भद्रा काल में राखी बांधने से क्या होता है?
रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के बीच प्यार और सुरक्षा का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और भाई उसकी सुरक्षा का वचन देता है। लेकिन राखी बांधने का समय चुनते वक्त हमें भद्रा काल का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
भद्रा काल क्या है?
भद्रा काल हिन्दू धर्म में एक विशेष समय होता है, जिसे अशुभ माना जाता है। पंचांग के अनुसार, यह काल तब आता है जब 'भद्रा' नामक एक दैवीय दोष का प्रभाव होता है। इस समय किसी भी शुभ कार्य, जैसे कि रक्षाबंधन, विवाह, गृह प्रवेश आदि, को करना निषेध होता है। भद्रा काल में किए गए कार्यों का परिणाम उल्टा हो सकता है, इसलिए इसे अत्यधिक अशुभ माना गया है।
भद्रा काल में राखी बांधने के परिणाम
भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस समय राखी बांधने से भाई और बहन के रिश्ते में मतभेद या समस्याएं आ सकती हैं। इसके अलावा, भद्रा काल में राखी बांधने से भाई को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां, धन हानि, या अन्य प्रकार के कष्ट हो सकते हैं। इसलिए, भद्रा काल के दौरान राखी बांधने से बचना चाहिए।
राखी बांधने का सही समय
रक्षाबंधन पर राखी बांधने का सबसे शुभ समय वही होता है, जब भद्रा काल न हो। भद्रा काल के समाप्त होने के बाद या उससे पहले के शुभ मुहूर्त में राखी बांधनी चाहिए। पंचांग में दिए गए समय के अनुसार ही राखी बांधने का निर्णय लेना चाहिए।
भद्रा काल में राखी बांधनी हो तो क्या करें?
यदि किसी कारणवश आपको भद्रा काल के दौरान ही राखी बांधनी पड़ रही है, तो भद्रा मुख से बचते हुए भद्रा पुच्छ के समय राखी बांध सकते हैं। भद्रा मुख का समय अत्यधिक अशुभ होता है, लेकिन भद्रा पुच्छ का समय तुलनात्मक रूप से कम अशुभ माना जाता है।
निष्कर्ष
रक्षाबंधन का त्योहार भले ही भाई-बहन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है, लेकिन इसे सही समय पर ही मनाना चाहिए। भद्रा काल में राखी बांधने से बचना चाहिए ताकि रिश्तों में किसी भी प्रकार का दोष या अशुभ प्रभाव न पड़े। पंचांग और मुहूर्त का ध्यान रखते हुए ही राखी बांधने का निर्णय लेना चाहिए।
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