तुलसी विवाह की सम्पूर्ण विधि
तुलसी विवाह हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व माना जाता है। यह विवाह कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि के दिन भगवान विष्णु और तुलसी माता के रूप में पूजनीय शालिग्राम और तुलसी पौधे के बीच सम्पन्न होता है। तुलसी विवाह का आयोजन परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और समस्त दुखों के निवारण के लिए किया जाता है। आइए जानें तुलसी विवाह की सम्पूर्ण पूजा विधि, पूजन सामग्री और इस विवाह से मिलने वाले लाभ।
तुलसी विवाह की पूजा विधि
1. पूजा स्थल की तैयारी करें
तुलसी विवाह के लिए तुलसी के पौधे को अच्छे से साफ करें। पौधे के चारों ओर रंगोली बनाएं और दीप जलाएं। तुलसी माता को वस्त्र अर्पित करें और पास में भगवान शालिग्राम की स्थापना करें।
2. स्नान और शुद्धिकरण
पूजा करने से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। भगवान शालिग्राम और तुलसी को पवित्र जल से स्नान कराएं, जिससे वे शुद्ध हो सकें।
3. तुलसी और शालिग्राम का श्रृंगार
तुलसी के पौधे को सुन्दर वस्त्र, गहनों, सिंदूर और चूड़ियों से सजाएं। भगवान शालिग्राम को भी वस्त्र और आभूषण पहनाएं ताकि दोनों का विवाह विधिपूर्वक हो सके।
4. पूजन सामग्री का अर्पण करें
तुलसी और शालिग्राम की मूर्ति को जल, चंदन, फूल, अक्षत (चावल), फल और वस्त्र अर्पित करें। तुलसी के पत्तों से भगवान शालिग्राम का पूजन करें और हल्दी और कुमकुम लगाएं।
5. विवाह मंत्र का उच्चारण करें
तुलसी विवाह के दौरान “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। विवाह की संपूर्ण प्रक्रिया मंत्रोच्चार के साथ सम्पन्न करें, जिससे विधि पूरी होती है।
6. तुलसी विवाह की समर्पण प्रक्रिया
विवाह की रस्में पूरी होने के बाद प्रसाद वितरण करें। प्रसाद सभी को बाँटें और तुलसी विवाह के महाप्रसाद का सेवन करें।
तुलसी विवाह के लाभ
सुख और समृद्धि का आशीर्वाद: तुलसी विवाह से घर में सुख-समृद्धि आती है और धन-धान्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
विवाह में आने वाली बाधाओं का निवारण: तुलसी विवाह का आयोजन उन लोगों के लिए लाभकारी होता है जिनके विवाह में बाधाएं आ रही हों।
पारिवारिक कल्याण और शांति: तुलसी विवाह करने से परिवार में कल्याण और शांति का वास होता है।
भगवान विष्णु का आशीर्वाद: इस विवाह से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।