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Monday, 2024 December 02
श्री बजरंग बाण, सारी बीमारियो से होगी मुक्ति और विवाह होगा संपन्न
Updates / 2024/05/18

श्री बजरंग बाण, सारी बीमारियो से होगी मुक्ति और विवाह होगा संपन्न

हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जो कलयुग में भी पृथ्वी पर विराजमान हैं। भगवान हनुमान की पूजा आराधना करने से मनुष्य हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है। इनकी पूजा करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। ज्यादातर लोग हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। यह तो फायदेमंद होता ही है साथ ही अगर बजरंग बाण का पाठ किया जाए तो इससे भक्तों को बजरंगबली की असीम कृपा प्राप्त होती है।

बजरंग बाण पाठ का फल 

बजरंग बाण का पाठ करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं.इससे हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन सुखमय बीतता है. बजरंग बाण का पाठ करने से कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं. किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी से निजात पाने के लिए राहुकाल में बजरंग बाण का पाठ करें. इस दौरान घी का दीया भी जलाना चाहिए. कार्यक्षेत्र में किसी प्रकार की समस्या आ रही हो तो मंगलवार के दिन व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा अर्चना करने के बाद बजरंग बाण का पाठ करने से विशेष लाभ होता है. नियमित रूप से दिन में तीन बार बजरंग बाण का पाठ कर से घर का वास्तुदोष दूर होता है.



बजरंग बाण पाठ के दौरान विशेष रखे ध्यान इन बातो का 

बजरंग बाण का पाठ किसी भी दिन ना शुरू करें. मंगलवार के दिन ही इसका पाठ शुरू किया जाना चाहिए. बजरंग बाण का पाठ अधूरे में नहीं छोड़ना चाहिए. कम से कम 41 दिनों तक इसका पाठ जरूर करें. इस पाठ के दौरान काले कपड़े ना पहनें. लाल रंग के कपड़े पहन कर ही बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए. जितने दिन भी बजरंग बाण पाठ का संकल्प लें, उतने दिन मांसाहार का सेवन ना करें.

बजरंग बाण पाठ के नियम 

मंगलवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थान पर भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें।
भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूजनीय हैं। इसलिए बजरंग बाण का आरंभ करते समय सर्वप्रथम गणेश जी की आराधना करें। 
इसके बाद भगवान राम और माता सीता का ध्यान करें। 
उसके बाद हमुमान जी को प्रणाम करके बजरंग बाण के पाठ का संकल्प लें। 
हनुमान जी को फूल अर्पित करें और उनके समक्ष धूप, दीप जलाएं।
कुश से बना आसन बिछाएं और उसपर बैठकर बजरंग बाण का पाठ आरंभ करें।
पाठ पूर्ण हो जाने के बाद भगवान राम का स्मरण और कीर्तन करें। 
हनुमान जी को प्रसाद के रूप में चूरमा, लड्डू और अन्य मौसमी फल आदि अर्पित कर सकते हैं।

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।"

"तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥"



चौपाई

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।

जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।

जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।

आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।

बाग उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।


अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।

लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।

अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।

जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।

जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।

ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिं मारु बज्र की कीले।।

गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।

ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।

ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।

सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।

जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।

पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।

वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।

पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।

जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।

बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।

इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।

जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।

जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।

चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।

उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।

ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।

ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।

अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।

यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।

यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।

धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।

दोहा

" प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान। "

" तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।। "

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Frequently Asked Questions

क्या बजरंग बाण रोज नहीं पढ़ना चाहिए?
बजरंग बाण का पाठ किसी भी दिन नहीं शुरू करना चाहिए. इसका पाठ मंगलवार के दिन से ही शुरू किया जाना चाहिए. मनोकामना की पूर्ति के लिए बजरंग बाण का पाठ अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए. मनोकामनाओं की पूर्ति के
बजरंग बाण करने से क्या फल मिलता है?
बजरंग बाण का पाठ करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं.इससे हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन सुखमय बीतता है. बजरंग बाण का पाठ करने से कुंडली के ग्रह दोष दूर होते हैं. किसी भ
बजरंग बाण कैसे पढ़ें?
मंगलवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान पर भगवान हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें। भगवान गणेश सभी देवों में प्रथम पूजनीय हैं। इसलिए बजरंग बाण का
हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या फायदा होता है?
बजरंग बाण का पाठ करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. इससे हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन सुखमय बीतता है.
बजरंग बाण कैसे पढ़ते हैं?
बजरंग बाण पढ़ने के नियमो का पालन करके।

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