येई हो विठ्ठले माझे माउली ये आरती लिरिक्स हिन्दी मे
"येई हो विठ्ठले माझे माउली ये" एक अत्यंत प्रसिद्ध और भक्तिपूर्ण आरती है, जो भगवान विठ्ठल के प्रति श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करती है। विठ्ठल, जिन्हें विठोबा या पांडुरंग के नाम से भी जाना जाता है, महाराष्ट्र के पंढरपुर में स्थित एक प्रमुख देवता हैं। भक्तगण इन्हें भगवान कृष्ण का अवतार मानते हैं और उनकी आराधना अत्यंत हृदयस्पर्शी होती है।
आरती का महत्त्व
इस आरती का मुख्य उद्देश्य भक्तों के दिलों में भगवान विठ्ठल के प्रति असीम प्रेम और श्रद्धा उत्पन्न करना है। "येई हो विठ्ठले माझे माउली ये" का अर्थ है "आओ हे विठ्ठल, मेरे माता-पिता के समान आओ।" यह आरती भगवान विठ्ठल को माता-पिता के रूप में पूजते हुए उनकी शरण में जाने का आह्वान करती है।
येई हो विठ्ठले माझे माउली ये ।
निढळावरी कर ठेवुनि वाट मी पाहें ॥
येई हो विठ्ठले माझे माउली ये ।
आलिया गेलिया हातीं धाडी निरोप ।
पंढरपुरीं आहे माझा मायबाप ॥
येई हो विठ्ठले माझे माउली ये ।
पिवळा पीतांबर कैसा गगनीं झळकला ।
गरुडावरि बैसोनि माझा कैवारी आला ॥
येई हो विठ्ठले माझे माउली ये ।
विठोबाचे राज्य आम्हां नित्य दिपवाळी ।
विष्णुदास नामा जीवें भावें ओंवाळी ॥ येई हो० ॥
आरती का महात्म्य
पंढरपुर की यात्रा करने वाले भक्तगण इस आरती को गाकर अपने आराध्य विठ्ठल के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। यह आरती केवल एक धार्मिक गीत नहीं है, बल्कि भक्तों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका नियमित जाप और गान आत्मिक शांति और सद्भावना प्रदान करता है।
समापन
"येई हो विठ्ठले माझे माउली ये" आरती भगवान विठ्ठल की कृपा और आशीर्वाद को पाने का एक सुंदर माध्यम है। यह आरती भक्तों को भगवान के साथ एक गहरा संबंध स्थापित करने में मदद करती है और उन्हें जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्रदान करती है। भगवान विठ्ठल की आराधना करते समय इस आरती का गान भक्तों के मन को शांत और स्थिर बनाता है, जिससे उन्हें आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति होती है।
इस प्रकार, "येई हो विठ्ठले माझे माउली ये" आरती हमारी संस्कृति और धार्मिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी भक्तों के हृदय में भगवान विठ्ठल के प्रति असीम प्रेम और श्रद्धा को प्रज्वलित करता है।
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