दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी आरती लिरिक्स हिन्दी मे / दुर्गा आरती
यह आरती माँ दुर्गा की है। इसे नवरात्रि मे जरूर गाये। आप चाहे तो ऐसे भी किसी भी दिन माँ दुर्गा की पूजा के समय गा सकते है। इस आरती मराठी मे गाई गई है। इसका भावार्थ बड़ा ही सुंदर है। अक्सर कई लोग इसे गणेश चतुर्थी मे भी भगवान गणेश के सामने भी गाते है।
दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी ।
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी ॥
वारी वारी जन्ममरणांतें वारी ।
हारी पडलो आता संकट निवारी ॥ 1 ॥
जय देवी जय देवी महिषासुरमर्दिनी ।
सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी ॥ धृ ॥
त्रिभुवनभुवनी पाहता तुजऐसी नाही ।
चारी श्रमले परंतु न बोलवे कांही ॥
साही विवाद करिता पडिले प्रवाही ।
ते तूं भक्तांलागी पावसि लवलाही॥ जय देवी...
प्रसन्नवदने प्रसन्न होसी निजदासा ।
क्लेशांपासुनि सोडवी तोडी भवपाशा ॥
अंबे तुजवांचून कोण पुरविल आशा ।
नरहरि तल्लीन झाला पदपंकजलेशा॥ जय देवी...
दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी ।
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी ॥
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