नवरात्रि का सातवां दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है, जानिए देवी कालरात्रि की पूजा की विधि
1 October 2024, नवरात्रि का पर्व प्रत्येक वर्ष माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस दौरान हर दिन एक विशेष देवी की पूजा की जाती है। नवरात्रि का सातवां दिन देवी कालरात्रि का होता है। देवी कालरात्रि को शक्ति और अंधकार की देवी के रूप में पूजा जाता है। इस दिन की विशेषताएं और देवी कालरात्रि का महत्व समझना भक्तों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
देवी कालरात्रि का परिचय
देवी कालरात्रि का स्वरूप भयंकर और दिव्य है। इन्हें अंधकार को दूर करने वाली और भक्तों को संकटों से मुक्ति देने वाली देवी माना जाता है। देवी कालरात्रि का रंग काला है, जो रात के अंधकार का प्रतीक है। इनकी पूजा से भक्तों के जीवन से सभी प्रकार के भय और दुख दूर होते हैं।
देवी कालरात्रि की पूजा विधि
स्नान और शुद्धता
पूजा आरंभ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थान की सजावट
पूजा स्थान को साफ करें और वहां देवी कालरात्रि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
दीप जलाना
पूजा स्थल पर एक दीपक जलाएं और उसे सही दिशा में रखें।
फूल और वस्त्र अर्पित करना
देवी को लाल या पीले रंग के फूल अर्पित करें। उन्हें स्वच्छ वस्त्र पहनाने का भी विशेष महत्व है।
भोग अर्पित करना
देवी कालरात्रि को उनकी प्रिय वस्तुएं जैसे गुड़, दही, और खीर का भोग अर्पित करें।
मंत्र का जाप
देवी के मंत्र का जाप करें:
"ॐ काली कात्यायनी नमः"
यह मंत्र विशेष रूप से इस दिन के लिए अत्यंत लाभकारी है।
देवी कालरात्रि की विशेषताएं
दुखों का नाशक
देवी कालरात्रि सभी प्रकार के दुखों और कष्टों का नाश करती हैं। उनकी पूजा से भक्तों को मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है।
शक्ति और साहस
देवी कालरात्रि भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करती हैं, जिससे वे अपने जीवन की चुनौतियों का सामना कर पाते हैं।
सुरक्षा
इस दिन देवी की पूजा से भक्तों को सुरक्षा और संरक्षण की प्राप्ति होती है।
संकटों का समाधान
देवी कालरात्रि की कृपा से भक्तों के जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं।