ग्रीष्म ऋतु का वर्णन हिन्दी मे
ग्रीष्म ऋतु: भारत ऋतुओं का देश है. क्योंकि अधिकांश देशों में जहां एक वर्ष में चार ऋतुएं होती हैं। वहीं भारत में एक वर्ष में कुल छह ऋतुएं होती हैं। वेद विज्ञान के अनुसार, हिंदी पंचांग के एक संवत्सर में भारत में ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर और वसंत कुल छह तरह की ऋतुएं होती हैं। सभी ऋतुएं दो-दो महीने की होती है। सूर्य के सायन राशि में प्रवेश और स्थिति के अनुसार ऋतुओं का निर्धारण होता है। पंचांग के अनुसार वैशाख और ज्येष्ठ महीने को ग्रीष्म ऋतु कहा जाता है। यह ऋतु गर्म और तपन के लिए जानी जाती है। इस दौरान दिन लंबी और रातें छोटी होती हैं।
पंचांग के अनुसार ग्रीष्म ऋतु का आरंभ और समाप्ति
भारतीय ग्रीष्म ऋतु का आरंभ गुरुवार 20 अप्रैल 2022 को दोपहर 01:42 पर हो रहा है. इस दिन वैशाख अमावस्या है। साथ ही इसी दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। वहीं ग्रीष्म ऋतु की समाप्ति बुधवार 21 जून 2023 को रात 08:26 पर होगी। ग्रीष्म ऋतु ग्रीष्म अयनकाल के साथ समाप्त होती है।
ग्रीष्म ऋतु का महत्व
भारत की सभी छह ऋतुओं में प्रकृति की निराली और विशेष छठा होती है। इसलिए सभी ऋतुओं का अपना विशेष महत्व भी होता है। बात करें गीष्म ऋतु (गर्मी के मौसम) की तो ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होते ही वसंत की बहार, कोमलता और मादकता विलुप्त होने लगती है। पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ-आषाढ़ महीना ग्रीष्म ऋतु का होता है. इस ऋतु में गर्म ताप तेजी से बढ़ने लगता है। लेकिन इसी के साथ ग्रीष्म ऋतु से हमें कष्ट सहने की शक्ति भी मिलती है। यह ऋतु हमें प्रेरणा देता है कि, जिस तरह प्रचंड गर्मी के बाद शीतल वर्षा का आगमन होता है। उसी तरह जीवन के कष्ट और दुख भी सदा के लिए नहीं रहते बल्कि कुछ समय बाद दूर हो जाते हैं। ग्रीष्म ऋतु में प्रंचड ताप के बावजूद भी इस महीने सैकड़ों तरह के फूल खिलते हैं, बागों में आम, लीची, बेल, तरबूज, और कटहल लगते हैं. कोयलों की मधुर बोली सुनने को मिलती है। इन सभी बातों से यह सीख मिलती है कि, जीवन का हर क्षण और हर ऋतु आनंदमय है। ग्रीष्म का आगमन सूरज देव के तेवरों में बदलाव की आहट लेकर आता है। आकाश में सोने की चमक, हवा में आग की लपटें, और धरती की गोद में प्यास का सूखा ज्वार - यही ग्रीष्म ऋतु का पहला परिचय है। दिन लंबे होते हैं, रातें छोटी, मानो समय भी इस तपिश में हांफता हुआ प्रतीत होता है।
लेकिन ग्रीष्म ऋतु की यही कठोरता उसमें छिपी मिठास को और भी निखार देती है। इसी मौसम में आम, लीची, तरबूज, खरबूज जैसे रसीले फल धरती को हसीन बनाते हैं। हर बाजार आम की सुगंध से महकता है, गलियों में खट्टी-मीठी चुस्की का लालच हर किसी को खींचता है। ये फल न केवल प्यास बुझाते हैं, बल्कि शरीर को ठंडक और ऊर्जा भी देते हैं।
ग्रीष्म ऋतु के त्योहार
- वसंत पंचमी: यह देवी सरस्वती की पूजा का पर्व है। इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनते हैं, पीले पकवान बनाते हैं और देवी सरस्वती की पूजा करते हैं।
- होली: यह रंगों का त्योहार है। इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंगों की बौछार करते हैं और खुशियां मनाते हैं।
- निर्जला एकादशी: यह भगवान विष्णु को समर्पित एक व्रत है। इस दिन लोग पूरे दिन बिना पानी पिए व्रत रखते हैं।
- वट सावित्री व्रत: यह पति की लंबी उम्र के लिए महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला एक व्रत है। इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं।
- शीतलाष्टमी: यह देवी शीतला की पूजा का पर्व है। इस दिन लोग ठंडे पेय पदार्थों का सेवन करते हैं और देवी शीतला की पूजा करते हैं।
- देवशयनी एकादशी: यह भगवान विष्णु के योग निद्रा में जाने का पर्व है। इस दिन लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।
ग्रीष्म ऋतु का भारत की फसलों पर प्रभाव
ग्रीष्म ऋतु का भारत के कृषि पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है. कई फसलों के लिए यह कटाई का समय होता है, जबकि कुछ फसलों के लिए बुवाई का समय भी होता है. हालांकि, सूखे की संभावना के कारण किसानों को फसल उत्पादन में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
ग्रीष्म ऋतु मे रखे यह सावधानीया
ग्रीष्म ऋतु में गर्मी से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां हैं, जिनमें पर्याप्त पानी पीना, ढीले-ढाले सूती कपड़े पहनना, सीधी धूप से बचना, और ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन करना शामिल है. लू लगने से बचने के लिए सावधान रहें और यदि आवश्यक हो तो डॉक्टर से सलाह लें.
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