मथुरा-वृंदावन में 2024 की कृष्ण जन्माष्टमी: जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और इतिहास
भारत में धार्मिक पर्वों का अपना अलग ही महत्व है, और इनमें से एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है कृष्ण जन्माष्टमी। हर वर्ष यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, और मथुरा-वृंदावन में तो इसकी विशेष तैयारी होती है। 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी का यह पावन पर्व 26 अगस्त को मनाया जाएगा। इस ब्लॉग में हम जानेंगे इस दिन की तिथि, शुभ मुहूर्त, और इसके इतिहास की खास बातें।
कृष्ण जन्माष्टमी 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त
2024 में कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन, मध्यरात्रि के समय भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, और यही कारण है कि इस दिन की रात्रि को अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस वर्ष, कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त रात 11:56 बजे से शुरू होकर रात 12:52 बजे तक रहेगा। इस समय के दौरान, भक्तगण भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं।
मथुरा-वृंदावन में कृष्ण जन्माष्टमी का महत्त्व
मथुरा-वृंदावन का नाम लेते ही श्रीकृष्ण की लीलाओं की याद आ जाती है। मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है, जबकि वृंदावन उनके बाल्यकाल की लीलाओं का स्थल है। हर वर्ष जन्माष्टमी के अवसर पर मथुरा और वृंदावन में भव्य आयोजन होते हैं। यहां के मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है, और भक्तगण भजन-कीर्तन में लीन रहते हैं। मध्यरात्रि में कृष्ण जन्म की झांकी प्रस्तुत की जाती है, जिसमें भगवान के जन्म की कथा का चित्रण किया जाता है। इस समय चारों ओर "नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की" की ध्वनि गूंजती है।
कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में कंस के कारागार में हुआ था। उनकी माता का नाम देवकी और पिता का नाम वासुदेव था। कंस, जो कि मथुरा का राजा था, को भविष्यवाणी के अनुसार श्रीकृष्ण द्वारा मारे जाने का भय था। इसलिए, उसने देवकी के आठवें पुत्र की हत्या करने का प्रयास किया। लेकिन वासुदेव ने नवजात श्रीकृष्ण को यमुना नदी पार कर गोकुल में नंद बाबा के घर पहुंचा दिया। इस तरह श्रीकृष्ण का बचपन नंद बाबा और यशोदा माता के सानिध्य में गुजरा।
जन्माष्टमी के धार्मिक अनुष्ठान
जन्माष्टमी के दिन भक्तगण व्रत रखते हैं और दिनभर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं। दिनभर भजन-कीर्तन और श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं का पाठ किया जाता है। रात्रि को 12 बजे के समय श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस समय मंदिरों में विशेष पूजा होती है, और भगवान के बाल रूप की झांकी सजाई जाती है। इस समय भक्तगण भगवान के जन्म का स्वागत करते हैं और उन्हें माखन-मिश्री का भोग लगाते हैं।
2024 में जन्माष्टमी का महत्व
2024 में कृष्ण जन्माष्टमी विशेष है क्योंकि यह पर्व सोमवार को पड़ रहा है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। मथुरा-वृंदावन में इस अवसर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन होगा, जिसमें लाखों भक्त शामिल होंगे। इस दिन को और भी खास बनाने के लिए मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में विशेष सजावट की जाएगी, और श्रीकृष्ण की लीलाओं का प्रदर्शन किया जाएगा।
कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भारत में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में बसे भारतीय समुदायों के बीच भी बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यह पर्व हमें श्रीकृष्ण की शिक्षाओं और उनके द्वारा स्थापित धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
निष्कर्ष:
2024 की कृष्ण जन्माष्टमी मथुरा-वृंदावन में अद्वितीय उल्लास के साथ मनाई जाएगी। इस पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, जो भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की अनमोल शिक्षाओं से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। अगर आप भी इस अद्वितीय अवसर का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो मथुरा-वृंदावन की यात्रा अवश्य करें और इस पर्व की दिव्यता का अनुभव करें।
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