पांडुरंगा आरती / युगे अठ्ठावीस विटेवरी उभा आरती लिरिक्स हिन्दी मे
यह आरती पांडुरंगा आरती है, इसे विठल आरती भी कहते है। क्योकि यह सारे रूप भगवान विष्णु के ही है। इस आरती को गा कर हम भगवान विष्णु की आराधना करते है। इस आरती को गणेश चतुर्थी पर भी गाया जाता है। यह मराठी भाषित आरती है। जिसे हमने हिन्दी मे आपके सामने प्रस्तुत किया है।
युगे अठ्ठावीस विटेवरी उभा।
वामांगी रखुमाई दिसे दिव्य शोभा।
पुंडलिकाचे भेटी परब्रह्म आलें गा।
चरणीं वाहे भीमा उद्धरी जगा।।1।।
जय देव जय देव जय पांडुरंगा।।
रखुमाईवल्लभा राहोच्या वल्लभा पावें जिवलगा ।।धृ.।।
जय देव
तुळसींमाळा गळां कर ठेवुनि कटीं।
कांसे पीतांबर कस्तुरि लल्लाटीं।
देव सुरवर नित्य येती भेटी।
गरुड हनुमंत पुढें उभे राहती ।।
जय देव ।।2।।
धन्य वेणूनाद अनुक्षेत्रपाळा।
सुवर्णाचीं कमळें वनमाळा गळां।
राई रखुमाई राणीया सकळा।
ओंवाळिती राजा विठोबा सांवळा ।।
जय देव ।।3।।
ओंवाळूं आरत्या कुर्वड्या येती ।
चंद्रभागेमाजीं सोडुनियां देती।
दिंड्या एताका वैष्णव नाचती।
पंढरीचा महिमा वर्णांवा किती ।।
जय देव ।।4।।
आषाढी कार्तिकी भक्तजन येती।
चंद्रभागेमध्यें स्नानें जें करिती।
दर्शनहेळामात्रें तयां होय मुक्ती।
केशवासी नामदेव भावे ओंवाळिती।।
जय देव जय देव जय. ।।5।।
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