श्री राम की वंशावली कौन थे, लव कुश के बाद कौन बना राजा
श्रीराम ने अयोध्या में लंबे समय तक राज करने के लिए वानप्रस्थ लेने का निर्णय किया तो उन्होंने छोटे भाई भरत का राज्याभिषेक करना चाहा. मगर भरतजी ने विनम्रता से मना कर दिया.
लव का वंश
इसकी दूसरी शाखा सिसोदिया राजपूत वंश की थी, इनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश के राजा हुए. कुशजी से कुशवाह (कछवाह) राजपूतों का वंश बढ़ा. पौराणिक कथा अनुसार लवजी ने लवपुरी नगर की स्थापना की थी, जो वर्तमान में पाकिस्तान का लाहौर शहर है, यहां के एक किले में आज भी लवजी का मंदिर बना है. लवपुरी को बाद में लौहपुरी कहा जाने लगा. इतना ही नहीं, कालांतर में स्थापित लाओस, थाई नगर लोबपुरी का नाम भी लव पर ही रखा गया.
कुश का वंश ऐसे बढ़ा
राम के दोनों पुत्रों में कुश का वंश आगे बढ़ा तो कुश से अतिथि, निषधन से, नभ से, पुण्डरीक से, क्षेमन्धवा से, देवानीक से, अहीनक से, रुरु से, पारियात्र से, दल से, छल से, उक्थ से, वज्रनाभ से, गण से, व्युषिताश्व से, विश्वसह से, हिरण्यनाभ से, पुष्य से, ध्रुवसंधि से, सुदर्शन से, अग्रिवर्ण से, पद्मवर्ण से, शीघ्र से, मरु से, प्रयुश्रुत से, उदावसु से, नंदिवर्धन से, सकेतु से, देवरात से, बृहदुक्थ से, महावीर्य से, सुधृति से, धृष्टकेतु से, हर्यव से, मरु से, प्रतीन्धक से, कुतिरथ से, देवमीढ़ से, विबुध से, महाधृति से, कीर्तिरात से, महारोमा से, स्वर्णरोमा से और ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म हुआ. कुश वंश से ही कुशवाह, मौर्य, सैनी, शाक्य संप्रदाय की स्थापना मानी जाती है.
भगवान राम का वंशज है जयपुर का पूर्व राजघराना, पुत्र कुश की 289 वीं पीढ़ी में थे गुलाबी नगरी को बसाने वाले महाराजा सवाई जयसिंह. जयपुर के पूर्व राजघराने की मानें तो वे अयोध्या के राजा भगवान श्री राम के वंशज है। यहां के पूर्व महाराजा भवानी सिंह भगवान राम के पुत्र कुश की 307 वीं पीढ़ी से थे। वहीं, गुलाबीनगरी जयपुर को बसाने वाले महाराजा सवाई जयसिंह का नाम कुश के वंशजों में 289वीं पीढ़ी में अंकित है। यह बात इतिहास के पन्नों में भी दर्ज है।
आपको बता दें कि 2 साल पहले अयोध्या में राम मंदिर को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान जब 9 अगस्त को शीर्ष कोर्ट ने पूछा था- क्या भगवान राम का कोई वंशज अयोध्या या दुनिया में है? तब रामलला के वकील ने कहा था- पता नहीं। तब जयपुर के पूर्व राजघराने के महाराजा भवानी सिंह की बेटी दीया कुमारी ने दावा किया था कि उनका परिवार भगवान राम के बड़े बेटे कुश के नाम पर ख्यात कच्छवाहा/कुशवाहा वंश के वंशज हैं।
वहीं, जयपुर राजघराने की पूर्व राजमाता पद्मिनी देवी ने कहा था कि हम नहीं चाहते कि वंश का मुद्दा बाधा पैदा करे। राम सबकी आस्था के प्रतीक हैं। इसलिए हम सामने आए हैं कि हां! हम उनके वंशज हैं और इसके दस्तावेज सिटी पैलेस के पोथीखाने में हैं।
कुशवाहा वंश के 63वें वंशज थे श्रीराम, सांसद दीया कुमारी है 308वीं पीढ़ी
सिटी पैलेस के ओएसडी रामू रामदेव के अनुुसार, कच्छवाहा वंश काे भगवान राम के बड़े बेटे कुश के नाम पर कुशवाहा वंश भी कहा जाता है। इसकी वंशावली के मुताबिक 62वें वंशज राजा दशरथ, 63वें वंशज श्रीराम, 64वें वंशज कुश थे। 289वें वंशज आमेर-जयपुर के सवाई जयसिंह, ईश्वरी सिंह और सवाई माधाे सिंह और पृथ्वी सिंह रहे। भवानी सिंह 307वें वंशज थे।
सिटी पैलेस के पाेथीखाना में रखे 9 दस्तावेज और 2 नक्शे साबित करते हैं कि अयाेध्या के जयसिंहपुरा और राम जन्मस्थान सवाई जयसिंह द्वितीय के अधीन थे। प्रसिद्ध इतिहासकार आर नाथ की किताब द जयसिंहपुरा ऑफ सवाई राजा जयसिंह एट अयाेध्या के एनेक्सचर-2 के मुताबिक अयाेध्या के रामजन्म स्थल मंदिर पर जयपुर के कच्छवाहा वंश का अधिकार था।
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