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माँ शैलपुत्री की पूजा का विधान और आरती और उनका महत्त्व हिन्दी मे
Updates / 2023/10/15

माँ शैलपुत्री की पूजा का विधान और आरती और उनका महत्त्व हिन्दी मे

नवरात्रि का पावन महत्व हमारे भारतीय समाज में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह हिन्दू धर्म के अनुसार नौ दिनों तक मनाया जाता है, और हर दिन को एक विशेष देवी के पूजा के साथ मनाया जाता है। शैलपुत्री नाम का पहला दिन नवरात्रि का है, जिसमें मां दुर्गा का पहला रूप पूजा जाता है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि शैलपुत्री कौन हैं और उनका महत्व क्या है। शैलपुत्री का पूजन नवरात्रि के पहले दिन का महत्वपूर्ण और प्रमुख हिस्सा है, और यह हमारे धार्मिक और सामाजिक जीवन में गहरे मानसिक और आध्यात्मिक महत्व का होता है। इस दिन की पूजा और व्रत भक्तों को मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने में मदद करता है और उन्हें उनके जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है। इस पहले दिन का महत्व उन गुणों को प्रकट करता है, जिन्हें हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए - सात्विकता, समर्पण, और आदर। इस प्रकार, शैलपुत्री की पूजा हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग की दिशा में हमारी मदद करती है और हमें मां दुर्गा की आराधना के महत्व को समझने में मदद करती है। इस नवरात्रि, हम सभी को शैलपुत्री मां के पूजन का आदर करना चाहिए और उनकी कृपा का आभार अदा करना चाहिए, ताकि हमारे जीवन में सुख और शांति हमें मिले।

शैलपुत्री: देवी दुर्गा का पहला रूप

नवरात्रि के पहले दिन, शैलपुत्री का पूजा किया जाता है, जिन्हें देवी दुर्गा के पहले रूप के रूप में पूजा जाता है। शैलपुत्री का नाम 'शैल' और 'पुत्री' से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है 'पर्वती की पुत्री'। इस रूप में, मां दुर्गा को गौरी और हेमवती के रूप में पूजा जाता है। वह खड़ी होती हैं और त्रिशूल और कमंडलु धारण करती हैं। शैलपुत्री का चित्रण उनकी सुंदर रूप और आकर्षण को प्रकट करता है, और वे पर्वती के रूप में अपने भक्तों की कृपा करने की दिशा में जानी जाती हैं।

शैलपुत्री का महत्व

शैलपुत्री का पूजन नवरात्रि के पहले दिन के अभिषेक के साथ होता है, और यह दिवस मां दुर्गा के भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। शैलपुत्री की पूजा करने से भक्तों को मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख-शांति आती है। इस दिन भक्त शैलपुत्री मां की पूजा करते हैं और उनकी कहानियों का सुनने के बाद व्रत रखते हैं। व्रत में व्रत रखने वाले विशेष तरीके से आलू, सिंधारा, कट्टू, और चावल का उपयोग करते हैं और सांदन का पानी पीते हैं। इस दिन के पूजा विधि के साथ, भक्त शैलपुत्री मां के प्रति अपने विशेष भक्ति और आदर की भावना के साथ उनके चरणों में चढ़ते हैं और मां के आशीर्वाद की प्राप्ति करते हैं।

 नवरात्रि में शैलपुत्री की महत्वपूर्ण भूमिका

नवरात्रि के पहले दिन का महत्व इसे एक शुभ आरंभ दिवस बनाता है, और भक्तों को मां दुर्गा के पूजन का आदर्श दिखाता है। शैलपुत्री का पूजन और व्रत भक्तों को मां की आराधना का आदर्श देता है और उन्हें उनके साथ एक दिनीय जीवन की आदर्श दिशा में ले जाता है। नवरात्रि का यह पहला दिन हमें यह सिखाता है कि दुर्गा मां की पूजा में भक्तों को उनकी आराधना के लिए सात्विकता, समर्पण, और आदर के साथ योग्यता होनी चाहिए। इस तरह, शैलपुत्री का पूजन नवरात्रि के पहले दिन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह हमें मां दुर्गा की आराधना के आदर्श को समझने में मदद करता है।

माँ शैलपुत्री की पूजा

माँ शैलपुत्री की पूजा के लिए सबसे पहले एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर माँ शैलपुत्री की तस्वीर या मूर्ति रखें। माँ शैलपुत्री को लाल फूल, अक्षत, रोली, मौली और मिठाई अर्पित करें। इसके बाद माँ शैलपुत्री की आरती करें।

माँ शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी

पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे। 
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू। 

सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी। 
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो। 

घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के। 
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं। 

जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।  
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो। 

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Frequently Asked Questions

शैलपुत्री की पूजा क्या होती है?
शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाती है और यह मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप की पूजा होती है।
शैलपुत्री की पूजा कब और कैसे की जाती है?
शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के पहले दिन, शुभ मुहूर्त में किसी मंदिर या घर में की जाती है। इसकी विधि और आरती का अनुसरण करें।
शैलपुत्री की पूजा में कौन-कौन से सामग्री का उपयोग होता है?
शैलपुत्री की पूजा में फूल, दीपक, धूप, नैवेद्य, और व्रत के अनुसार भोग की सामग्री का उपयोग होता है।
शैलपुत्री की आरती कैसे गाई जाती है?
शैलपुत्री की आरती गाने के लिए उपयुक्त सारेगमा परिपर्याय का उपयोग करें और मां की महिमा का गुणगान करें।
शैलपुत्री की पूजा का महत्व क्या है?
शैलपुत्री की पूजा मां दुर्गा की क्रिपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर है और यह नवरात्रि के महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक है।

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