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माता सीता कौन थी, माता सीता की सम्पूर्ण जीवनी
Updates / 2024/01/22

माता सीता कौन थी, माता सीता की सम्पूर्ण जीवनी

माता सीता: माता सीता रामायण और रामकथा पर आधारित अन्य ग्रंथ, जैसे रामचरितमानस, कंब रामायण की मुख्य नायिका हैं । सीता मिथिला (जनकपुर, धनुषा ज़िला, मधेश प्रदेश, नेपाल) में जन्मी थी । देवी सीता मिथिला के नरेश राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं । इनका विवाह अयोध्या के नरेश राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र श्री राम से स्वयंवर में शिवधनुष को भंग करने के उपरांत हुआ था। इन्होंने स्त्री व पतिव्रता धर्म का पूर्ण रूप से पालन किया था जिसके कारण इनका नाम बहुत आदर से लिया जाता है। त्रेतायुग में इन्हें सौभाग्य की देवी लक्ष्मी का अवतार कहा गया है।

  • रामायण के अनुसार मिथिला के राजा जनक के खेतों में हल जोतते समय एक पेटी से अटका। इन्हें उस पेटी में पाया था। राजा जनक और रानी सुनयना के गर्भ में इनके कलाओं एवं आत्मा की दिव्यता को महर्षि याज्ञवल्क्य द्वारा स्थापित किया गया तत्पश्चात सुनयना ने अपनी मातृत्व को स्वीकार किया और पालन किया। उर्मिला उनकी छोटी बहन थीं।

  • राजा जनक की पुत्री होने के कारण इन्हे जानकी, जनकात्मजा अथवा जनकसुता भी कहते थे। मिथिला की राजकुमारी होने के कारण यें मैथिली नाम से भी प्रसिद्ध है। भूमि में पाये जाने के कारण इन्हे भूमिपुत्री या भूसुता भी कहा जाता है।

  • सीता जी का जन्म वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में नवमी तिथि को मिथिला (मधेश प्रदेश, नेपाल) में हुआ था।

विवाह

ऋषि विश्वामित्र का यज्ञ राम व लक्ष्मण की रक्षा में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इसके उपरांत महाराज जनक ने सीता स्वयंवर की घोषणा किया और ऋषि विश्वामित्र की उपस्थिति हेतु निमंत्रण भेजा। आश्रम में राम व लक्ष्मण उपस्थित के कारण वे उन्हें भी मिथिपलपुरी साथ ले गये। महाराज जनक ने उपस्थित ऋषिमुनियों के आशिर्वाद से स्वयंवर के लिये शिवधनुष उठाने के नियम की घोषणा की। सभा में उपस्थित कोइ राजकुमार, राजा व महाराजा धनुष उठानेमें विफल रहे। श्रीरामजी ने धनुष को उठाया और उसका भंग किया। इस तरह सीता का विवाह श्रीरामजी से निश्चय हुआ।

इसी के साथ उर्मिला का विवाह लक्ष्मण से, मांडवी का भरत से तथा श्रुतकीर्ति का शत्रुघ्न से निश्चय हुआ। कन्यादान के समय राजा जनक ने श्रीरामजी से कहा "हे कौशल्यानंदन राम! ये मेरी पुत्री सीता है। इसका पाणीग्रहण कर अपनी पत्नी के रूप मे स्वीकर करो। यह सदा तुम्हारे साथ रहेगी।" इस तरह सीता व रामजी का विवाह अत्यंत वैभवपूर्ण संपन्न हुआ। विवाहोपरांत सीता अयोध्या आई और उनका दांपत्य जीवन सुखमय था।

वनवास

राजा दशरथ अपनी पत्नी कैकेयी को दिये वचन के कारण श्रीरामजी को चौदह वर्ष का वनवास हुआ। श्रीरामजी व अन्य बडों की सलाह न मानकर अपने पति से कहा "मेरे पिता के वचन के अनुसार मुझे आप के साथ ही रहना होगा। मुझे आप के साथ वनगमन इस राजमहल के सभी सुखों से अधिक प्रिय हैं।" इस प्रकार राम व लक्ष्मण के साथ वनवास चली गयी।

वे चित्रकूट पर्वत स्थित मंदाकिनी तट पर अपना वनवास किया। इसी समय भरत अपने बड़े भाई श्रीरामजी को मनाकर अयोध्या ले जाने आये। अंतमे वे श्रीरामजी की पादुका लेकर लौट गये। इसके बाद वे सभी ऋषि अत्री के आश्रम गये। सीता ने देवी अनसूया की पूजा की। देवी अनसूया ने सीता को पतिव्रता धर्म का विस्तारपूर्वक उपदेश के साथ चंदन, वस्त्र, आभूषणादि प्रदान किया। इसके बाद कई ऋषि व मुनि के आश्रम गये, दर्शन व आशिर्वाद पाकर वे पवित्र नदी गोदावरी तट पर पंचवटी में वास किया।

अपहरण

पंचवटी में लक्ष्मण से अपमानित शूर्पणखा ने अपने भाई रावण से अपनी व्यथा सुनाई और उसके कान भरते कहा "सीता अत्यंत सुंदर है और वह तुम्हारी पत्नी बनने के सर्वथा योग्य है।" रावण ने अपने मामा मारीच के साथ मिलकर सीता अपहरण की योजना रची। इसके अनुसार मारीच सोने के हिरण का रूप धर राम व लक्ष्मण को वन में ले जायेगा और उनकी अनुपस्थिति में रावण सीता का अपहरण करेगा। आकाश मार्ग से जाते समय पक्षीराज जटायु के रोकने पर रावण ने उसके पंख काट दिये।

जब कोई सहायता नहीं मिली तो माता सीताजी ने अपने पल्लू से एक भाग निकालकर उसमें अपने आभूषणों को बांधकर नीचे डाल दिया। नीचे वनमे कुछ वानरों ने इसे अपने साथ ले गये। रावण ने सीता को लंकानगरी के अशोकवाटिका में रखा और त्रिजटा के नेतृत्व में कुछ राक्षसियों को उसकी देख-रेख का भार दिया।

हनुमानजी की भेंट

हनुमानजी ने रावण को अपनी दुस्साहस के परिणाम की चेतावनी दी और लंका जलाया। माता सीता से चूड़ामणि व अपनी यात्रा की अनुमति लिए चले। सागरतट स्थित अंगद व वानरसेना लिए श्रीरामजी के पास पहुँचे। माता सीता की चूड़ामणि दिया और अपनी लंका यात्रा की सारी कहानी सुनाई। इसके बाद राम व लक्ष्मण सहित सारी वानरसेना युद्ध के लिए तैयार हुई। राम जी ने रावन को मारकर लंका पर विजय प्राप्त की. और फिर राम, लक्ष्मण और सीता माता अयोध्या चले गए.

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Frequently Asked Questions

सीता माता कौन से देश की थी?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था। जनकपुर का प्राचीन नाम मिथिला तथा विदेहनगरी था। भगवान श्रीराम से विवाह के पहले सीता ने ज़्यादातर समय यहीं व्यतीत किया था। महाभा
क्या सीता का जन्म नेपाल में हुआ था?
भारत और नेपाल की सीमा के नजदीक बसा जनकपुर नेपाल के तराई शहर से करीब 200 किमी दूर है। यहां के लोग सीताजी को जानकी देवी कहते हैं। जनकपुर में विशाल जानकी मंदिर है। यह स्थान माता सीता के जन्मस्थान के
सीता जी का नेपाल से क्या संबंध है?
वाल्मीकि रामायण में भी सीता के जन्म और शादी के स्थान के तौर पर जनकपुर का जिक्र मिलता है
राम जी की कितनी पत्नियां थी?
भगवान राम ने केवल एक शादी की थी, और उनकी अर्धागनी माता सीता थी।
सीता नेपाली थी या बिहारी?
सीता का जन्मस्थान विवादित है. सीता कुंड तीर्थ स्थल जो वर्तमान सीतामढी जिले, बिहार, भारत में स्थित है, को सीता के जन्मस्थान के रूप में देखा जाता है। सीतामढी के अलावा जनकपुर, जो वर्तमान नेपाल के प

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