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Chaturmas 2024 Date: चातुर्मास मे गलती से भी नही करे यह कार्य
Updates / 2024/07/13

Chaturmas 2024 Date: चातुर्मास मे गलती से भी नही करे यह कार्य

Chaturmas 2024: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से भगवान विष्णु क्षीर सागर में शयन करने चले जाते हैं और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान पुनः निद्रा से जागते हैं जिसे देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के रूप में जाना जाता है। इस दौरान चार महीने के अवधि को चातुर्मास कहा जाता है।



चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. इस अवधि को भगवान का शयनकाल कहा जाता है. मान्यता है कि भगवान विष्णु के शयनकाल में जाने के बाद सृष्टि के संचालन का कार्यभार भगवान शिव (Lord Shiva) संभालते हैं.

आइये जानते हैं जुलाई 2024 (July 2024) में कब पड़ेगी देवशयनी एकादशी और इस व्रत के दौरान भक्तों को किन नियमों का पालन करना चाहिए.


देवशयनी एकादशी जुलाई 2024 में कब? (Devshayani Ekadashi 2024 Date)

इस बार जुलाई महीने में देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई 2024 को रखा जाएगा और इसी दिन से चातुर्मास भी शुरू हो जाएगा. पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी आषाढ़ शुक्ल की एकादशी तिथि को होती है. आषाढ़ शुक्ल की एकादशी तिथि का आरंभ 16 जुलाई 2024 रात 08:33 से शुरू होगा और इसका समापन 17 जुलाई 2024 रात 09:02 पर होगा. ऐसा में उदयातिथि मान्य होने के कारण देवशयनी एकादशी का व्रत 17 जुलाई को रखा जाएगा. और और 12 नवंबर, 2024 को देवउठनी एकादशी तक चलेगा।


चातुर्मास के दौरान कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। 

  • भगवान विष्णु की योग निद्रा: हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु क्षीर सागर में योग निद्रा में चले जाते हैं।

  • धार्मिक कार्यों पर रोक: चातुर्मास के दौरान विवाह, मुंडन संस्कार जैसे मांगलिक कार्यों को करने से परहेज किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में ये कार्य शुभ नहीं होते।

  • आध्यात्मिक साधना का समय: चातुर्मास को आत्मिक जागरण और ईश्वर प्राप्ति के लिए उपयुक्त माना जाता है। इस दौरान भजन, ध्यान, पूजा-पाठ आदि का विशेष महत्व होता है।

  • दान का पुण्य: चातुर्मास में दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। गरीबों की सहायता करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

  • सात्विक भोजन: चातुर्मास में सात्विक भोजन ग्रहण करने की परंपरा है। इस दौरान मांस, मछली, अंडे और शराब का सेवन नहीं किया जाता है।

देवशयनी एकादशी, जिसे हिंदी में देवशयनी एकादशी या प्रश्नोत्तरी एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहा जाता है।

चातुर्मास का महत्व 

इस एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भक्त उनके लिए व्रत रखते हैं। इस दिन को देवशयनी एकादशी के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन को विष्णु भगवान ने अपनी योगमाया के रूप में पृथ्वी पर अवतरित होकर धरती पर अपने भक्तों की सेवा की थी। इसलिए, इस त्योहार का महत्व विशेष रूप से विष्णु भक्तों के लिए होता है।



चातुर्मास में ध्यान रखने योग्य बातें

चातुर्मास के दौरान धार्मिक कार्यों के अतिरिक्त, कुछ बातों का ध्यान रखना शुभ माना जाता है। आइए इन्हें हिंदी में देखें:

  • सात्विक भोजन: जैसा कि पहले बताया गया है, चातुर्मास में सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। मांस, मछली, अंडे और शराब का सेवन न करें। सात्विक भोजन से शरीर और मन दोनों शुद्ध रहते हैं।

  • ब्रह्मचर्य का पालन: चातुर्मास में ब्रह्मचर्य का पालन करना लाभकारी होता है। इसका अर्थ है कि इस अवधि में इंद्रियों पर नियंत्रण रखना और मन को पवित्र रखना।

  • नियमित पूजा-पाठ: चातुर्मास के दौरान नियमित रूप से पूजा-पाठ और भजन करने से आध्यात्मिक विकास होता है। भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।

  • धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन: इस अवधि में धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने से ज्ञान प्राप्त होता है और मन को शांति मिलती है।

  • दान का महत्व: चातुर्मास में दान-पुण्य का विशेष महत्व है। गरीबों की सहायता करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

  • शुद्धता: चातुर्मास में शारीरिक शुद्धता का भी ध्यान रखना चाहिए। नियमित स्नान और सफाई से मन भी शुद्ध रहता है।

  • क्रोध और लोभ पर नियंत्रण: चातुर्मास में क्रोध, लोभ जैसी негативные भावनाओं (negativ bhavanaon) से दूर रहने का प्रयास करें। इससे आंतरिक शांति मिलती है।

  • सात्विक वाणी: वाणी में भी सत्य और संयम रखना चाहिए। किसी की बुराई न करें और कठोर शब्दों का प्रयोग न करें।

  • गुरु का मार्गदर्शन:  यदि संभव हो तो किसी गुरु या धर्मिक व्यक्ति का मार्गदर्शन लें। इससे आपको चातुर्मास के दौरान साधना करने में मदद मिलेगी।

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Frequently Asked Questions

चातुर्मास 2024 कब से कब तक है?
चातुर्मास इस वर्ष 17 जुलाई, 2024 को शुरू हुआ और 12 नवंबर, 2024 तक चलेगा।
चातुर्मास के दौरान कौन से कार्यों से बचना चाहिए?
चातुर्मास में विवाह, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों को करने से परहेज किया जाता है।
चातुर्मास में क्या करना शुभ माना जाता है?
चातुर्मास आध्यात्मिक साधना के लिए उपयुक्त समय है। भजन, ध्यान, पूजा-पाठ, दान-पुण्य करना और सात्विक भोजन ग्रहण करना शुभ माना जाता है।
चातुर्मास में भोजन में किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए?
चातुर्मास में मांस, मछली, अंडे और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन, जिसमें फल, सब्जियां और दालें शामिल हैं, ग्रहण करना चाहिए।
चातुर्मास में आध्यात्मिक विकास के लिए क्या किया जा सकता है?
नियमित पूजा-पाठ, भगवान विष्णु की उपासना, धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन और गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त करना आपके आध्यात्मिक विकास में सहायक हो सकता है।

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