श्रावण मास में शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए और उससे क्या फल मिलता है।
श्रावण मास, जिसे सावन भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र महीना माना जाता है। यह मास भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान शिव भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस महीने में शिवलिंग पर विशेष वस्त्र और सामग्री चढ़ाने की परंपरा है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस ब्लॉग में हम श्रावण मास में शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले विभिन्न सामग्री और उनके महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।
श्रावण मास का महत्व
श्रावण मास का हिंदू पंचांग में विशेष स्थान है। यह मास भगवान शिव की आराधना के लिए सर्वोत्तम समय माना जाता है। मान्यता है कि इस महीने में शिव जी की पूजा करने से व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है। सावन का महीना विशेषतः हरियाली, वर्षा और फसलों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है, जो प्रकृति के सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक है।
शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाली सामग्री
1. जल (Water)
जल, शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली सबसे प्रमुख सामग्री है। यह शुद्धता और जीवन का प्रतीक माना जाता है। पवित्र नदियों का जल या गंगा जल विशेष रूप से उपयोग किया जाता है। जल से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।
2. दूध (Milk)
दूध शिवलिंग पर चढ़ाने का विशेष महत्व है। यह शीतलता और शुद्धता का प्रतीक है। दूध से अभिषेक करने से व्यक्ति की जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इसके अलावा, दूध शिव जी के शांत और धैर्यवान स्वभाव का प्रतीक है।
3. दही (Curd)
दही भी शिवलिंग पर चढ़ाई जाती है। यह पोषण और स्वास्थ्य का प्रतीक है। दही से अभिषेक करने से व्यक्ति की सेहत में सुधार होता है और उसे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
4. घी (Ghee)
घी शिवलिंग पर चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक है। घी से अभिषेक करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और उसे दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
5. शहद (Honey)
शहद, शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण सामग्री है। यह मिठास और सुख का प्रतीक है। शहद से अभिषेक करने से व्यक्ति के जीवन में मिठास और सुख-शांति आती है।
6. गंगाजल (Ganga water)
गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। यह पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है। गंगाजल से अभिषेक करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
7. बिल्व पत्र (Bilva Patra)
बिल्व पत्र शिवलिंग पर चढ़ाने का विशेष महत्व है। यह त्रिदेवों का प्रतीक होता है और भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि बिल्व पत्र से शिव जी की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
8. धतूरा
धतूरा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। धतूरा से अभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सफलता मिलती है।
9. भांग (Hemp)
भांग, शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली एक महत्वपूर्ण सामग्री है। यह भगवान शिव के प्रसन्नता का प्रतीक है। भांग से अभिषेक करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आध्यात्मिकता की प्राप्ति होती है।
10. चंदन (Chandan)
चंदन, शीतलता और पवित्रता का प्रतीक है। इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से व्यक्ति को मानसिक शांति और शीतलता प्राप्त होती है। चंदन से अभिषेक करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
11. फूल (Flowers)
शिवलिंग पर विभिन्न प्रकार के फूल चढ़ाना अत्यंत शुभ माना जाता है। विशेषतः सफेद फूल और आक के फूल भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं। फूलों से अभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।
12. गेहूं (Wheat)
महत्व: गेहूं को समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है।
लाभ: शिवलिंग पर गेहूं चढ़ाने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक स्थिरता आती है। यह अन्न भगवान शिव को अर्पित करने से धन-धान्य की वृद्धि होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
13. चावल (Rice)
महत्व: चावल शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है।
लाभ: शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से घर में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। यह अन्न चढ़ाने से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है।
14. तिल (Sesame Seeds)
महत्व: तिल धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है और इसे पवित्र माना जाता है।
लाभ: शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। तिल भगवान शिव को अर्पित करने से शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है और जीवन में संतुलन आता है।
15. जौ (Barley)
महत्व: जौ को उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
लाभ: शिवलिंग पर जौ चढ़ाने से व्यक्ति के जीवन में संपन्नता और समृद्धि आती है। यह अन्न अर्पित करने से सभी प्रकार की परेशानियाँ दूर होती हैं और व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
16. मूंग (Green Gram)
महत्व: मूंग स्वास्थ्य और लंबी उम्र का प्रतीक है।
लाभ: शिवलिंग पर मूंग चढ़ाने से व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम रहता है और उसे लंबी आयु की प्राप्ति होती है। मूंग भगवान शिव को अर्पित करने से शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
17. चना (Chickpeas)
महत्व: चना बल और शक्ति का प्रतीक है।
लाभ: शिवलिंग पर चना चढ़ाने से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शक्ति मिलती है। यह अन्न अर्पित करने से साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
18. जौ (Barley)
महत्व: जौ को उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
लाभ: शिवलिंग पर जौ चढ़ाने से व्यक्ति के जीवन में संपन्नता और समृद्धि आती है। यह अन्न अर्पित करने से सभी प्रकार की परेशानियाँ दूर होती हैं और व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
19. साबुत उड़द (Black Gram)
महत्व: साबुत उड़द से भगवान शिव को प्रसन्न करने का विशेष महत्व है।
लाभ: शिवलिंग पर साबुत उड़द चढ़ाने से जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं। यह अन्न भगवान शिव को अर्पित करने से व्यक्ति को कठिन समय में भी मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है।
20. मक्का (Maize)
महत्व: मक्का को समृद्धि और फसल की वृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
लाभ: शिवलिंग पर मक्का चढ़ाने से खेती-बाड़ी में सफलता मिलती है और फसलों की अच्छी उपज होती है। यह अन्न अर्पित करने से जीवन में आर्थिक समृद्धि आती है।
21. कुट्टू (Buckwheat)
महत्व: कुट्टू को शुद्धता और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है।
लाभ: शिवलिंग पर कुट्टू चढ़ाने से व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार होता है और उसे शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है। यह अन्न भगवान शिव को अर्पित करने से व्यक्ति को पवित्रता और शुद्धता प्राप्त होती है।
श्रावण मास में शिवलिंग पर चढ़ाने की विधि
श्रावण मास में शिवलिंग पर अभिषेक करने की विधि निम्नलिखित है:
- स्वच्छता का ध्यान: सबसे पहले स्वच्छता का ध्यान रखें। स्नान करके पवित्र वस्त्र धारण करें।
- शिवलिंग की सफाई: शिवलिंग को साफ जल से धोएं और उसे पवित्र करें।
- जल अभिषेक: सबसे पहले शिवलिंग पर स्वच्छ जल चढ़ाएं।
- दूध अभिषेक: इसके बाद दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- दही अभिषेक: दूध के बाद दही से अभिषेक करें।
- घी अभिषेक: दही के बाद घी से अभिषेक करें।
- शहद अभिषेक: इसके बाद शहद से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- गंगाजल अभिषेक: अंत में गंगाजल से अभिषेक करें।
- फिर शिवलिंग पर साबुत अनाज चढ़ाये।
- अच्छे से शिवलिंग को पानी से धो ले।
- बिल्व पत्र, धतूरा और भांग: अभिषेक के बाद बिल्व पत्र, धतूरा और भांग चढ़ाएं।
- फूल और चंदन: अंत में फूल और चंदन चढ़ाएं।
- श्रावण मास में व्रत और पूजा का महत्व
- श्रावण मास में व्रत रखना और भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इस महीने में भक्त सोमवार का व्रत रखते हैं और विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं। मान्यता है कि श्रावण मास में व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रावण मास की कथा
श्रावण मास से जुड़ी एक प्रमुख कथा है, जिसमें समुद्र मंथन का वर्णन है। यह कथा इस प्रकार है:
एक समय की बात है, जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था। समुद्र मंथन से अनेक रत्न, अमृत और विष उत्पन्न हुए। इस विष का नाम "हलाहल" था, जो अत्यंत घातक था। इसे देखकर देवता और असुर दोनों ही भयभीत हो गए। सभी ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे इस विष का पान करके संसार को बचाएं। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और विष का पान किया। उन्होंने इसे अपने कंठ में ही रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और वे "नीलकंठ" कहलाए।
इस विष के प्रभाव से भगवान शिव का शरीर जलने लगा। तब सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शिव को जल अर्पित किया, जिससे उनके शरीर की जलन कम हो सके। यह घटना श्रावण मास में ही घटी थी, इसलिए इस मास में भगवान शिव को जल चढ़ाने का विशेष महत्व है।
श्रावण मास में अन्य धार्मिक कार्य
श्रावण मास में शिवलिंग पर अभिषेक करने के अलावा अन्य धार्मिक कार्य भी किए जाते हैं, जैसे:
रुद्राभिषेक: यह भगवान शिव का विशेष अभिषेक होता है, जिसमें रुद्र मंत्रों का जाप किया जाता है।
शिव पुराण का पाठ: श्रावण मास में शिव पुराण का पाठ करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप: इस महीने में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना विशेष फलदायी माना जाता है।
दान-पुण्य: श्रावण मास में दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है। विशेष रूप से गौ दान, अन्न दान और वस्त्र दान का महत्व है।
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