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कामीका एकादशी व्रत कथा: व्रत का महत्व और फल
Updates / 2024/07/30

कामीका एकादशी व्रत कथा: व्रत का महत्व और फल

कामिका एकादशी: हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण एकादशी व्रत है। यह श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से विष्णु लोक की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कमिका एकादशी के दिन व्रती को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए, फिर व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करनी चाहिए। व्रती को दिनभर निर्जला व्रत रखकर भगवद्गीता और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है, इसलिए व्रती को जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन दान करना चाहिए।



भगवान श्रीकृष्ण ने कहा: हे श्रेष्ठ धनुर्धर! मैं श्रावण माह की पवित्र एकादशी की कथा सुनाता हूँ, ध्यानपूर्वक श्रवण करो। एक बार इस एकादशी की पावन कथा को भीष्म पितामह ने लोकहित के लिये नारदजी से कहा था।


एक समय नारदजी ने कहा: हे पितामह! आज मेरी श्रावण के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनने की इच्छा है, अतः आप इस एकादशी की व्रत कथा विधान सहित सुनाइये।


नारदजी की इच्छा को सुन पितामह भीष्म ने कहा: हे नारदजी! आपने बहुत ही सुन्दर प्रस्ताव किया है। अब आप बहुत ध्यानपूर्वक इसे श्रवण कीजिए- श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम कामिका एकादशी है। इस एकादशी की कथा सुनने मात्र से ही वाजपेय यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है। कामिका एकादशी के उपवास में शंख, चक्र, गदाधारी भगवान विष्णु का पूजन होता है। जो मनुष्य इस एकादशी को धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें गंगा स्नान के फल से भी उत्तम फल की प्राप्ति होती है।


सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण में केदार और कुरुक्षेत्र में स्नान करने से जिस पुण्य की प्राप्ति होती है, वह पुण्य कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करने से प्राप्त हो जाता है।

आभूषणो से युक्त बछड़ा सहित गौ दान करने के फल कमिका एकादशी से प्राप्त होता है।

कामिका एकादशी व्रत कथा

एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राह्मण से हाथापाई हो गई और ब्राह्मण की मृत्य हो गई। अपने हाथों मरे गये ब्राह्मण की क्रिया उस क्षत्रिय ने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राह्मणों ने बताया कि तुम पर ब्रह्म-हत्या का दोष है। पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे।



इस पर क्षत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राह्मणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन कराके सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने क्षत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रह्म-हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।

इस व्रत के करने से ब्रह्म-हत्या आदि के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और इहलोक में सुख भोगकर प्राणी अन्त में विष्णुलोक को जाते हैं। इस कामिका एकादशी के माहात्म्य के श्रवण व पठन से मनुष्य स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं।

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Frequently Asked Questions

कामीका एकादशी व्रत कथा क्या है?
कामीका एकादशी व्रत कथा एक धार्मिक कहानी है जो इस पवित्र व्रत के महत्व को बताती है। इसमें एक साधारण स्त्री की भक्ति और उसके व्रत के प्रभाव को दर्शाया गया है, जिसने उसकी किस्मत को बदल दिया।
कामीका एकादशी के व्रत का महत्व क्या है?
कामीका एकादशी के व्रत का महत्व भगवान विष्णु की पूजा और व्रत के माध्यम से पापों से मुक्ति, पुण्य की प्राप्ति और मोक्ष की प्राप्ति से जुड़ा है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं।
कामीका एकादशी व्रत कथा में मुख्य पात्र कौन हैं?
कामीका एकादशी व्रत कथा में मुख्य पात्र एक गरीब स्त्री होती है, जो अपनी भक्ति और व्रत के माध्यम से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करती है और उसकी किस्मत बदल जाती है।
कामीका एकादशी व्रत कथा से क्या सीख मिलती है?
कामीका एकादशी व्रत कथा से यह सीख मिलती है कि ईमानदारी, भक्ति और व्रत के प्रति समर्पण से व्यक्ति की किस्मत बदल सकती है। इस कथा में भक्ति की शक्ति और भगवान विष्णु की कृपा के महत्व को दर्शाया गया है।
कामीका एकादशी व्रत के दौरान कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखनी चाहिए?
कामीका एकादशी के व्रत के दौरान उपवास रखना चाहिए, तामसिक आहार से बचना चाहिए, भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए, और व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए।

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