नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा को जरूर चढ़ाये उनकी प्रिय वस्तुएं और भोग, बनी रहेगी माँ की कृपा
3 October 2024, नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माता चंद्रघंटा को शांत, सौम्य और दयालु रूप में पूजा जाता है। वे साधकों को दिव्य ज्ञान, आत्मिक शक्ति और निर्भयता का वरदान प्रदान करती हैं। माता के इस रूप की आराधना करने से साधक को हर प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए जानें, देवी चंद्रघंटा को प्रिय वस्तुएं और भोग।
देवी चंद्रघंटा की प्रिय वस्तुएं
माता चंद्रघंटा को कुछ विशेष वस्तुएं प्रिय हैं, जिन्हें चढ़ाने से वे प्रसन्न होती हैं और साधक को आशीर्वाद देती हैं। उनके पूजन में निम्न वस्तुएं शामिल करें:
दूध और दूध से बनी वस्तुएं: देवी चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी मिठाइयां अत्यंत प्रिय हैं। आप पूजा में दूध, खीर, रबड़ी आदि अर्पित कर सकते हैं।
सफेद फूल: माता को सफेद रंग के फूल अत्यंत पसंद होते हैं। आप पूजा में सफेद गुलाब, चमेली, या मोगरा चढ़ा सकते हैं।
चंदन: देवी चंद्रघंटा को चंदन का तिलक और चंदन की महक बहुत प्रिय है। चंदन से देवी का अभिषेक करें और तिलक लगाएं।
सिन्दूर और कुमकुम: माता को सिन्दूर और कुमकुम भी अर्पित किया जाता है। ये सौभाग्य का प्रतीक माने जाते हैं।
नारियल: नारियल को देवी चंद्रघंटा की पूजा में शुद्धता और पूर्णता का प्रतीक माना जाता है। आप इसे उनकी पूजा में अर्पित कर सकते हैं।
देवी चंद्रघंटा का प्रिय भोग
माता चंद्रघंटा को भोग अर्पित करना उनकी कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल और शुभ तरीका है। देवी चंद्रघंटा को निम्न भोग अत्यधिक प्रिय हैं:
खीर: माता चंद्रघंटा को विशेष रूप से दूध और चावल से बनी खीर का भोग लगाएं। इसे बनाते समय शुद्धता का ध्यान रखें।
सफेद मिठाइयां: सफेद मिठाइयां जैसे बर्फी, रसगुल्ला, या पेड़ा देवी को प्रिय हैं। इसे प्रसाद के रूप में अर्पित करें।
शहद: शहद का भोग अर्पित करना माता को विशेष रूप से प्रसन्न करता है। इसे पूजा में शामिल करना उत्तम माना जाता है।
घी: माता चंद्रघंटा को घी का दीपक जलाना और घी से बने पदार्थों का भोग चढ़ाना अत्यंत शुभ होता है।
मखाना: देवी को मखाने का भोग भी प्रिय होता है। इसे खीर या मिठाई के रूप में बनाकर अर्पित किया जा सकता है।
देवी चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
देवी चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। उनकी आराधना से साधक को मानसिक शांति, भौतिक सुख-संपदा और कष्टों से मुक्ति मिलती है। माता का आशीर्वाद उनके भक्तों पर सदा बना रहता है।