ऐसा क्या किया ओशो ने, की अमेरिका सरकार भी डर गई थी ओशो से।
ओशो, जिनका असली नाम भगवान श्री रजनीश चंद्र मोहन जैन था, एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु और विचारक थे। उन्होंने विभिन्न धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर विचार किए और अपने शिष्यों को मार्गदर्शन दिया। उनका विचारधारा विवादास्पद रही है और उनके शिष्यों द्वारा संस्थापित आश्रमों में विवाद भी हुआ।
ओशो रजनीश, जो अपने आध्यात्मिक शिक्षाओं और विवादास्पद विचारों के लिए जाने जाते थे, ने 1980 के दशक में अमेरिकी सरकार के साथ एक टकराव का सामना किया। उनकी आश्रम (रजनीशपुरम) ओरेगन में स्थापित की गई थी, जो शीघ्र ही विवादों का केंद्र बन गई। यहाँ कुछ मुख्य कारण हैं जो यह बताते हैं कि अमेरिकी सरकार क्यों ओशो से परेशान हुई:
अमेरिकी सरकार क्यों ओशो से परेशान हुई:
बढ़ती जनसंख्या: ओशो के अनुयायियों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी और रजनीशपुरम में कई लोग आकर बस गए थे। इससे स्थानीय निवासियों और सरकार में असंतोष और चिंता उत्पन्न हो गई थी।
विवादास्पद गतिविधियाँ: आश्रम पर आरोप था कि वहाँ कई अवैध गतिविधियाँ हो रही हैं, जिनमें जैविक हथियारों का उपयोग और सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर शामिल था।
राजनीतिक संघर्ष: ओशो और उनके अनुयायियों ने स्थानीय राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया था, जो स्थानीय निवासियों और अधिकारियों को असहज कर रहा था।
धार्मिक और सांस्कृतिक संघर्ष: ओशो की शिक्षाएँ और जीवनशैली पारंपरिक अमेरिकी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं से भिन्न थीं, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक संघर्ष बढ़ा।
इन सभी कारणों ने मिलकर ओशो और उनकी आश्रम के प्रति अमेरिकी सरकार के नजरिए को कड़ा बना दिया। अंततः, ओशो पर वीजा धोखाधड़ी और अन्य आरोपों के चलते उन्हें अमेरिका से निर्वासित कर दिया गया।
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