सुख करता दुख हर्ता, वार्ता विघ्नाची आरती लिरिक्स
"सुखकर्ता दुखहर्ता" गणेश जी की एक प्रसिद्ध आरती है, जिसे हर गणेश चतुर्थी, पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में गाया जाता है। इस आरती का महत्व हिंदू धर्म में बहुत बड़ा है क्योंकि यह भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और शुभकर्ता माना जाता है, की स्तुति करती है। यह आरती भक्तों को सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए गाई जाती है।
आरती का महत्व
भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि कार्य में कोई विघ्न न आए और सभी काम सुचारू रूप से पूरे हों। "सुखकर्ता दुखहर्ता" आरती गणेश जी की महिमा का गुणगान करती है और भक्तों की हर प्रकार की बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करती है।
सुख करता दुख हर्ता, वार्ता विघ्नाची |
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची ||
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची |
कंठी झलके माल मुकताफळांची ||
जय देव जय देव
जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति .. जय देव जय देव
जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति .. जय देव जय देव
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा |
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा ||
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा |
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया ||
जय देव जय देव
जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति .. जय देव जय देव
जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति .. जय देव जय देव
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना |
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना ||
दास रामाचा वाट पाहे सदना |
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना ||
जय देव जय देव
जय देव जय देव जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति .. जय देव जय देव
आरती का भावार्थ
इस आरती में भगवान गणेश की सुंदरता, कृपा, और उनके मंगलमय स्वरूप का वर्णन किया गया है। यह आरती गणेश जी के प्रति भक्तों की श्रद्धा और विश्वास को प्रकट करती है और उनकी महिमा का गुणगान करती है। गणेश जी की कृपा से सभी विघ्न और दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
निष्कर्ष
"सुखकर्ता दुखहर्ता" आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भक्तों के दिलों में गणेश जी के प्रति आस्था और प्रेम का प्रतीक है। यह आरती जीवन के सभी कष्टों को दूर कर सुख और शांति की अनुभूति कराती है। इसलिए, हर गणेश भक्त को इस आरती का नियमित पाठ करना चाहिए और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करनी चाहिए।
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