गीता रबाड़ी की जीवनी और उनके फेमस गाने
गीता रबाड़ी की जीवनी: कच्छ की कोयल के नाम से प्रसिद्ध गायिका गीता रबारी आज पूरे भारत में अपनी सुरीली आवाज के कारण प्रसिद्ध है गीता रबारी गुजरात की एक प्रसिद्ध सिंगर है इनके बहुत से गीत गुजरात में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध हुए हैं इनका एक प्रसिद्ध गीत राणा शेर मारे पूरे भारत में प्रसिद्ध हुआ जिसे करोड़ों लोगों ने पसंद किया। हाल ही मे गीता रबाड़ी ने एक भजन गया है श्री राम मेरे घर आए जो हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को बहुत ही पसंद आया है। नरेंद्र मोदी जी ने इस गाने को अपने टिवीटर अकाउंट पर भी पोस्ट भी किया है और इस गाने की खूब तारीफ भी की है।
गीता रबारी ने अपने जीवन में कई संघर्ष करने के बाद एक ऐसे मुकाम को हासिल किया, जहां पर हर कलाकार का पहुंचने का सपना होता है लेकिन गीता रबारी ने इस मुकाम को हासिल करने में कई चुनौतियों का सामना भी किया और इस मुकाम को हासिल किया, आज गायकी के क्षेत्र में गीता रबारी का नाम काफी ज्यादा प्रसिद्ध है यह गुजरात राजस्थान तथा मध्य प्रदेश में रात्रि जागरण लाइव प्रोग्राम तथा भजन संध्या में अपने गीत तथा भजन गाने का काम करते हैं उनकी मधुर आवाज को लाखों लोग पसंद करते हैं जहां कहीं पर भी कोई कार्यक्रम होता है जहां गीता रबारी के आने वाली हो, वहां पर लाखों की संख्या में लोगों की भीड़ लग जाती है।
गीता रबाड़ी का जन्म स्थान
गीता रबारी गुजरात की एक प्रसिद्ध गायिका है गीता रबारी का जन्म 31 दिसंबर 1996 को गुजरात के कच्छ क्षेत्र में तप्पर गांव में हुआ। गीता रबारी का जन्म रबारी समाज के मालधारी जाति में हुआ। गीता रबारी के पिताजी का नाम कांजी भाई रबारी है तथा इनके माता जी का नाम विंजूबेन रबारी है गीता रबारी के पति का नाम पृथ्वी रबारी है
गीताबेन रबारी वर्तमान समय में अपने माता पिता के साथ कच्छ गुजरात में ही रहती है गीता रबारी के दो भाई थे जिनकी बचपन में अकाल मृत्यु हो गई ।
गीताबेन रबारी की पढ़ाई जामनगर के जेएनवी स्कूल से पूरी हुई, इन्होंने दसवीं क्लास तक ही अपनी पढ़ाई पूरी की आगे की पढ़ाई गीता रबारी ने नहीं की, इन्हें संगीत में काफी ज्यादा रुचि थी इस कारण उन्होंने संगीत के क्षेत्र में जाना उचित समझा। क्योंकि दोस्तों उनकी आवाज को इनके आसपास के लोग काफी ज्यादा पसंद करते थे जिस कारण उन्होंने संगीत के क्षेत्र को सुना और अपनी पढ़ाई को छोड़ दिया।
गीता रबाड़ी का करियर कैसे शुरू हुआ
गीता रबारी का जन्म गुजरात के कच्छ में 31 दिसंबर 1996 को हुआ। इनके दो भाई थे जिनकी अकाल मृत्यु हो गई, उसके बाद इनके पिताजी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का पोस्टर देखा, तो इन्होंने गीताबेन रबारी को जेएनवी स्कूल में पढ़ाने के लिए भेज दिया। जहां पर उन्होंने दसवीं क्लास तक अपनी पढ़ाई पूरी की।
गीता रबारी ने 10 साल की उम्र में ही गीत गाना शुरू कर दिया था इसी समय अपने स्कूल में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी भाग लेना शुरू कर दिया, जहां पर यह गीत वगैरह गाया करते थे इनके गीत को स्कूल में सभी लोग काफी पसंद करते थे और उनकी सुरीली मधुर आवाज को आसपास के क्षेत्र में काफी ज्यादा लोकप्रियता प्राप्त होने लगी, धीरे-धीरे गीताबेन रबारी की आवाज को लोगों ने काफी ज्यादा पसंद किया और उन्हें भजन जागरण तथा अपने यहां पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बुलाने लगे। जिस कारण गीताबेन रबारी को थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती थी जिससे इनके घर का खर्चा चलता था।
इसके बाद गीता रबारी ने अपने स्कूल को छोड़ दिया और संगीत के क्षेत्र में पूरी तरीके से ध्यान देना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनकी आवाज तथा इनके गीत इतने ज्यादा पॉपुलर होने लगे की पूरे गुजरात में इनके नाम का डंका बजने लगा। लोगों ने गीता रबारी को कच्ची कोयल के नाम से भी बुलाना शुरू कर दिया, क्योंकि गीताबेन रबारी का जन्म गुजरात के कच्छ में हुआ था इस कारण इनका नाम कच्ची कोयल भी पड़ गया।
गीता रबारी की पहचान इसी तरीके से अपने गायन की वजह से बनती गई और यह काफी ज्यादा पॉपुलर हो गई इंटरनेट के आने के बाद तो उनकी पहचान और भी तेजी से बढ़ने लगी और इनके कहीं वीडियो गाने यूट्यूब पर करोड़ों लोगों ने पसंद किए।
गीता रबारी गायिका के क्षेत्र में इतने मधुर तथा मीठे गीत गाती है परंतु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि गीता रबारी ने कभी भी संगीत की शिक्षा प्राप्त नहीं की, उन्होंने बिना संगीत सीखे हुए इतने बड़े मुकाम को हासिल किया और एक बहुत बड़ी सफलता हासिल की। बचपन में जब यह अपने गांव में भजन और गीत गाया करती थी तो लोग इनकी काफी ज्यादा प्रशंसा किया करते थे जिसकी वजह से गीता रबारी को एक मोटिवेशन मिलता था जिससे यह आगे बढ़ी और आज संगीत के क्षेत्र में पूरे गुजरात का नाम रोशन किया और साथ ही साथ यह पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गए।
गीता रबारी जब 20 साल की हुई, तब इन्होंने एक गीत गाया राणा शेर मारे यह गीत काफी ज्यादा पॉपुलर हुआ और इसके बाद उन्हें पूरे भारत में प्रसिद्धि हासिल हो गई, क्योंकि यह गीत यूट्यूब पर करोड़ों लोगों ने पसंद किया और इसके बाद उसको इन्होंने एक से बढ़कर एक संगीत लोगों के सामने प्रस्तुत किए और यह सारे गीत काफी ज्यादा पॉपुलर हुए। इस वजह से उनकी पहचान पूरे भारत में हो गई।
गीता रबारी भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से भी मिली है प्रधानमंत्री मोदी जी ने स्वयं गीता रबारी को इनवाइट किया था और गीता रबारी कहती है कि यह इनके जीवन का एक बहुत ही अमूल्य क्षण था कि प्रधानमंत्री जी ने उन्हें बुलाया। हालांकि गीता रबारी कहती है कि बचपन में यह एक बार प्रधानमंत्री जी से मिल चुकी है और इन्हें इनाम के तौर पर 250 रुपये भी प्रधानमंत्री जी ने दिए थे।
गीता रबारी ने कुछ समय पहले ही 9 मई को शादी कर ली है और इनके पति का नाम पृथ्वी रबारी है जोकि रबारी समाज का ही है इन्होंने अपने रीति रिवाज के तहत ही अपने समाज में ही शादी की है। गीता रबारी ने अपना नया घर भी लिया है जो काफी महंगा है इनके अलावा गीता रबारी को सोने के आभूषण पहनना भी पसंद है।
गीता रबारी के रात्रि जागरण में लोग लाखों करोड़ों रुपए दान देते हैं जो कि गीता रबारी गौ माता, अनाथालय या गरीब बच्चों के लिए तथा गरीब लोगों के लिए दान दे देती है।
गीता रबारी के कुछ प्रसिद्ध गीत
- रोना शेर मा
- दिवा नी दिवेटे
- मा तारा आर्शीवाद
- ढोल नगाड़े
- रघुनंदन जी दवारिके नाथजी
- हर हर महादेव
- मेरा भोला है भंडारी
- शेठ मारो शाम डो
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