बाथरूम और शौचालय का सही स्थान और दिशा: वास्तु शास्त्र के अनुसार
घर का हर हिस्सा वास्तु शास्त्र के अनुसार महत्वपूर्ण होता है, लेकिन बाथरूम और शौचालय का स्थान और दिशा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह स्थान अगर सही दिशा और स्थान में न हो, तो घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ सकता है, जिससे स्वास्थ्य और समृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं वास्तु शास्त्र के अनुसार बाथरूम और शौचालय का सही स्थान और दिशा क्या होनी चाहिए।
1. बाथरूम और शौचालय की दिशा
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व होता है, और बाथरूम और शौचालय के लिए सही दिशा का चयन करना अति आवश्यक होता है।
उत्तर-पश्चिम दिशा: बाथरूम और शौचालय के लिए सबसे उत्तम दिशा उत्तर-पश्चिम (वायव्य कोण) मानी जाती है। यह दिशा नकारात्मक ऊर्जा को नियंत्रित करने में सहायक होती है और स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उत्तर दिशा: यदि उत्तर-पश्चिम दिशा में बाथरूम या शौचालय बनाना संभव नहीं है, तो उत्तर दिशा भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। यह दिशा स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए लाभकारी मानी जाती है।
दक्षिण दिशा में बचें: दक्षिण दिशा में बाथरूम या शौचालय बनाना वास्तु शास्त्र के अनुसार उचित नहीं माना जाता है। यह दिशा नकारात्मक ऊर्जा का केंद्र हो सकती है और घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है।
2. बाथरूम और शौचालय का स्थान
बाथरूम और शौचालय का स्थान भी वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण होता है। इनके सही स्थान पर निर्माण से घर में शांति और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
मुख्य द्वार से दूर: बाथरूम और शौचालय को घर के मुख्य द्वार से दूर रखना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा का घर के अंदर प्रवेश कम होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
रसोई से दूर: बाथरूम और शौचालय को रसोईघर से दूर रखना चाहिए। रसोई और शौचालय की नजदीकी से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है और घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सकता है।
3. बाथरूम और शौचालय की सजावट और रंग
बाथरूम और शौचालय की सजावट और रंग का भी वास्तु शास्त्र में महत्वपूर्ण स्थान है। सही रंग और सजावट से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
हल्के रंग का प्रयोग: बाथरूम और शौचालय के लिए हल्के और शांतिपूर्ण रंगों का चयन करना चाहिए जैसे सफेद, हल्का नीला, हल्का हरा। यह रंग मानसिक शांति और स्वच्छता का प्रतीक होते हैं।
दर्पण की स्थिति: बाथरूम में दर्पण को उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और स्वच्छता का अनुभव होता है।
4. बाथरूम और शौचालय की सफाई
वास्तु शास्त्र में स्वच्छता का विशेष महत्व होता है। बाथरूम और शौचालय की नियमित सफाई और सही देखभाल से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव कम होता है।
रोजाना सफाई: बाथरूम और शौचालय की रोजाना सफाई करनी चाहिए। यह स्थान गंदगी और बैक्टीरिया का केंद्र हो सकता है, जो नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकता है।
सुगंधित तत्व: बाथरूम में सुगंधित तत्व जैसे रूम फ्रेशनर, अगरबत्ती, या एयर फ्रेशनर का प्रयोग करना चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मकता को बढ़ावा देता है।
5. बाथरूम और शौचालय के लिए वास्तु दोष निवारण उपाय
अगर बाथरूम और शौचालय की दिशा वास्तु शास्त्र के अनुसार नहीं है, तो उसके लिए कुछ वास्तु दोष निवारण उपाय अपनाए जा सकते हैं।
तांबे की पट्टी: बाथरूम या शौचालय के दरवाजे पर तांबे की पट्टी लगाएं। यह नकारात्मक ऊर्जा को नियंत्रित करने में मदद करती है।
वास्तु पिरामिड: बाथरूम और शौचालय में वास्तु पिरामिड रखना भी एक अच्छा उपाय हो सकता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और सकारात्मकता को बढ़ाने में सहायक होता है।
निष्कर्ष
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में बाथरूम और शौचालय की दिशा और स्थान का सही होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर इनकी दिशा और स्थान सही नहीं होते हैं, तो यह नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकते हैं, जिससे घर के सदस्यों के स्वास्थ्य और समृद्धि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए, बाथरूम और शौचालय की दिशा और स्थान का चयन करते समय वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पालन अवश्य करना चाहिए।
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