भारतीय संसद भवन चौसठ योगिनी के मंदिर के समान है।
भारत का नया संसद भवन, जो हाल ही में उद्घाटन हुआ, वास्तुकला का एक शानदार नमूना है जो न केवल आधुनिकता और परंपरा का संगम है, बल्कि इसमें भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर की भी झलक मिलती है। यह नया संसद भवन चौसठ योगिनी के मंदिर से प्रेरित बताया जाता है, जो भारतीय संस्कृति और वास्तुकला में गहरा प्रतीकात्मक महत्व रखता है। इस ब्लॉग में, हम नए संसद भवन और चौसठ योगिनी मंदिर के बीच की समानताओं और उनके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वास्तुकला संबंधी महत्व पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
भारतीय संसद का नया भवन
भारतीय संसद का नया भवन, जिसे भारत सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत निर्मित किया गया है, आधुनिकतम सुविधाओं से लैस है। इस भवन का डिजाइन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 28 मई 2023 को उद्घाटन किया गया। यह भवन त्रिकोणीय आकार का है और इसमें लोकसभा, राज्यसभा, और एक भव्य संविधान हॉल शामिल है। इसकी क्षमता पुरानी संसद भवन से कहीं अधिक है, जिससे भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखा गया है।
नए संसद भवन की मुख्य विशेषताएं
आधुनिक डिज़ाइन: इस भवन का डिज़ाइन अत्याधुनिक और पर्यावरणीय स्थिरता के मानकों के अनुरूप है। इसमें सौर ऊर्जा, जल संरक्षण और वायु गुणवत्ता प्रबंधन जैसे आधुनिक तकनीकी समाधानों का उपयोग किया गया है।
विरासत का सम्मान: भवन के डिज़ाइन में भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक तत्वों का समावेश किया गया है। इसमें राष्ट्रीय प्रतीकों, ऐतिहासिक घटनाओं और भारतीय शिल्पकला की झलक मिलती है।
व्यवहारिकता: भवन में सांसदों के कामकाज के लिए आवश्यक सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिसमें उच्च तकनीक से लैस कक्ष, पुस्तकालय, कॉन्फ्रेंस हॉल और मीडिया सेंटर शामिल हैं।
चौसठ योगिनी का मंदिर
चौसठ योगिनी के मंदिर भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित प्राचीन मंदिर हैं, जो प्रमुखतः मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और ओडिशा में पाए जाते हैं। ये मंदिर विशेष रूप से तंत्र साधना के केंद्र रहे हैं और इनमें देवी की 64 विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। ये मंदिर चक्राकार या गोलाकार रूप में निर्मित होते हैं और इनमें 64 कोठरियाँ होती हैं, जिनमें योगिनियों की मूर्तियाँ स्थापित होती हैं।
चौसठ योगिनी मंदिर की विशेषताएं:
वास्तुकला: चौसठ योगिनी मंदिर गोलाकार या अष्टकोणीय आकार में बने होते हैं। इनमें खुले प्रांगण के चारों ओर स्तंभों पर योगिनियों की मूर्तियाँ स्थापित होती हैं।
धार्मिक महत्व: ये मंदिर तंत्र साधना और शक्ति उपासना के प्रमुख केंद्र होते हैं। तंत्र साधना में योगिनियों का विशेष महत्व होता है, और इन मंदिरों में योगिनियों की पूजा की जाती है।
ऐतिहासिक महत्व: चौसठ योगिनी मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुकला और मूर्तिकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इन मंदिरों का निर्माण आमतौर पर 9वीं से 12वीं सदी के बीच हुआ था।
संसद भवन और चौसठ योगिनी मंदिर की समानता
नए संसद भवन का डिज़ाइन चौसठ योगिनी मंदिर से प्रेरित बताया जाता है। आइए देखते हैं कि यह समानता कैसे प्रदर्शित होती है:
वास्तु डिज़ाइन: नए संसद भवन का त्रिकोणीय डिज़ाइन चौसठ योगिनी मंदिर के गोलाकार या अष्टकोणीय आकार से प्रेरित है। यह डिज़ाइन भारतीय वास्तुकला के एक प्राचीन और पवित्र स्वरूप को दर्शाता है।
संस्कृति और परंपरा का सम्मान: संसद भवन में भारतीय सांस्कृतिक तत्वों और परंपराओं को शामिल किया गया है, जो चौसठ योगिनी मंदिर के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व से मेल खाता है।
सामाजिक समरसता: चौसठ योगिनी मंदिर में योगिनियों की पूजा सभी वर्गों और समुदायों के लोगों द्वारा की जाती है। इसी तरह, भारतीय संसद में सभी राज्यों और समुदायों के प्रतिनिधियों का समावेश होता है, जो राष्ट्रीय एकता और समरसता को दर्शाता है।
वास्तुकला में समानता
वास्तुकला की दृष्टि से, नए संसद भवन और चौसठ योगिनी मंदिर के बीच कई समानताएं देखी जा सकती हैं:
त्रिकोणीय और गोलाकार डिज़ाइन: नए संसद भवन का त्रिकोणीय डिज़ाइन चौसठ योगिनी मंदिर के गोलाकार डिज़ाइन से प्रेरित है। यह डिज़ाइन भारतीय वास्तुकला में स्थायित्व और संतुलन का प्रतीक है।
खुले प्रांगण की अवधारणा: चौसठ योगिनी मंदिर में खुला प्रांगण होता है, जो आस-पास की मूर्तियों को एक साथ जोड़ता है। नए संसद भवन में भी खुला प्रांगण है, जो भवन के विभिन्न हिस्सों को जोड़ता है और एक सामूहिकता की भावना पैदा करता है।
मूर्तिकला और सजावट: चौसठ योगिनी मंदिर में योगिनियों की मूर्तियाँ प्रमुखता से स्थापित होती हैं, जो भारतीय शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। नए संसद भवन में भी भारतीय शिल्पकला और मूर्तिकला के तत्वों का समावेश किया गया है, जो इसकी सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाते हैं।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
नए संसद भवन और चौसठ योगिनी मंदिर दोनों का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी समान है:
प्राचीन धरोहर: चौसठ योगिनी मंदिर भारतीय इतिहास और संस्कृति की प्राचीन धरोहर का प्रतीक हैं। इसी तरह, नया संसद भवन भारतीय लोकतंत्र और आधुनिकता का प्रतीक है, जो हमारे राष्ट्रीय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
सांस्कृतिक समावेशिता: चौसठ योगिनी मंदिर में विभिन्न रूपों में योगिनियों की पूजा की जाती है, जो सांस्कृतिक समावेशिता का प्रतीक है। नया संसद भवन भी भारतीय संस्कृति और परंपराओं का समावेश करता है, जिससे यह सांस्कृतिक समावेशिता का प्रतीक बन गया है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व: चौसठ योगिनी मंदिर तंत्र साधना और शक्ति उपासना के प्रमुख केंद्र रहे हैं। नया संसद भवन भी भारतीय संस्कृति के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को संजोए हुए है, जिसमें भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों का समावेश किया गया है।
समकालीन संदर्भ
नए संसद भवन और चौसठ योगिनी मंदिर के बीच की समानता को समकालीन संदर्भ में समझना भी महत्वपूर्ण है। भारत एक तेजी से बदलता हुआ देश है, जहां परंपरा और आधुनिकता का संगम हो रहा है। नया संसद भवन इस बदलाव का प्रतीक है, जिसमें परंपरागत भारतीय वास्तुकला और आधुनिक सुविधाओं का समावेश किया गया है। यह भवन न केवल एक कार्यस्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, इतिहास और आधुनिकता का प्रतीक भी है।
निष्कर्ष
भारतीय संसद का नया भवन और चौसठ योगिनी मंदिर के बीच की समानता भारतीय वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति हमारी गहरी श्रद्धा को दर्शाती है। यह समानता न केवल डिज़ाइन और संरचना में है, बल्कि यह हमारे सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्यों को भी प्रतिबिंबित करती है। नया संसद भवन भारतीय लोकतंत्र और सांस्कृतिक धरोहर का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो हमें हमारी प्राचीन धरोहर की याद दिलाता है और साथ ही भविष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है।
इस प्रकार, भारतीय संसद का नया भवन और चौसठ योगिनी मंदिर दोनों ही हमारे समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक हैं, जो हमें हमारे अतीत से जोड़ते हैं और एक उज्ज्वल भविष्य की ओर प्रेरित करते हैं।
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