वैष्णो देवी के बाद भैरवनाथ के दर्शन क्यों करने चाहिए?
भैरव बाबा मंदिर वैष्णो देवी के मंदिर के पास त्रिकूट पर्वत की ऊंचाई पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि जब भैरव नाथ ने माता वैष्णो देवी को परेशान किया, तब माता ने उनका वध किया। भैरव नाथ ने अपनी मृत्यु के समय क्षमा याचना की, और माता ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि जो भी भक्त वैष्णो देवी के दर्शन करेगा, वह भैरव बाबा के दर्शन भी करेगा। तभी उसकी यात्रा पूर्ण मानी जाएगी।
इस मंदिर का महत्व भक्तों के लिए असीम है क्योंकि भैरव बाबा को संकटमोचक और मार्गदर्शक माना जाता है।
भैरवनाथ बाबा के दर्शन पर पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार माता वैष्णो देवी के भक्तों ने नवरात्रि पूजन के लिए कुंवारी कन्याओं को बुलाया। माता रानी पुत्री का रूप धारण करके वहां पहुंचीं। माता ने श्रीधर से गांव के सभी लोगों को भंडारे के लिए दान देने के लिए आमंत्रित करने को कहा।
निमंत्रण पाकर गांव के कई लोग श्रीधर के घर भोजन करने पहुंचे। तभी पुत्रवधू वैष्णो देवी ने सभी को भोजन परोसना शुरू किया। भोजन परोसते-परोसते कन्या भैरवनाथ के पास गई। लेकिन भैरवनाथ भोजन में मांस-मदिरा खाने की जिद करने लगा।
कन्या ने उसे समझाने का प्रयास किया कि भैरवनाथ क्रोधित होकर कन्या को पकड़ना चाहता है, लेकिन इससे पहले ही पवन रूपी त्रिकूट पर्वत की ओर उड़ चला।
इस पर्वत की एक गुफा में पहुंचकर माता ने नौ महीने तक तपस्या की थी। मान्यता के अनुसार उस समय माता की रक्षा के लिए हनुमानजी उनके साथ थे।
भैरवनाथ भी उसका पीछा करते हुए गुफा तक पहुंच गया। तब माता गुफा के दूसरे छोर से निकल गईं। यह गुफा आज अर्धकुमारी या आदिकुड़ी के नाम से प्रसिद्ध है।
गुफा से दूसरे द्वार से निकलने के बाद भी भैरवनाथ ने माता का पीछा नहीं छोड़ा, तब माता वैष्णवी ने महाकाली का रूप धारण कर भैरवनाथ का वध कर दिया।
भैरवनाथ का सिर कटकर भवन से 8 किमी दूर त्रिकूट पर्वत की भैरव घाटी में जा गिरा। उस स्थान को भैरवनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।
हालांकि, वध के बाद भैरवनाथ को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने क्षमा मांगी।
दयालु मां ने न केवल उसे माफ कर दिया, बल्कि उसे वरदान देते हुए कहा कि जब तक मेरे बाद कोई भक्त तुम्हारे दर्शन नहीं देगा, तब तक मेरा दर्शन पूरा नहीं माना जाएगा।
उल्लेखनीय है कि इस पौराणिक मान्यता के अनुसार आज भी माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद भक्त 8 किलोमीटर की गहराई में जाकर भैरवनाथ के दर्शन करते हैं, ताकि उनके दर्शन पूरे हो सकें और उन्हें माता रानी के दर्शन का पूरा फल मिल सके।
भैरव बाबा के दर्शन के लिए टिप्स
सुरक्षा का ध्यान रखें: पहाड़ी रास्तों पर चलते समय सावधानी बरतें।
हल्के और आरामदायक कपड़े पहनें: पहाड़ों की यात्रा के लिए हल्के और आरामदायक कपड़े व जूते पहनना आवश्यक है।
जल और भोजन रखें: यात्रा के दौरान जल और हल्का भोजन साथ रखें।
जल्दी यात्रा करें: सुबह जल्दी यात्रा करने से भीड़ से बचा जा सकता है।
रोपवे सेवा का लाभ उठाएं: यदि पैदल यात्रा कठिन लगती है तो रोपवे सेवा एक बेहतर विकल्प है।