जॉन्डिस के लक्षण और उसका आयुर्वेदिक इलाज़ (Jaundice causes, symptoms and aayurvedic treatment)
जब हम अचानक व्यक्ति की आँखों और त्वचा का रंग पीला होता है, तो हमें ख़तरा का एहसास होता है। यह पीलापन जॉन्डिस का एक मुख्य संकेत है, जो कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत देता है। जॉन्डिस एक प्रकार का रोग है जिसमें शरीर के ऊतकों और खून में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है। यह रोग सबसे अधिक नवजात शिशुओं और बच्चों में पाया जाता है, लेकिन यह अन्य उम्र के लोगों में भी हो सकता है।
जॉन्डिस के लक्षण:
- पीले रंग की आँखें और त्वचा
- पीली उल्टी या मलद्वारा
- त्वचा में खुजली
- थकान और कमजोरी
- भूख की कमी
- पेट में दर्द या सूजन
जॉन्डिस के कारण:
- गलगंज
- पीलिया
- लीवर संक्रमण
- गड्ढेदार लीवर
- अल्कोहलिक लीवर रोग
- लीवर कैंसर
- गैलब्लैडर के पथरी
- पैनक्रिएटिक कैंसर
- गलगंज के कारण हुई जांघों या हिप जोड़ों के घाव
जॉन्डिस को रोकने के उपाय:
स्वस्थ और सत्यापित खान-पान करें।
स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए व्यायाम करें।
अल्कोहॉल और नशीली सामग्री का सेवन कम करें।
हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के खिलाफ वैक्सीनेशन करवाएं।
नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह लें और नियमित चेकअप कराएं।
अगर आप जॉन्डिस के लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको तत्परता से चिकित्सक से मिलना चाहिए। यह आपके लिए आवश्यक जांच और सही उपचार की पहचान करेगा। इसे हलका न लें, जॉन्डिस गंभीर समस्या हो सकती है और समय रहते उपचार कराना महत्वपूर्ण होता है।
पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज़
दोस्तो पीलीया चाहे सफ़ेद हो या पीला यहा जड़ीबूटी दोनों पीलिया का रामबाण इलाज़ है। इस जड़ीबूटी का नाम है, "साठी" राजस्थान और कुछ राज्यो मे इसे साटी और हाटी भी बोलते है। इसे Punarnava herb plant भी कहा जाता है। यह एक जड़ीबूटी है, जिसे पीने से कैसे भी पीलिया हो वो जड़ से खतम हो सकता है। लेकिन इसे पीने का तरीका है जो हम आपको बताएँगे। साठी को आप अधिक मात्रा मे एक साथ तोड़कर घर पर लेकर आ सकते है। हमे यहा साठी की जड़ो की जरूरत है, इसलिए साठी की जड़ो को ही आप लेकर आए। एक बर्तन मे पानी गरम करे और उसमे साठी की जड़े डाल ले और गरम पानी मे साठी की जड़ो को अच्छे से उबाले और इसके पानी को छान ले। आप इसके पानी को छान कर स्टोर कर भी रख सकते है। और रोजाना एक ग्लास भर कर इसे पिये। आपका पीलिया चाहे कितना भी भयंकर क्यू न हो वो जरूर ठीक होगा।
जॉन्डिस के प्रकार:
फिजिओलॉजिकल जॉन्डिस: यह नवजात शिशुओं में सामान्य रूप से पाया जाने वाला जॉन्डिस है। नवजात शिशु के लिवर अपनी पूरी क्षमता में काम करने में समय लेता है और बिलीरुबिन को प्रक्रिया करने में संकोच करता है, जिसके कारण इसे फिजिओलॉजिकल जॉन्डिस कहा जाता है। यह जॉन्डिस सामान्य रूप से एक-दो सप्ताह में स्वतः ठीक हो जाता है और किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।
हेपेटाइटिस: इंफेक्शन या लीवर की संक्रमण के कारण होती है। हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और हेपेटाइटिस डी इसमें शामिल होती हैं।
लीवर संक्रमण: विषाणु, बैक्टीरिया या पैराजीवी कीटों के कारण होने वाले संक्रमण में जॉन्डिस विकसित हो सकती है।
लीवर रोग: अल्कोहलिक हेपाटाइटिस, सिरोसिस, फैटी लीवर और लीवर कैंसर जैसे लीवर रोग जॉन्डिस का कारण बन सकते हैं।
गड्ढेदार लीवर: लीवर में संक्रमण या सूजन के कारण लीवर के कुछ हिस्से गड्ढे में बदल जाते हैं, जिससे जॉन्डिस हो सकती है।
गैलब्लैडर संबंधित समस्याएं: गैलब्लैडर में पथरी, संक्रमण या गैलब्लैडर कैंसर जॉन्डिस का कारण बन सकते हैं।
पैनक्रिएटिक कैंसर: पैनक्रिएटिक कैंसर जॉन्डिस के एक गंभीर कारण हो सकता है, जिसमें बिलीरुबिन के प्रवाह को ब्लॉक किया जाता है।
हेमोलिटिक जॉन्डिस: इस जॉन्डिस का कारण खून की कोशिकाओं के घटने की वजह से बने हुए बिलीरुबिन के अतिरिक्त उत्पादन का होता है। यह जॉन्डिस अनेमिया, सिक्लिक उत्सर्जन, थैलेसीमिया, ग्लूकोज-6-फोस्फेट डिहाइड्रोजेनेस और ड्रग्स के सेवन के कारण हो सकती है।
ओबस्ट्रक्टिव जॉन्डिस: इस प्रकार की जॉन्डिस में बिलीरुबिन का प्रवाह रुक जाता है और यह गलगंज, गैलब्लैडर के पथरी या ट्यूमर, पैनक्रिएटिक ट्यूमर या बीलीरुबिन की कोशिकाओं की वजह से हो सकती है।
पीलिया में क्या खाना चाहिए
पीलिया में सही आहार का सेवन करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह शरीर को शक्ति और पुनर्स्थापित करने में मदद करता है और लीवर की स्वस्थता को सुधारता है। नीचे कुछ प्रमुख आहार संबंधित सुझाव दिए गए हैं जिन्हें पीलिया में शामिल किया जा सकता है:
ताजगी फल और सब्जियाँ: पीलिया में, ताजगी फल और सब्जियों का सेवन करना बहुत महत्वपूर्ण है। अधिकतर फलों और सब्जियों में प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन्स, और मिनरल्स होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने और पुनर्स्थापित करने में मदद करते हैं। केला, सेब, आंवला, संतरा, गाजर, पपीता, पालक, गोभी, टमाटर, आदि शामिल करें।
फाइबर समृद्ध आहार: फाइबर युक्त आहार पीलिया में उपयोगी होता है। यह पाचन को सुधारता है और मलत्याग को सुचारू बनाए रखता है। इसमें अनाज, दालें, सब्जियाँ, हरी पत्तियाँ, और सलाद शामिल करें।
शिशुपालादि वटी: आयुर्वेद में, शिशुपालादि वटी एक पित्तशामक औषधि के रूप में जानी जाती है जो पीलिया के इलाज में उपयोगी होती है। इसे एक आयुर्वेदिक वैद्य से परामर्श करके उपयोग करें।
हरी चाय: पीलिया में हरी चाय का सेवन करना उपयोगी हो सकता है। हरी चाय में प्रोटीन, एंटीऑक्सिडेंट्स, और विटामिन्स होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। ध्यान दें कि इसे उच्च मात्रा में नहीं पीना चाहिए, क्योंकि अधिक मात्रा में कफ को बढ़ा सकती है।
ताजगी पानी: पीलिया में हाइड्रेशन रखना महत्वपूर्ण है। ताजगी पानी, नारियल पानी, नींबू पानी, पुदीना पानी, और शिखरवाली चाय का सेवन करें।
ध्यान दें कि यह सामान्य सुझाव हैं और हर व्यक्ति की आयुर्वेदिक आवश्यकताओं और प्रकृति के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। पीलिया के लिए आयुर्वेदिक उपचार के लिए एक आयुर्वेदिक वैद्य से परामर्श करना सर्वोत्तम होगा।
पीलिया में क्या नहीं खाये
तले हुए और मसालेदार भोजन: पीलिया में तले हुए और मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये आहार वस्तुएं लीवर के लिए बोझ बन सकती हैं और पीलिया के लक्षणों को बढ़ा सकती हैं। तले हुए नमकीन, फ्राइड फूड, पकोड़े, चिप्स, और तीखे और मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करें।
तेलीय और चर्बीय आहार: पीलिया में तेलीय और चर्बीय आहार वस्तुएं खाना बेहद अनुचित होता है। इसमें गर्म तेलों, मक्खन, घी, तेल में तले हुए खाद्य पदार्थों, प्रोसेस्ड और तली हुई मिठाइयों का सेवन शामिल होता है। ये आहार वस्तुएं लीवर के लिए बोझ बनाती हैं और पीलिया की स्थिति को बढ़ा सकती हैं।
जंक फूड: जंक फूड, जैसे कि पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज, सॉफ्ट ड्रिंक्स, प्रोसेस्ड स्नैक्स, आदि पीलिया में अनुचित होते हैं। इनमें अधिक मात्रा में तेल, चीनी, नमक, और केमिकल्स होते हैं जो लीवर के लिए आवश्यक नहीं होते हैं और स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
अल्कोहल: पीलिया में अल्कोहल का सेवन करना बंद करें। अल्कोहल लीवर को अत्यधिक बोझ देता है और पीलिया के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
अविरल और प्रोसेस्ड आहार: पीलिया में अविरल और प्रोसेस्ड आहार जैसे कि बेकरी उत्पाद, बिस्किट, रेडीमेड नूडल्स, सॉस, सॉसेज, और कंजी आदि का सेवन नहीं करें। इनमें अधिक मात्रा में आपदासंबंधी चीनी, रंग, साल्ट, प्रेसर्वेटिव्स, और अन्य केमिकल्स होते हैं जो पीलिया की स्थिति को बिगाड़ सकते हैं।
पीलिया के समय ये आहार वस्तुएं खाने से बचें और स्वस्थ और पौष्टिक आहार वस्तुएं खाएं जो आपके शरीर को ऊर्जा देती हैं और लीवर की स्वस्थता को सुधारती हैं। हालांकि, आपको अपने आयुर्वेदिक वैद्य से परामर्श करना चाहिए और वे आपको विशेष आहार और प्रतिबंधों के बारे में सलाह देंगे जो आपकी व्यक्तिगत स्थिति के अनुसार होंगे।
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