वैष्णो देवी कर रही हैं कल्कि अवतार का इंतजार, जानिए 1 युग से क्यू वैष्णोदेवी कर रही है तपस्या
वैष्णो देवी मंदिर, जो जम्मू-कश्मीर के त्रिकूट पर्वत पर स्थित है, भारत के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। यह मंदिर माता वैष्णो देवी को समर्पित है, जिन्हें देवी शक्ति के तीन रूपों – महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती – का प्रतीक माना जाता है। कटरा से लगभग 12 किलोमीटर की चढ़ाई करके भक्त इस मंदिर तक पहुंचते हैं। इस यात्रा के दौरान “जय माता दी” के जयकारे गूंजते रहते हैं, जो भक्तों की अटूट श्रद्धा और विश्वास को दर्शाते हैं।
यह मंदिर अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए प्रसिद्ध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता वैष्णो देवी स्वयं अपने भक्तों को यहां बुलाती हैं। आधुनिक सुविधाओं जैसे रोपवे और घोड़े की व्यवस्था ने तीर्थयात्रा को और भी आसान बना दिया है, जिससे हर आयु वर्ग के लोग माता के दर्शन कर सकते हैं। वैष्णो देवी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और ईश्वर की कृपा का प्रतीक है।
हिंदू धर्म में माता वैष्णो देवी को शक्ति का अवतार माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता वैष्णो देवी भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार, कल्कि अवतार, की प्रतीक्षा कर रही हैं।
कथा के अनुसार, कलियुग में धर्म का ह्रास होगा और अधर्म का प्रभाव बढ़ेगा। तब भगवान विष्णु कल्कि अवतार के रूप में प्रकट होंगे और अधर्म का अंत करेंगे। माता वैष्णो देवी ने यह प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक भगवान विष्णु कल्कि अवतार में प्रकट नहीं होते, तब तक वे ध्यान और तपस्या में लीन रहेंगी।
ऐसी भी कथा है कि देवी वैष्णवी यानी माता वैष्णो देवी जो रामावतार के समय से भगवान से विवाह से लिए तपस्या कर रही हैं उनकी तपस्या कल्कि भगवान पूर्ण करेंगे और उनसे विवाह करेंगे।
श्री राम ने दिया माँ वैष्णोदेवी को शादी का वचन
इस संदर्भ में कथा है कि धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु के अंश से एक कन्या का जन्म दक्षिण भारत में रामेश्वरम तट पर पण्डित रत्नाकर के घर हुआ था। 9 वर्ष की उम्र में जब इन्हें पता चला कि भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया तब देवी त्रिकूटा ने राम को पति रूप में पाने के लिए तपस्या शुरू कर दी। सीता हरण के बाद भगवान राम जब सीता को ढूंढते हुए रामेश्वरम तट पर पहुंचे। यहां राम और त्रिकूटा की पहली मुलाकात हुई। देवी त्रिकूटा ने राम को पति रूप में प्राप्त करने की इच्छा प्रकट की।
भगवान राम ने देवी त्रिकूटा से कहा कि मैंने इस अवतार में एक पत्नी व्रत रहने का वचन लिया है। मेरा विवाह सीता से हो चुका है इसलिए मैं आपसे विवाह नहीं कर सकता है। देवी त्रिकूटा ने जब बहुत अनुनय विनय किया तब श्री राम ने कहा कि लंका से लौटते समय मैं आपके पास आऊंगा अगर आप मुझे पहचान लेंगी तो मैं आपसे विवाह कर लूंगा।
श्री राम ने अपने वचन का पालन किया और लंका से लौटते समय देवी त्रिकूटा के पास आए लेकिन भगवान राम की माया के कारण देवी त्रिकूटा उन्हें पहचान नहीं सकी। त्रिकूटा के दुःख को दूर करने के लिए श्री राम ने कहा कि देवी आप त्रिकूट पर्वत पर एक दिव्य गुफा है उस गुफा में तीनों महाशक्तियां महासरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली पिण्डी रूप में विराजमान हैं।
आप उसी गुफा में जाकर मेरी प्रतिक्षा कीजिए। कलयुग में जब मेरा अवतार होगा तब मैं आकर आपसे विवाह करुंगा। तब तक महावीर हनुमान आपकी सेवा में रहेंगे और धर्म की रक्षा में आपकी सहायता करेंगे। धर्म का पालन करने वाले भक्तों की आप मनोकामना पूरी कीजिए। भगवान राम के आदेश के अनुसार आज भी वैष्णो माता उनकी प्रतिक्षा कर रही हैं और अपने दरबार में आने वाले भक्त के दुःख दूर कर उनकी झोली भर रही हैं।