ही इस मस्जिद का ना
बाबरी मस्जिद किसने तोड़ी?
भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार द्वारा जुटाई गई एक हिंसक भीड़ ने 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद का विध्वंस हमारे राष्ट्रीय जीवन का वह महत

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