शिवाजी की प्रतिमा गिरने पर पीएम मोदी ने सिर झुकाकर माफी मांगी, जानिए क्या है मामला?
राजकोट किले में लगी शिवाजी की 35 फ़ुट की मूर्ति 26 अगस्त को ढह गई थी. शिवाजी की इस प्रतिमा का अनावरण बीते साल प्रधानमंत्री मोदी ने नौसेना दिवस के दिन किया था. इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी कहा था कि वो इस घटना पर सौ बार माफ़ी मांगने को तैयार हैं. वहीं राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार भी इस घटना के लिए माफ़ी मांग चुके हैं.
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग ज़िले के मालवन में राजकोट किले में बनी छत्रपति शिवाजी की मूर्ति ढहने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्रपति शिवाजी से माफ़ी मांगी है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को महाराष्ट्र में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, ''मैं इस घटना पर सिर झुका कर माफ़ी मांगता हूं. हमारे लिए शिवाजी आराध्य देव हैं.''
उन्होंने यह बयान शुक्रवार को राज्य के पालघर ज़िले में वधावन बंदरगाह परियोजना के शिलान्यास समारोह के दौरान दिया.
मोदी ने कहा, "छत्रपति शिवाजी महाराज न केवल हमारे लिए एक महान व्यक्ति हैं, बल्कि वह हमारे आदर्श हैं. मैं उस मूर्ति के चरणों में झुक रहा हूं और अब उनसे माफ़ी मांग रहा हूं."
प्रधानमंत्री ने कहा, जब 2013 में भाजपा ने मुझे प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया, तो मैंने सबसे पहले रायगढ़ के किले में जाकर छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के सामने बैठकर प्रार्थना की और राष्ट्रसेवा की एक नई यात्रा आरंभ की थी।
उन्होंने कहा, "छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर हम विकसित महाराष्ट्र-विकसित भारत के संकल्प पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। आज पालघर में विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास इसी दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास के रूप में याद किया जाएगा।"
उन्होंने आगे कहा, "हमारे संस्कार अलग हैं। हम वो लोग नहीं हैं जो आए दिन भारत मां के महान सपूत, इसी धरती के लाल वीर सावरकर को अनाप-शनाप बोलते हैं। अपमानित करते रहते हैं। देशभक्तों की भावनाओं को कुचलते हैं।" प्रधानमंत्री ने कहा, "वे लोग वीर सावरकर को अपशब्द कहने के बाद भी माफी मांगने को तैयार नहीं हैं। उनको पाश्चाताप नहीं होता है। महाराष्ट्र की जनता उनके संस्कार को अब जान गई है।"
'वाढवण बंदरगाह से महाराष्ट्र और देश को मिलेगा लाभ'
उन्होंने कहा, महाराष्ट्र के पास विकास के लिए सामर्थ्य भी है और जरूरी संसाधन भी हैं। यहां समुद्र के तट भी हैं और इन तटों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार का सदियों पुराना इतिहास भी है। यहां भविष्य की अपार संभावनाएं भी हैं। इन अवसरों का पूरा लाभ महाराष्ट्र और देश को मिले, इसके लिए आज वाढवण बंदरगाह की नींव रखी गई है। यह देश का सबसे बड़ा कंटेनर बंदरगाह होगा। ये देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे गहरे बदरगाहों में से एक महत्वपूर्ण बंदरगाह होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के पालघर जिले में 1,560 करोड़ रुपये की 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
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