Trending
Monday, 2024 December 02
जगन्नाथ पूरी के मंदिर का रहस्य जान कर रह जाओगे हैरान
Updates / 2024/06/13

जगन्नाथ पूरी के मंदिर का रहस्य जान कर रह जाओगे हैरान

जगन्नाथ पुरी के मंदिर की विशेषताएँ

जगन्नाथ पुरी का मंदिर, जिसे श्रीमंदिर भी कहा जाता है, भारत के ओडिशा राज्य के पुरी नगर में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण), बलभद्र (बलराम) और सुभद्रा (भगवान श्रीकृष्ण की बहन) को समर्पित है। हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। आइए, इस महान मंदिर की कुछ मुख्य विशेषताओं पर चर्चा करें।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

जगन्नाथ पुरी का मंदिर 12वीं शताब्दी में गंगा वंश के राजा अनंतवर्मन चोड़गंग देव द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक इतिहास का प्रतीक है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1078-1148 ईस्वी के बीच हुआ था। मंदिर के निर्माण में प्रयुक्त वास्तुकला और शिल्पकला ओडिशा की कलिंग शैली का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।



वास्तुकला

जगन्नाथ मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है और यह मंदिर चार प्रमुख भागों में विभाजित है:

विमान: यह मुख्य संरचना है जहां भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ स्थित हैं। यह भाग मंदिर का सबसे ऊँचा हिस्सा है और इसकी ऊँचाई लगभग 214 फीट है।

जगमोहन: यह मुख्य सभा मंडप है जहां भक्तगण एकत्रित होते हैं। यहाँ से वे भगवान के दर्शन करते हैं।



नाटमंडप: यह क्षेत्र नृत्य और संगीत के प्रदर्शन के लिए उपयोग किया जाता है।

भोगमंडप: यह भाग प्रसाद वितरण और भोजन की व्यवस्था के लिए होता है।

मंदिर का मुख्य द्वार "सिंहद्वार" कहलाता है, जो चार प्रमुख द्वारों में से एक है। अन्य तीन द्वारों को क्रमशः हाथीद्वार, अश्वद्वार और व्याघ्रद्वार कहा जाता है। सिंहद्वार के सामने 22 सीढ़ियाँ हैं, जिन्हें "बैस पवित्र सीढ़ियाँ" कहा जाता है।

धार्मिक महत्त्व

जगन्नाथ पुरी का मंदिर हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखता है। यह चार धामों (बद्रीनाथ, द्वारका, रामेश्वरम और पुरी) में से एक है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं, खासकर रथ यात्रा के अवसर पर। इस मंदिर का धार्मिक महत्त्व इस तथ्य से भी स्पष्ट होता है कि यहाँ के भगवान जगन्नाथ को "नीलमाधव" के रूप में भी पूजा जाता है।

रथ यात्रा

रथ यात्रा, जिसे "गुंडिचा यात्रा" भी कहा जाता है, जगन्नाथ पुरी के मंदिर की सबसे प्रमुख और विश्व प्रसिद्ध उत्सव है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को विशाल रथों में बिठाकर गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है। यह उत्सव आषाढ़ महीने (जून-जुलाई) में आयोजित होता है और इसमें लाखों भक्त भाग लेते हैं। 



इस यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व अपार है और इसे देखने के लिए न केवल भारत से बल्कि विश्वभर से पर्यटक आते हैं।

महाप्रसाद

जगन्नाथ पुरी का महाप्रसाद भी विशेष प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद "महाप्रसाद" कहलाता है और इसे 56 प्रकार के भोग (छप्पन भोग) के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह प्रसाद मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है और मंदिर के अन्न भंडार में तैयार किया जाता है। यह मान्यता है कि इस प्रसाद में भगवान का आशीर्वाद होता है और इसे ग्रहण करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

रसोई

मंदिर की रसोई भी विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह विश्व की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है जहाँ एक समय में हजारों लोगों के लिए भोजन तैयार किया जाता है। यहाँ की रसोई में खाना पकाने की प्रक्रिया अद्वितीय है। मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाया जाता है और एक विशेष प्रकार के जलावन का उपयोग किया जाता है। यहाँ की रसोई में रोजाना सैकड़ों प्रकार के भोजन बनाए जाते हैं जो प्रसाद के रूप में वितरित किए जाते हैं।



अनूठी परंपराएँ

जगन्नाथ पुरी के मंदिर की अनेक अनूठी परंपराएँ हैं। इनमें से कुछ प्रमुख परंपराएँ निम्नलिखित हैं:

श्री कृष्ण का दिल: जगन्‍नाथ मंदिर में विराजमान काठ की मूर्ति में भगवान श्री कृष्ण का दिल (Heart of Lord Krishna) धड़कता है। यह आश्‍चर्य चकित करने वाला रहस्‍य है ब्रह्म पदार्थ का रहस्य। काष्‍ठ से बनी इन मूर्तियों को प्रत्‍येक 12 वर्ष में बदला जाता है।

रथ यात्रा में शामिल होना: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल होकर रथ को खींचना एक विशेष धार्मिक कार्य माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि रथ खींचने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

प्रसादम का रहस्य: हर साल लाखों तीर्थयात्री इस पवित्र मंदिर में आते हैं। रथयात्रा या जगन्नाथ पूजा के दिन सामान्य दिनों की तुलना में अधिक तीर्थयात्री आते हैं। लेकिन हर दिन समान मात्रा में भोजन ( जगन्नाथ प्रसादम ) पकाया जाता है। किसी भी दिन भोजन बर्बाद नहीं होता है और कोई भी भक्त भूखा नहीं रहता है। 


हवा का उल्टी दिशा मे चलना: यह एक प्राकृतिक घटना है जो आमतौर पर तटीय क्षेत्रों में दिन के समय होती है, हवा समुद्र से जमीन की तरफ चलती है और शाम के समय यह जमीन से समुद्र की तरफ चलती है। लेकिन पुरी में यह विपरीत रूप में होता है।



स्नान यात्रा: रथ यात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ की स्नान यात्रा आयोजित की जाती है। इसमें भगवान की मूर्तियों को विशेष स्नान कराया जाता है।

अनवरत ध्वजा फहराना: मंदिर के ऊपर हमेशा एक ध्वजा (पताका) फहराई जाती है, जो प्रतिदिन बदली जाती है। यह ध्वजा उल्टी दिशा में लहराती है जो एक अद्भुत और आश्चर्यजनक दृश्य होता है। 1800 साल पुरानी परंपरा के अनुसार, झंडा बदलने के लिए हर दिन एक पुजारी जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर चढ़ता है ऐसा कहा जाता है कि अगर यह अनुष्ठान एक दिन के लिए भी छोड़ दिया जाता है तो मंदिर 18 साल तक बंद रहेगा।

मंदिर की वैज्ञानिक विशेषताएँ

जगन्नाथ पुरी के मंदिर की कुछ वैज्ञानिक विशेषताएँ भी हैं जो इसे और अधिक रोचक बनाती हैं:

कोई छाया नहीं: दिन का कोई भी समय हो, चाहे सूरज आसमान में कहीं से भी चमक रहा हो, मंदिर की छाया नहीं बनती। अब अगर यह एक वास्तुशिल्प आश्चर्य है या केवल एक चमत्कार है, यह अभी भी अज्ञात है।

महाप्रसाद की तैयारी: महाप्रसाद हजारों पुजारियों द्वारा तैयार किया जाता है और 7 मिट्टी के बर्तन एक के ऊपर एक रखे जाते हैं और भोजन को जलाऊ लकड़ी पर पकाया जाता है और सबसे ऊपर वाले बर्तन में भोजन पहले पकता है उसके बाद बाकी पकते हैं। यह हल करने के लिए एक और पहेली है।



वायु प्रवाह: मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वजा हमेशा हवा की दिशा के विपरीत लहराती है। यह एक वैज्ञानिक रहस्य है जिसे अब तक सुलझाया नहीं जा सका है।

प्रतिक्रिया शक्ति का अभाव: मंदिर के शिखर पर किसी भी पक्षी का बैठना या उड़ना नहीं देखा जाता। यह भी एक अद्भुत घटना है जिसे विज्ञान द्वारा स्पष्ट नहीं किया जा सका है।

समुद्री ध्वनि: मंदिर के सिंहद्वार में प्रवेश करते ही समुद्र की आवाज सुनाई देती है, लेकिन मंदिर के अंदर पहुँचते ही यह आवाज पूरी तरह से गायब हो जाती है। यह भी एक वैज्ञानिक रहस्य है।

सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

जगन्नाथ पुरी का मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहाँ विभिन्न त्योहारों और उत्सवों के माध्यम से सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक धरोहर को प्रोत्साहित किया जाता है। मंदिर के आयोजन और प्रबंधन में स्थानीय लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जिससे सामुदायिक भावना को बल मिलता है।

निष्कर्ष

जगन्नाथ पुरी का मंदिर अपने धार्मिक, ऐतिहासिक, वास्तुकला और सांस्कृतिक महत्त्व के कारण विशेष स्थान रखता है। यहाँ की अनूठी परंपराएँ, महाप्रसाद, रथ यात्रा और अद्भुत वैज्ञानिक घटनाएँ इसे विश्वभर में प्रसिद्ध बनाती हैं। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि भारतीय संस्कृति और धरोहर का अद्वितीय प्रतीक भी है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहाँ आकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस मंदिर की विशेषताएँ इसे अद्वितीय बनाती हैं और भारतीय धार्मिक स्थलों में इसे एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करती हैं।

Tags- Faith,Jagannath Temple,Puri Jagannath Mandir, jagannathpuri ke mandir ki visheshtaaye, jagannathpuri ke mandir ki rahasymai baate



Frequently Asked Questions

जगन्नाथ मंदिर में कितने दरवाजे हैं?
मंदिर की बाहरी दीवार के पूर्वी, दक्षिणी, पश्चिमी और उत्तरी मध्य-बिंदुओं पर चार द्वार हैं, जिन्हें सिंहद्वार (शेर का द्वार), अश्व द्वार (घोड़े का द्वार), व्याघ्र द्वार (बाघ का द्वार) और हस्ति द्वार (हाथी का द्वार) के नाम से जाना जाता है। उन्हें धर्म, ज्ञान, वैराग्य और ऐश्वर्य का प्रतिनिधित्व करने वाला कहा जाता है।
भगवान कृष्ण का हृदय कहां रखा गया है?
जगन्‍नाथ मंदिर में विराजमान काठ की मूर्ति में भगवान श्री कृष्ण का दिल (Heart of Lord Krishna) धड़कता है। यह आश्‍चर्य चकित करने वाला रहस्‍य है ब्रह्म पदार्थ का रहस्य। काष्‍ठ से बनी इन मूर्तियों को प्रत्‍येक 12 वर्ष में बदला जाता है।
जगन्नाथ पुरी का झंडा हर दिन क्यों बदला जाता है?
1800 साल पुरानी परंपरा, झंडा बदलने के लिए हर दिन एक पुजारी जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर चढ़ता है। ऐसा कहा जाता है कि यदि यह अनुष्ठान एक दिन के लिए भी छोड़ा गया तो मंदिर 18 वर्षों तक बंद रहेगा।
पुरी मंदिर में छाया क्यों नहीं है?
दिन का कोई भी समय हो, चाहे सूरज आसमान में कहीं से भी चमक रहा हो, मंदिर की छाया नहीं बनती। अब अगर यह एक वास्तुशिल्प आश्चर्य है या केवल एक चमत्कार है, यह अभी भी अज्ञात है।
जगन्नाथ मंदिर में गैर हिंदुओं को अनुमति क्यों नहीं है?
जगन्नाथ मंदिर में गैर-हिन्दुओं को प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं है? यह प्रथा सदियों से चली आ रही है, हालांकि इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है।

Tranding


HappyZindagi

contact@happyzindagi.com

© Happy Zindagi. All Rights Reserved.