Trending
Monday, 2024 December 02
भगवान श्री राम जी जीवनी और मृत्यु की कथा
Updates / 2024/01/22

भगवान श्री राम जी जीवनी और मृत्यु की कथा

श्री राम कौन थे: भगवान राम , भगवान विष्णु जी के सातवें अवतार थे जिनका जन्म त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर हुआ था। श्री राम ‘इक्ष्वाकु वंश ’ से संबंधित हैं जिसे राजा ‘इक्ष्वाकु’ जो भगवान सूर्य के पुत्र थे, उनके द्वारा स्थापित किया गया था, इसी वजह से रामचंद्र जी को ‘सूर्यवंशी राजा’ कहा जाता है। श्री रामचंद्र जी हिंदू महाकाव्य रामायण के मुख्य पात्र हैं और हिंदू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं; विशेष रूप से वैष्णव परंपरा के मानने वालों के लिए वह महत्वपूर्ण हैं। एक शाही परिवार में जन्मे भगवान राम के जीवन को अप्रत्याशित परिस्थितियों जैसे 14 साल के वनवास और कई नैतिक दुविधाओं और नैतिक सवालों से आजीवन चुनौती का सामना करना पड़ा।
भगवान श्री राम जी के पिता का नाम दशरथ था और उनकी माता का नाम कौशल्या था. राजा दशरथ के 4 पुत्र थे. राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न.

वे भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। श्रीराम का जन्म वैवस्वत मन्वंतर में 23 वे चतुर्युग के त्रेता में हुआ था । उन्होंने करीब 11000 वर्ष अयोध्या का शासन किया था , श्री राम विश्वामित्र के साथ यज्ञ की रक्षा के लिए छोटे भाई लक्ष्मण के साथ गए और ताड़का आदि राक्षस मारे उसके बाद गुरु के साथ राजा जनक के यहां उनकी पुत्री सीता के स्वयंवर में पहुंच कर शिव के धनुष को तोड़ सीता से विवाह किया,जब उन्होंने अगला राजा बनाया जा रहा था तब उनके पिता के वचन के लिए 14 वर्ष वनवास जाना हुआ जहां पर लक्ष्मण ने शुर्पनखा के नाक कान काट दिए और उसके भाई खर दूषण का राम ने वध कर दिया माता सीता का अपहरण रावण द्वारा किया गया जिसकी खोज में जटायु पक्षी जो बात करता था जिसने रावण का प्रतिकार किया था का पिता के समान अंत्येष्ठि संस्कार किया आगे हनुमान सुग्रीव से मिले सुग्रीव ले भाई बाली का वध कर सुग्रीव को राजा बनाया हनुमान ने माता सीता की खोज की रावण के भाई विभीषण को शरण दी रावण और इसके 1लाख से अधिक पुत्र डेढ़ लाख से अधिक पौत्र को कुंभकरण ,मेघनाद सहित मार गिराए , रामेश्वर में शिवलिंग स्थापित किया जो की ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध हैं नवरात्रि शक्ति की पूजा की समुद्र पर पुल बनाया और रावण को विभीषण के द्वारा अबताए रहस्य से जान कर मार गिराया पुष्पक विमान ले माता सीता को अग्नि परीक्षा करा लेकर शीघ्र भारत भैया के पास अयोध्या पहुंचे मेंषि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी। लेखक गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केन्द्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस की रचना की थी।

रामरघुकुल क्षत्रिय में जन्मे थे, जिसकी परम्परा रघुकुल रीति सदा चलि आई प्राण जाई पर बचन न जाई की थी। ब्राह्मणों के अनुसार राम न्यायप्रिय थे। उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया, इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं। इनके दो पुत्रों कुश व लव ने इनके राज्यों अयोध्या और कोशलपुर को संभाला।

वैदिक धर्म के कई त्योहार, जैसे दशहरा, राम नवमी और दीपावली, श्रीराम की वन-कथा से जुड़े हुए हैं। रामायण भारतीयों के मन में बसता आया है, और आज भी उनके हृदयों में इसका भाव निहित है। भारत में किसी व्यक्ति को नमस्कार करने के लिए राम राम, जय सियाराम जैसे शब्दों को प्रयोग में लिया जाता है। ये भारतीय संस्कृति के आधार हैं।। राम और कृष्ण दोनो ही विष्णु का अवतार हैं अतः ये दोनो एक ही हैं। जय श्री राम

वनवास
श्री राम के पिता दशरथ ने उनकी सौतेली माता कैकेयी को उनकी किन्हीं दो इच्छाओं को पूरा करने का वचन (वर) दिया था। कैकेयी ने दासी मन्थरा के बहकावे में आकर इन वरों के रूप में राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राजसिंहासन और राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास मांगा। पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने खुशी से चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार किया। पत्नी सीता ने आदर्श पत्नी का उदाहरण देते हुए पति के साथ वन (वनवास) जाना उचित समझा। भाई लक्ष्मण ने भी राम के साथ चौदह वर्ष वन में बिताए। भरत ने न्याय के लिए माता का आदेश ठुकराया और बड़े भाई राम के पास वन जाकर उनकी चरणपादुका (खड़ाऊँ) ले आए। फिर इसे ही राज गद्दी पर रख कर राजकाज किया। जब राम वनवासी थे तभी उनकी पत्नी सीता को रावण हरण (चुरा) कर ले गया। जंगल में राम को हनुमान जैसा मित्र और भक्त मिला जिसने राम के सारे कार्य पूरे कराये। राम ने हनुमान, सुग्रीव आदि वानर जाति के महापुरुषों की सहायता से सीता को ढूंंढा। समुद्र में पुल बना कर लंका पहुँचे तथा रावण के साथ युद्ध किया। उसे मार कर सीता जी को वापस ले कर आये। राम के अयोध्या लौटने पर भरत ने राज्य उनको ही सौंप दिया।

राजा दशरथ के तीन रानियां थीं: कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी। भगवान राम कौशल्या के पुत्र थे, सुमित्रा के दो पुत्र, लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे और कैकेयी के पुत्र भरत थे। राज्य नियमों के अनुसार राजा का ज्येष्ठ पुत्र ही राजा बनने का पात्र होता है अत: श्री राम का अयोध्या का राजा बनना निश्चित था। कैकेयी जिन्होंने दो बार राजा दशरथ की जान बचाई थी और दशरथ ने उन्हें यह वर दिया था कि वो जीवन के किसी भी पल उनसे दो वर मांग सकती हैं। राम को राजा बनते हुए और भविष्य को देखते हुए कैकेयी चाहती थी कि उनका पुत्र भरत ही अयोध्या का राजा बने, इसलिए उन्होंने राजा दशरथ द्वारा राम को १४ वर्ष का वनवास दिलाया और अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या का राज्य मांग लिया। वचनों में बंधे राजा दशरथ को विवश होकर यह स्वीकार करना पड़ा। श्री राम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन किया। श्री राम की पत्नी देवी सीता और उनके भाई लक्ष्मण जी भी वनवास गये थे।

प्रभु श्री राम और माता सीता की मृत्यु की कथा

प्रभु श्रीराम की मृत्य से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार सीता ने अपने दोनों बच्चों लव और कुश को प्रभु श्रीराम को सौंपा और धरती माता के साथ जमीन में समा गईं। सीता के जाने से प्रभु श्रीराम इतने दुखी हो गए किउन्होंने यमराज से सहमति लेकर सरयू नदी में जल समाधी ले ली।

भगवान श्री राम ने धरती पर 1000 वर्षों से भी ज्यादा समय तक शासन किया। अपने इस लंबे शासकाल में भगवान राम ने कई ऐसे काम किए जिन्होंने हिंदू धर्म को एक गौरवमयी इतिहास प्रदान किया। पंडित प्रशांत मिश्रा जी बताते हैं कि पद्मपुराण के अनुसार भगवान राम जब अपना अवतारकाल समाप्त करके एक ऋषि का रूप धारण करके आये तब काल यानी यमराज भी एक ऋषि के रूप में आए और उन्होंने राम जी से बात करने का आग्रह किया। तब श्री राम ने काल से कहा किकोई हमारे बीच न आए।
उस समय प्रभु श्री राम ने भ्राता लक्ष्मण से कहा कि वो एकांत चाहते हैं और काल से वार्तालाप करना चाहते हैं, इसलिए आप दरवाज़े पर खड़े हो जाएं जिससे कोई भीतर प्रवेश न कर सके। इतनी देर में ऋषि दुर्वाशा वहां आ गए और राम जी से मिलने का आग्रह करने लगे। लक्ष्मण जी के मना करने पर भी ऋषि नहीं माने और क्रोधित होकर बात करने लगे। लक्ष्मण जी दुर्वाशा के क्रोध से बचने के लिए कमरे में प्रवेश कर गए जहां श्री राम वार्तालाप कर रहे थे। ये देखकर श्री राम भी लक्ष्मण पर कुपित हुए और उन्हें मृत्यु दंड न देकर देश निकाला दे दिया। लक्ष्मण जी के लिए वह भी मृत्यु सामान ही था,इसलिए वो सरयू नदी में समा गए और शेषनाग का रूप धारण कर लिया। भाई की जलसमाधि से आहत होकर श्रीराम ने भी जल समाधि का निर्णय लिया। वो सरयू नदी के अंदर गए और भगवान विष्णु का अवतार ले लिया। इस तरह श्रीराम ने मानव शरीर त्याग दिया और बैकुंठ धाम चले गए।

Tags- भगवान राम, राम, सीता, राम और सीता की मृत्यु की कथा, श्री राम कौन थे, राम कौन थे, अयोध्या, राम की जीवनी


Frequently Asked Questions

राम जी कौन से अवतार थे?
राम - वाल्मीकि की रामायण के अनुसार, राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र राम थे, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार बताया जाता है। भगवान राम का विवाह राजा जनक की पुत्री सीता से हुआ था। सीता को माता लक्ष्मी क
राम कौन था?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम एक अवतारी पुरुष थे। उन्हें विष्णु जी का सातवां अवतार माना जाता है।
भगवान राम का इतिहास क्या है?
श्रीराम, ब्रह्मा जी के पुत्र दरीची, दरीची के पुत्र महर्षि कश्यप के वंश से जो सूर्यवंश हुआ उसी के इक्षवा कुल में श्री राम का जन्म हुआ इन्हें रामचंद्र भी कहते हैं, रामायण के अनुसार,महाराज दशरथ और
राम की मृत्यु कैसे हुई और कब हुई?
शास्त्रों के मुताबिक भगवान राम का जन्म ईसा से 5114 वर्ष पूर्व माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम की मृत्यु नहीं हुई थी बल्कि वो शरीर के साथ ही बैकुंठ गए थे.
राम जी का असली नाम क्या है?
शास्त्रों के अनुसार, भगवान राम का असली नाम

Tranding


HappyZindagi

contact@happyzindagi.com

© Happy Zindagi. All Rights Reserved.